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अपमान के बदले सम्मान कभी हासिल नहीं किया जा सकता
बात पुरानी है पर है लाजबाव, यूरोप संभ्रांत शहर में एक व्यक्ति रहता था, जो अक्सर धर्मग्रंथों का मजाक उड़ाया करता था। वह नास्तिक था पर वह ईश्वर में विश्वास करने वालों का सम्मान कतई नहीं करता था। वह उनसे वैचारिक बहस न करके, कुतर्कों के जरिए उनका मनोबल तोड़ने की कोशिश करता था। एक दिन वह एक पादरी …
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