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सूरज की गर्मी से जलते हुए
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम | भटका हुआ मेरा मन था, कोई मिल ना रहा था सहारा | लहरों से लगी हुई नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा | इस लडखडाती हुई नव को …
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