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सन्यासी की जड़ी-बूटी

Sanyaasee kee jadee-booṭee

बहुत समय पहले की बात है , एक वृद्ध सन्यासी हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहता था. वह बड़ा ज्ञानी था और उसकी बुद्धिमत्ता की ख्याति दूर -दूर तक फैली थी. एक दिन एक औरत उसके पास पहुंची और अपना दुखड़ा रोने लगी , ” बाबा, मेरा पति मुझसे बहुत प्रेम करता था , लेकिन वह जबसे युद्ध से लौटा …

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झूठी दुनिया से मन को हटाले

Janiye Kya Hai Manes Pooja

झूठी दुनिया से मन को हटाले ध्यान भोले जी के चरणों में लगाले नसीबा तेरा जाग जाएगा, नसीबा तेरा जाग जाएगा. झूठे संसार का तो चलना अनोखा है पग पग मिले यहाँ धोखा ही धोखा है भोले बाबा को तू अपना बना ले माल तेरे पास है तोह माल तेरा खायेंगे हुआ जो ख़तम तोह नजर नही आयेंगे डमरू वाले …

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गुरुदेव तुम्हारी जय जय हो

Umar ka panchi udata jata bhajan

गुरुदेव तुम्हारी जय जय हो सद्गुरु तुम्हारी जय जय हो सोमनाथ तुम्हारी जय जय हो रामनाथ तुम्हारी जय जय हो विश्वनाथ तुम्हारी जय जय हो भोले नाथ तुम्हारी जय जय हो महादेव तुम्हारी जय जय हो महाकाल तुम्हारी जय जय हो केदारनाथ तुम्हारी जय जय हो त्रिम्ब्केश्वर तुम्हारी जय जय हो नागेश्वर तुम्हारी जय जय हो मलिकार्जुन तुम्हारी जय जय …

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जोकर की सीख

Jokar kee seekh

एक बार एक जोकर सर्कस मे लोगो को एक चुटकुला सुना रहा था।  चुटकुला सुनकर लोग खूब जोर-जोर से हंसने लगे । कुछ देर बाद जोकर ने वही चुटकुला दुबारा सुनाया । अबकी बार कम लोग हंसे । थोडा और समय बीतेने के बाद तीसरी बार भी जोकर ने वही चुटकुला सुनाना शुरू किया । पर इससे पहले कि वो अपनी बात …

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चल पड़ा शिव का पुजारी शिव को मनाने के लिए

Janiye Kya Hai Manes Pooja

चल पड़ा शिव का पुजारी शिव को मनाने के लिए हाथ में गंगा जल गडवा शिव को चड़ने के लिए बैठ गया शिवलिंग के आगे, करने लगा अस्तुतीयाँ हाथ जब ऊपर उठाया, घंटा बजाने के लिए देख कर सोने का घंटा, पाप मन में आ गया हो गया तैयार वह तो घंटा चुराने के लिए चढ़ गया शिवलिंग के ऊपर …

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मूर्ख गधा

Moorkh gadhaa

एक बार दो गधे अपनी पीठ पर बोझा उठाये चले जा रहे थे, उनको काफी लंबा सफर तय करना था.. एक गधे की पीठ पर नमक की भारी बोरियां लदी हुई थीं तो एक की पीठ पर रूई की बोरियां लदी हुई थीं. जिस रास्ते से वो जा रहे थे उस बीच में एक नदी पड़ी, नदी के ऊपर रेत …

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हार-जीत-का-फैसला!

Haar-jeet-kaa-faisalaa

बहुत समय पहले की बात है। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ मेँ निर्णायक थीँ- मंडन मिश्र की धर्म पत्नी देवी भारती। हार-जीत का निर्णय होना बाक़ी था, इसी बीच देवी भारती को शाश्त्रार्थ किसी आवश्यक कार्य से कुछ समय के लिये बाहर जाना पड़ गया। लेकिन जाने से पहले देवी भारती नेँ दोनोँ ही विद्वानोँ …

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दूसरा दीपक

Doosaraa deepak

एक बार की बात है , मगध साम्राज्य के सेनापति किसी व्यक्तिगत काम से चाणक्य से मिलने पाटलिपुत्र पहुंचे । शाम ढल चुकी थी , चाणक्य गंगा तट पर अपनी कुटिया में, दीपक के प्रकाश में कुछ लिख रहे थे। कुछ देर बाद जब सेनापति भीतर दाखिल हुए, उनके प्रवेश करते ही चाणक्य ने सेवक को आवाज़ लगायी और कहा …

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एक पुत्र अपने पिता के विषय में उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर क्या विचार रखता है

Pita-Putra

4 वर्ष : मेरे पापा महान है । 6 वर्ष : मेरे पापा सबकुछ जानते है, वे सबसे होशियार है।। 10 वर्ष : मेरे पापा अच्छे है, परन्तु गुस्से वाले है। 12 वर्ष : मैं जब छोटा था, तब मेरे पापा मेरे साथ अच्छा व्यवहार करते थे । 16 वर्ष : मेरे पापा वर्तमान समय के साथ नही चलते, सच …

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राजा और महात्मा

Raajaa aur mahaatmaa

चंदनपुर का राजा बड़ा दानी और प्रतापी था , उसके राज्य में सब खुशहाल थे पर राजा एक बात को लेकर बहुत चिंतित रहा करता था कि धर्म व दर्शन पर लोगोँ के विचारोँ मेँ सहमति क्योँ नहीँ बनती। एक बार राजा ने विभिन्न धर्मोँ के उपदेशकोँ को आमंत्रित किया और एक विशाल कक्ष में सभी का एक साथ रहने …

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