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दुःख ही दुःख है !!

हेलो दोस्तों जैसा की हम जानते हैं, कि दुख हम सब की लाइफ में है और कोई भी दुखी नहीं होना चाहता है। हम सब चाहते हैं, कि अपने जीवन में हम सुखी रहे और आजकल जिसे देखो वह केवल अपने दुख की बात करता है। लेकिन कोई अपने आर्थिक दुख की बात करता है, तो कोई अपने परिवारिक दुख की …

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मन के जीते जीत !!

भारतीय संस्कृति में शुद्धता-पवित्रता को सर्वोपरि महत्त्व दिया गया है। कहा भी गया है, ‘अद्विशात्राणि शुध्यति मनः सत्येन शुध्यति विद्यातपोभ्यां भूतात्मा बूद्धिज्ञनित शुध्यति ।’ यानी जल से स्नान करने से शरीर, सत्याचरण से मन, विद्या और तप से आत्मा तथा ज्ञान से बुद्धि की शुद्धि होती है। शास्त्रकार कहते हैं, ‘स्व मनो विशुद्धिम्तीर्थं अरथत् अपना विशुद्ध मन सर्वोपरि तीर्थ है। …

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दया धर्म का मूल !!

महाराज युधिष्ठिर समय-समय पर ऋषियों के आश्रम में पहुँचकर उनसे सत्संग किया करते थे। एक बार वे महर्षि मार्कण्डेयजी के दर्शन के लिए पहुंचे। उन्होंने महामुनि से प्रश्न किया, ‘सर्वोत्तम धर्म और सर्वोत्तम ज्ञान क्या है?’ महर्षि ने बताया, ‘आनृशंस्यं परो धर्मः क्षमा च परमं बलम्। आत्मज्ञानं परं ज्ञानं सत्यं व्रत परं व्रतम्।’ यानी क्रूरता का अभाव अर्थात् दया सबसे …

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भक्त की कसौटी !!

एक बार अर्जुन ने भगवान् श्रीकृष्ण से प्रश्न किया, ‘आपको किन-किन सद्गुणों वाला भक्त प्रिय है?’ श्रीकृष्ण ने बताया, ‘जो किसी प्राणी से द्वेष नहीं करता, सबसे सद्भाव व मैत्री भाव रखता है, सब पर करुणा करता है, क्षमाशील है, ममता और अहंकार से रहित है, सुख-दुःख में एक समान रहता है, वह भक्त मुझे प्रिय है।’ ‘स्वर्ग के अधिकारी …

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चतुराई से मुक्ति !!

सच्चा मानव कौन है-इस जिज्ञासा का समाधान करते हुए ऋषि व शास्त्रकार कहते हैं कि जिसका आचरण पवित्र है, जो निष्कपट है, जो दुःखी व्यक्ति की सहायता को तैयार रहता है, वही मानव कहलाने का अधिकारी है। कपटी, आडंबरी व्यक्ति जब अपने परिजनों की दृष्टि में ही विश्वसनीय नहीं होता, तो भला वह भगवान् को कैसे प्रिय हो सकता है। …

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वाणी का संयम !!

दार्शनिकों ने इंद्रियों के संयम को जीवन की सफलता का प्रमुख साधना कहा है। देवर्षि नारद उपदेश देते हुए कहते हैं, ‘इंद्रियों का आवश्यक कर्मों को संपन्न करने में कम-से-कम उपयोग करना चाहिए। मन पर नियंत्रण करके ही इंद्रिय-संयम संभव है। वाणी का जितना हो सके, कम उपयोग करने में ही कल्याण है।’ वाणी के संयम के अनेक प्रत्यक्ष लाभ …

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आडू और सेब !!

एक बगीचे में एक आडू और एक सेब आपस में बहस कर रहे थे। दोनों अपने आपको अधिक सुंदर बता रहे थे। दोनों अपनी बात पर अड़े थे। उन्होंने निर्णय के लिए खुली बहस करने का निश्चय किया। दोनों फलों के बीच तीखी बहस होने लगी। बगीचे के सारे फल उनकी बातें सुन रहे थे। तभी पास की झाड़ी से …

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हाथी को चुनौती देने वाला भँवरा !!

एक दिन, गोबर में रहने वाले भँवरे की निगाह मेज पर रखी शराब की खाली बोतल पर पड़ी। वह बोतल के पास गया और उसमें बची- खुची बूंदें पी गया जिससे उसे नशा चढ़ गया। इसके बाद वह खुशी – खुशी गुंजन करता हुआ वापस गोबर के ढेर में चला गया। पास से ही एक हाथी गुजर रहा था। गोबर …

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गधा, मुर्गा और शेर !!

एक बाड़े में एक गधा, एक मुर्गा साथ रहा करते थे। एक दिन एक शेर उस गधे के ऊपर झपटने ही वाला था कि मुर्गे ने उसे देख लिया और जोर से चिल्ला दिया। शेर अचानक उसकी आवाज सुनकर डर गया और भागने लगा। गधे ने शेर को भागते देखा तो बहुत प्रसन्न हुआ। उसने सोचा कि अगर मैं जंगल …

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अलीबाबा और खजाना !!

पर्शिया में अलीबाबा और कासिम नामक दो भाई रहते थे। कासिम एक धनवान सौदागर था पर अलीबाबा एक गरीब लकड़हारा था। एक दिन अलीबाबा जंगल में लकड़ी काटने गया हुआ था। वहाँ उसने चालीस लुटेरों को घोड़े पर सवार आते देखा। एक गुफा के सामने उनका नेता घोड़े से उतरा और बोला, “खुल जा सिमसिम!” गुफा का दरवाजा खुल गया …

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