वृद्ध बोला, ‘हे दैत्यराज, अब ध्यान देकर मेरा वृत्तांत सुनें। यह हिरनी मेरे चचा की बेटी और मेरी पत्नी है। जब यह बारह वर्ष की थी तो इसके साथ मेरा विवाह हुआ। यह अत्यंत पतिव्रता थी और मेरे प्रत्येक आदेश का पालन करती थी। किंतु जब विवाह को तीस वर्ष हो गए और इससे कोई संतान नहीं हुई तो मैंने …
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मछुवारे की कहानी ~ अलिफ लैला!!
शहरजाद ने कहा कि हे स्वामी, एक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति का मुसलमान मछुवारा मेहनत करके अपने स्त्री-बच्चों का पेट पालता था। वह नियमित रूप से प्रतिदिन सवेरे ही उठकर नदी के किनारे जाता और चार बार नदी में जाल फेंकता था। एक दिन सवेरे उठकर उसने नदी में जाल डाला। उसे निकालने लगा तो जाल बहुत भारी लगा। उसने …
Read More »किस्सा वजीर का ~ अलिफ लैला!!
प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य को बुलाकर कहा कि राजकुमार के साथ चले जाओ; तुम्हें सब रास्ते मालूम हैं, राजकुमार को नहीं मालूम, इसलिए …
Read More »मूर्ख कौवों की कहानी – जातक कथाएँ !!
वर्षों पहले एक समुद्र में एक नर और एक मादा कौवा मदमस्त हो कर जल-क्रीड़ा कर रहे थे। तभी समुद्र की एक लौटती लहर में कौवी बह गयी, जिसे समुद्र की किसी मछली ने निगल लिया। नर कौवे को इससे बहुत दु:ख हुआ। वह चिल्ला-चिल्ला कर विलाप करने लगा। पल भर में सैकड़ों कौवे भी वहाँ आ पहुँचे। जब अन्य कौवों …
Read More »कौवों और उल्लुओं की शत्रुता की कथा – जातक कथाएँ !!
कौवों और उल्लुओं की शत्रुता बड़ी पुरानी है। मगर कितनी पुरानी और क्यों है इसका विचार कम ही लोगों ने किया अथवा करना चाहा। बौद्ध परम्परा में उपर्युक्त दो शत्रुओं के वैमनस्य की एक कथा प्रचलित है। यहाँ वही कथा एक बार फिर सुनाई जा रही है। सम्बोधि प्राप्त करने के बाद बुद्ध जब श्रावस्ती स्थित जेतवन में विहार कर …
Read More »खुदा के गुलाम !!
इब्राहिम बल्ख के बादशाह थे। सांसारिक विषय- भोगों से ऊबकर वे फकीरों का सत्संग करने लगे। बियाबान जंगल में बैठकर उन्होंने साधना की । एक दिन उन्हें किसी फरिश्ते की आवाज सुनाई दी, ‘मौत आकर तुझे झकझोरे, इससे पहले ही जाग जा । अपने को जान ले कि तू कौन है और इस संसार में क्यों आया है। ‘ यह …
Read More »ज्ञान का ढिंढोरा !!
आध्यात्मिक विभूति श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार से मिलने कलकत्ता के एक धनाढ्य परिचित पहुँचे। उन्होंने कहा, ‘जब मैं किसी तीर्थ में जाता हूँ, तो दान अवश्य करता हूँ।’ उन्होंने एक अखबार भी दिखाया, जिसमें किसी को कपड़े दान करते हुए उनका चित्र छपा था। पोद्दारजी ने कहा, ‘तुमने तो अपने दान को एक ही दिन में निष्फल बना डाला, जबकि दान …
Read More »नैतिक शिक्षा का महत्त्व !!
आचार्य विनोबा भावे अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होंने विभिन्न धर्मों, मत-मतांतरों के साहित्य का अध्ययन किया था। बड़े-बड़े शिक्षाविद् ज्ञान का लाभ अर्जित करने उनके पास आया करते थे । विनोबाजी संस्कारों को सबसे बड़ी धरोहर मानते थे । एक बार महाराष्ट्र के किसी विश्वविद्यालय में उन्हें आमंत्रित किया गया। विनोबाजी वहाँ पहुँचे। उन्होंने प्राचार्य से बातचीत के दौरान …
Read More »हरिनाम की महिमा !!
गुरु तेगबहादुरजी भक्ति और शक्ति के उपासक थे। उन्होंने 1675 में धर्म की रक्षा के लिए दिल्ली में बलिदान देकर यह सिद्ध किया कि एक धर्मगुरु और कवि – साहित्यकार समय आने पर धर्म की रक्षा के लिए सिर भी कटा सकता है। बलिदान देने से पूर्व अनेक वर्षों तक गुरु तेगबहादुरजी ने देश का भ्रमण कर असंख्य लोगों को …
Read More »शहीद की कामना !!
मदनलाल ढींगरा लंदन के इंडिया हाउस से जुड़े रहकर भारत की स्वाधीनता के लिए प्रयासरत थे। विनायक दामोदर सावरकर से प्रेरणा लेकर उन्होंने 1 जुलाई, 1909 को इंपीरियल इंस्टीट्यूट में आयोजित समारोह में सर कर्जन वायली पर सरेआम गोलियाँ बरसाकर उसकी हत्या कर दी। उन्हें फाँसी की सजा सुनाई गई । मदनलाल ढींगरा ने जेल से एक वक्तव्य जारी कर …
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