एक बार की बात है, अयोध्या में एक सम्मानित पंडित रहते थे, जिनका नाम हृदयनाथ था। भले ही उनके पास बहुत धन-दौलत न था, लेकिन वे थोड़े में ही संतोष रखते थे। हालांकि, उनके पास जो कुछ मकान थे, उनसे आने वाले किराए से उनका जीवन गुजर बसर हो जाता था। किराया बढ़ाने के साथ ही उन्होंने एक सवारी खरीद …
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मुंशी प्रेमचंद की कहानी : उद्धार!!
आजकल विवाह से जुड़ी प्रथाएं इतनी चिंताजनक हो गई हैं कि कुछ भी समझना मुश्किल हो जाता है। इसमें सुधार जरूरी है, लेकिन कम ही लोग ऐसा कर पाते हैं। ऐसे कम ही मां-बाप होते हैं, जो सात बेटों के बाद भी एक बेटी होने पर उसे प्यार से रखते हैं। जैसे ही एक बेटी पैदा होती है, वो उसकी …
Read More »मुंशी प्रेमचंद की कहानी : अंधेर!!
मेरे स्वामी को एक साल की सजा मिली है। उनका अपराध सिर्फ इतना था कि तीन रोज पहले जेठ की तेज गर्मी में उन्होने कई राष्ट्र सेवकों की पानी व शर्बत के साथ खातिरदारी की थी। मैं उस दौरान कोर्ट में खड़ी थी। ऐसा लग रहा था मानो कमरे से बाहर खड़े शहर की सभी राजनीतिक चेतना किसी बंदी पशु …
Read More »मुंशी प्रेमचंद की कहानी : कौशल!!
पंडित बलराम से उनकी पत्नी माया काफी समय से एक हार की मांग कर रही थी। हर बार पंडित उनकी बातों को टाल देते थे। वो कभी अपनी पत्नी से यह नहीं कह पाते थे कि उनके पास हार खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। वो हमेशा कहते, “घर में हार रखने से चोरी हो जाता है। ऊपर से हमेशा …
Read More »मुंशी प्रेमचंद की कहानी : नेउर!!
मौसम का मिजाज बदला हुआ था। बरसात के दिन थे। आकाश में बादल इधर-उधर भाग रहे थे, आपस में गले मिल रहे थे। कभी छाया, तो कभी चमकती धूप हो रही थी। ऐसा लग रहा था मानों सूरज और बादलों में लड़ाई हो रही हो। वहीं, गांव के बाहर कई मजदूर एक खेत में मेड़ बांध रहे थे। सभी पसीने …
Read More »मुंशी प्रेमचंद की कहानी : वफा का खंजर!!
विजयगढ़ और जयगढ़ राज्य में कई तरह की समानताएं थीं। दोनों ही बेहद संपन्न, मजबूत और धार्मिक राज्य थे। दोनों राज्य के रस्म-ओ-रिवाज ही नहीं, बल्कि बोली भी एक सी ही थी। यहां तक की विजयगढ़ और जयगढ़ राज्यों की लड़कियों की शादी भी एक दूसरे राज्य में होती थी। अंतर की बात करें, तो यही था कि जयगढ़ की …
Read More »मुंशी प्रेमचंद की कहानी : माता का हृदय!!
माधवी के पति की 22 साल पहले मौत हो गई थी। उसके पास कोई धन दौलत नहीं थी और संपत्ति के नाम पर सिर्फ एक बेटा था, जो इस वक्त जेल में बंद था। अपने उस घर में वो अकेली पड़ गई थी और उसके आंसू तक पोंछने वाला कोई नहीं था। माधवी ने बड़ी दुख तकलीफों को झेलते हुए …
Read More »मुंशी प्रेमचंद की कहानी : ईदगाह!!
रमजान का पाक महीना खत्म होने के बाद आखिरकार वो दिन आ गया जिसका सबको इंतजार था। आज ईद का दिन है। इस मनोहर और सुंदर दिन की बधाई पूरे गांव में किसी शहनाई की तरह गूंज रही है। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आ रही है। खेतों में अलग ही रौनक नजर आ रही है। हर जगह देखकर …
Read More »मुंशी प्रेमचंद की कहानी : अंधेर!!
साठे में नागपंचमी के दिन सभी जवान लड़कों ने अलग-अलग रंगों की कुश्ती के कपड़े सिलवाए। ढोल-नगाड़े बज रहे थे, क्योंकि कुश्ती का मुकाबला होने वाला था। महिलाएं आंगन को गोबर से लीपकर गीत गाती हुई नाग देवता को पूजने के लिए कटोरी में दूध लेकर जा रही थीं। साठे की तरह ही पाठे दोनों गंगा किनारे बसे हुए गांव …
Read More »मुंशी प्रेमचंद की कहानी : आप-बीती
साहित्यकारों की जिंदगी में एक ऐसा वक्त भी जरूर आता है, जब प्रशंसकों की तरफ से उन्हें ढेरों पत्र प्राप्त होते हैं और वो खुशी से झूम उठते हैं। यह एक ऐसा वक्त होता है जब लेखक अपनी सारी समस्याओं को भूल खुशी का अनुभव करता है। वो पत्रों के सागर में डूब जाता है और लहरों के साथ कल्पना …
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