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story katha

ट्रैन में सफर कर रहे लोगो के साथ

TC asked about thirteen-fourteen year old girls hiding under the berth

टिकट कहाँ है टी सी ने बर्थ के नीचे छिपी लगभग तेरह – चौदह साल की लडकी से पूछा टिकिट नहीं है साहब काँपती हुई हाथ जोड़े लडकी बोली, तो गाड़ी से उतरो  टीसी ने कहा, इसका टिकट मैं दे रहीं हूँ, पीछे से ऊषा भट्टाचार्य की आवाज आई जो पेशे से प्रोफेसर थी । तुम्हें कहाँ जाना है  लड़की …

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राम राम क्यों कहा जाता है

Have you ever wondered why many people meet each other

क्या कभी सोचा है कि बहुत से लोग जब एक दूसरे से मिलते हैं तो आपस में एक दूसरे को दो बार ही “राम राम” क्यों बोलते हैं ? एक बार या तीन बार क्यों नही बोलते ? दो बार “राम राम” बोलने के पीछे बड़ा गूढ़ रहस्य है क्योंकि यह आदि काल से ही चला आ रहा है… हिन्दी …

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जब गलती नहीं तो गलती की सजा क्यों

'Swaraj is our birthright and we will continue to do it', the life of Balgangadhar Tilak

  ‘स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर ही रहेंगे’ यह ओजपूर्ण नारा देने वाले बालगंगाधर तिलक का जीवन भी इन्ही वाक्यों की तरह रहा है। बात उस समय की है जब बाल गंगाधर तिलक उम्र में छोटे थे। वह अपने विद्यालय में थे। उस समय सारे विद्यार्थी कक्षा में मूंगफली खा रहे थे। बच्चों ने मूंगफली के …

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नागाओं ने अलग देश की मांग की तो सांसत में आ गया था पूरा देश

Anecdote is of fifty years

भारत के सामने एक देश के रूप में जो चुनौतियां हैं, उनमें आतंकवाद सबसे ज्यादा हिंसक और खूंखार है। आजादी के बाद से ही कश्मीर पर कब्जे की लड़ाई में पाकिस्तान इस कार्ड को छद्म ढंग से खेलकर भारत को परेशान करता रहा है। मगर एक समय ऐसा भी था जब आतंकवाद कहीं पीछे छूट गया था और नईदिल्ली का …

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सुख की तलाश में सुखी की खोज

King Kunwar Singh was very rich. They did not lack anything

राजा कुंवरसिंह जी बड़े अमीर थे। उन्हें किसी चीज की कमी नहीं थी। उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं था। बीमारी के मारे वे सदा परेशान रहते थे। कई वैद्यों ने उनका इलाज किया, लेकिन उनको कुछ फायदा नहीं हुआ। राजा की बीमारी बढ़ती गई। सारे नगर में यह बात फैल गई। तब एक बूढ़े ने राजा के पास आकर कहा, ‘महाराज, …

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चालाकी का फल

Firstly, he found a girl feeding his old hen. But did not find him anywhere

एक थी बुढ़िया, बेहद बूढ़ी पूरे नब्बे साल की। एक तो बेचारी को ठीक से दिखाई नहीं पड़ता था ऊपर से उसकी मुर्गियाँ चराने वाली लड़की नौकरी छोड़ कर भाग गयी। बेचारी बुढ़िया! सुबह मुर्गियों को चराने के लिये खोलती तो वे पंख फड़फड़ाती हुई सारी की सारी बुढिया के घर की चारदीवारी फाँद कर अड़ोस पड़ोस के घरों में …

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सचमुच! भक्त भी भगवान को देते हैं सीख

This thing is in Tretayug at that time when the boat is washing the feet of Lord,

यह बात त्रेतायुग में उस समय की है जब केवट भगवान के चरण धो रहा हैं, वह भगवान राम का एक पैर धोते और उसे निकालकर कठौती से बाहर रख देते हैं। और जब दूसरा धोने लगता है तो पहला वाला पैर गीला होने से जमीन पर रखने से धूल भरा हो जाता है। केवट दूसरा पैर बाहर रखता है। …

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यहां मौजूद है मन की हलचल को दूर करने का अचूक उपाय

Here is the perfect remedy for the movement of mind

महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के संग जंगल से गुजर रहे थे। दोपहर को एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने रुके। उन्होंने शिष्य से कहा, ‘प्यास लग रही है, कहीं पानी मिले, तो लेकर आओ।’ शिष्य एक पहाड़ी झरने से लगी झील से पानी लेने गया। झील से कुछ पशु दौड़कर निकले थे, जिससे उसका पानी गंदा हो गया था। उसमें …

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लोहा खा गया घुन!

एक बार की बात है दो व्यक्ति थे, जिनका नाम था मामा और फूफा। मामा और फूफा दोनों व्यापार करते थे और दोनों व्यापार में सहभागी थे। मामा ने फूफा से कहा,” फूफा क्यों ना हम कोई ऐसी वस्तु खरीद लें जो जल्दी खराब ना हो और उसकी कीमत भी बढती रहे; फिर हम उसे कुछ वर्षो बाद बेचें जिससे …

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लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की विनोदप्रियता

Lokmanya

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक धुन के पक्के थे। उनकी एक और विशेषता उनकी विनोदप्रियता थी। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी वह मनोविनोद करते हुए समस्या को सुलझा लेते थे। वह ‘केसरी’ नाम का मराठी दैनिक अखबार निकालते थे, जिसके तीखे तेवर से अंग्रेज सरकार परेशान रहती थी। वह छोटी-छोटी बात को लेकर उन पर मुकदमा कर देती थी। एक …

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