यदि नाथ का नाम दयानिधि है, तो दया भी करेंगे कभी न कभी । दुखहारी हरी, दुखिया जन के, दुख क्लेश हरेगें कभी न कभी । जिस अंग की शोभा सुहावनी है, जिस श्यामल रंग में मोहनी है । उस रूप सुधा से स्नेहियों के, दृग प्याले भरेगें कभी न कभी । जहां गीध निषाद का आदर है, जहां व्याध …
Read More »Bhajan/Aarti / Mantra/ Chalisa Lyrics
यही हरि भक्त कहते हैं
यही हरि भक्त कहते हैं, यही सद्ग्रन्थ गाते हैं । कि जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं । नहीं स्वीकार करते हैं, निमंत्रण नृप दुर्योधन का । विदुर के घर पहुंचकर, भोग छिलकों का लगाते हैं । न आये मधुपुरी से गोपियों की, दुख कथा सुनकर । द्रुपदजी की दशा पर, द्वारका से दौड़े आते हैं । …
Read More »अब सौंप दिया इस जीवन का
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में… उद्धार पतन अब मेरा है भगवान तुम्हारे हाथों में … हम तुमको कभी नहीं भजते, फिर भी तुम हमें नहीं तजते. अपकार हमारे हाथों में, उपकार तुम्हारे हाथों में.. अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में… हम में तुम में है भेद यही, हम नर …
Read More »भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना
भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना । अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना ॥दल बल के साथ माया, घेरे जो मुझ को आ कर । तुम देखते ना रहना, झट आ के बचा लेना ॥ भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना । संभव है झंझटों में मैं तुझ को भूल जाऊं । पर नाथ कहीं …
Read More »सुनि कान्हा तेरी बांसुरी
सुनि कान्हा तेरी बांसुरी बांसुरी तेरी जादू भरी सारा गोकुल लगा झूमने क्या अजब मोहिनी छा गयी मुग्ध यमुना थिरकने लगी तान बंसी की तड़पा गयी मैं तो जैसे हुई बावरी सुनि कान्हा तेरी बांसुरी बांसुरी तेरी जादू भरी हौले से कोई धुन छेड के तेरी बंसी तो चुप हो गयी सात स्वर के भंवर में कहीं मेरे मन की …
Read More »जय जय आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला वेणु गोपाला वेणु लोला पाप विदुरा नवनीत चोरा जय जय आरती वेंकटरमणा वेंकटरमणा संकटहरणा सीता राम राधे श्याम जय जय आरती गौरी मनोहर गौरी मनोहर भवानी शंकर साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर जय जय आरती राज राजेश्वरि राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि महा सरस्वती महा लक्ष्मी महा काली महा लक्ष्मी जय जय आरती आन्जनेय आन्जनेय हनुमन्ता जय जय …
Read More »आरती – हर हर हर महादेव
हर हर हर महादेव ! सत्य, सनातन, सुंदर, शिव ! सबके स्वामी । अविकारी, अविनाशी, अज, अंतर्यामी ॥१॥ हर हर० आदि अनंत, अनामय, अकल, कलाधारी । अमल, अरूप, अगोचर, अविचल अघहारी ॥२॥ हर हर० ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर, तुम त्रिमूर्तिधारी । कर्ता, भर्ता, धर्ता तुम ही संहारी ॥३॥ हर हर० रक्षक, भक्षक, प्रेरक, तुम औढरदानी । साक्षी, परम अकर्ता कर्ता अभिमानी …
Read More »आरती – जय जगदीश हरे
जय जगदीश हरे प्रभु ! जय जगदीश हरे ! मायातीत, महेश्वर, मन-बच-बुद्धि परे ॥टेक॥ आदि, अनादि, अगोचर, अविचल, अविनाशी । अतुल, अनंत, अनामय, अमित शक्ति-राशी ॥१॥ जय० अमल, अकल, अज, अक्षय, अव्यय, अविकारी । सत-चित-सुखमय, सुंदर, शिव, सत्ताधारी ॥२॥ जय० विधि, हरि, शंकर, गणपति, सूर्य, शक्तिरूपा । विश्व-चराचर तुमही, तुमही जग भूपा ॥३॥ जय० माता-पिता-पितामह-स्वामिसुह्रद भर्ता । विश्वोत्पादक-पालक-रक्षक-संहर्ता ॥४॥ जय० …
Read More »आरती श्री रामायणजी की
आरती श्री रामायणजी की आरती श्री रामायणजी की . कीरति कलित ललित सिय पी की .. गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद . बालमीक बिग्यान बिसारद .. सुक सनकादि सेष और सारद . बरन पवन्सुत कीरति नीकी .. गावत बेद पुरान अष्टदस . छओं सास्त्र सब ग्रंथन को रस .. मुनि जन धन संतन को सरबस . सार अंस सम्म्मत सब ही …
Read More »आरती हनुमानजी की
आरति कीजै हनुमान लला की आरति कीजै हनुमान लला की .दुष्ट दलन रघुनाथ कला की .. जाके बल से गिरिवर काँपेरोग दोष जाके निकट न झाँके .अंजनि पुत्र महा बलदायीसंतन के प्रभु सदा सहायी ..आरति कीजै हनुमान लला की . दे बीड़ा रघुनाथ पठायेलंका जाय सिया सुधि लाये .लंका सौ कोटि समुद्र सी खाईजात पवनसुत बार न लाई ..आरति कीजै …
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