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Work of Krishnananda Saraswati

Work of Krishnananda Saraswati Worshipful Sri Swami Krishnanandaji Maharaj took birth on the 25th of April, 1922, and was named Subbaraya. He was the eldest of five children in a highly religious and orthodox Brahmin family well versed in the Sanskrit language, the influence of which was very profound on the young boy. He attended high school in Puttur (South …

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देखो फिर नवरात्रि आये

dekho phir navaraatri aaye

बही भक्ति की गंगा-यमुना, श्रद्धाओं के दीप जलाये। देखो फिर नवरात्रे आये। कोई माँ का भवन बुहारे, कोई तोरणद्वार सँवारे, यज्ञ-हवन में लगे सभी ही, लगा रहे माँ के जयकारे। भोग लगाता कोई माँ को, कोई चुनरी लाल चढ़ाये, देखो फिर नवरात्रे आये। अम्बर कितना चमक रहा है, मातामय हो दमक रहा है, मेघों का पानी भी जैसे, अमृत बनके …

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श्री गायत्री चालीसा

ह्रीं श्रीं क्लीं मेधा प्रभा जीवन ज्योति प्रचण्ड ॥ शान्ति कान्ति जागृत प्रगति रचना शक्ति अखण्ड ॥ १॥ जगत जननी मङ्गल करनि गायत्री सुखधाम । प्रणवों सावित्री स्वधा स्वाहा पूरन काम ॥ २॥ भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी । गायत्री नित कलिमल दहनी ॥॥ अक्षर चौविस परम पुनीता । इनमें बसें शास्त्र श्रुति गीता ॥॥ शाश्वत सतोगुणी सत रूपा । …

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श्री लक्ष्मी चालीसा

Bhawani Mere Ghar Aavo Story

॥ दोहा॥ मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास। मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस॥ ॥ सोरठा॥ यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं। सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥ ॥ चौपाई ॥ सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥ तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥ जय जय जगत जननि …

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जय हरिहर

Jai Harihar Bhajan

हरि-हर, शिव-विष्णु एक ही आदिशक्ति के दो स्वरुप, एक पालन करते हैं, दूसरा नवसृजन के पहले विनाश करते हैं। सृष्टि की यही कार्यप्रणाली स्थापित की गई है। एक ही दिव्य ज्योति से दोनो ही प्रकट हुए हैं। दोनो में न कोई भेद है और न ही कोई अंतर। भगवान विष्णु को भजे बिना शिव प्रसन्न नहीं होते और महादेव के …

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बृहस्पति देव

Bhraspati Dev Stoty

देव गुरु बृहस्पति पीत वर्ण के हैं। उनके सिरपर स्वर्ण मुकुट तथा गले में सुन्दर माला हैं । वे पीत वस्त्र धारण करते हैं तथा कमल के आसन पर विराजमान हैं । उनके चार हाथों में क्रमशः- दण्ड, रुद्राक्ष की माला , पात्र और वरमुद्रा सुशोभित हैं।महाभारत आदिपर्व के अनुसार बृहस्पति महर्षि अङ्गिरा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित हैं। …

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क्या आप भगवती लक्ष्मी के 18 पुत्रो के नाम जानते हैं।

Kya aap bhagwati luxmi

इनके प्रतिदिन इनके नाम के आरंभ में ‘ॐ’ और अंत में ‘नम:’ लगाकर जप करने से मनचाहे धन की प्राप्ति होती है। जैसे : 1 ) ॐ देवसखाय नम: 2 ) ॐ चिक्लीताय नम: 3 ) ॐ आनंदाय नम: 4 ) ॐ कर्दमाय नम: 5 ) ॐ श्रीप्रदाय नम: 6 ) ॐ जातवेदाय नम: 7 ) ॐ अनुरागाय नम: 8 …

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भगवान शिव के लिए माता पार्वती ने किया था घोर तप

Bhagwan Shiv Ke liye

शिवपुराण में कथा है कि ब्रह्माजी के आदेशानुसार भगवान शंकर को वरण करने के लिए पार्वती ने कठोर तप किया था। ब्रह्मा के आदेशोपरांत महर्षि नारद ने पार्वती को पंचाक्षर मंत्र ‘शिवाय नमः’ की दीक्षा दी। दीक्षा लेकर पार्वती सखियों के साथ तपोवन में जाकर कठोर तपस्या करने लगीं। उनके कठोर तप का वर्णन शिवपुराण में आया है। माता-पिता की …

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वेदवती का रावण को श्राप

vedvati ka ravan ko shrap Story

  राजा धर्मद्वज का कुशध्वज नामक एक धर्मात्मा भाई था। उसका विवाह मालावती नामक युवती से हुआ। धर्मध्वज के भांति कुशध्वज भी भगवती जगदम्बा का अनन्य भक्त था। वह प्रतिदिन उनके मायाबीज मंत्र का जाप करता था। भगवती कि कृपा से कुशध्वज के घर एक सुन्दर कन्या उत्पन्न हुई। वह कन्या महालक्ष्मी का अंश थी। जन्म लेते ही वह कन्या …

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माता सीता के स्वयंवर की कथा

Mata Sita Ke svemver Ki katha

  सीता के स्वयंवर की कथा वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस के बालकांड सहित सभी रामकथाओं में मिलती है। वाल्मीकि रामायण में जनक द्वारा सीता के लिए वीर्य शुल्क का संबोधन मिलता है। जिसका अर्थ है राजा जनक ने यह निश्चय किया था कि जो व्यक्ति अपने पराक्रम के प्रदर्शन रूपी शुल्क को देने में समर्थ होगा, वही सीता से …

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