We all have a sense of memory of what happened to us in the past or beyond the past, and sometimes we have a memory of what has happened, but not in this time and space. It is called Ankaray Karm. Memory is very important. To remember we are human is very important, but we mostly forget. Our anger, negativity …
Read More »Guru Parvachan
लक्ष्य पर ध्यान: स्वामी विवेकानन्द
स्वामी विवेकानन्द अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे। एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा। किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था। तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे। उन्होंने पहला …
Read More »संवाद संभव न होने पर मौन रहना उचित
एक बहरा चरवाहा पहाड़ों पर भेड़ें चरा रहा था। दोपहर हो गई थी लेकिन उसकी पत्नी अभी तक भोजन लेकर नहीं आई थी। जब भूख असहनीय हो गई तो वह अपने स्थान से थोड़ा नीचे उतरा कि तभी उसे एक लकड़हारा पेड़ पर बैठा दिखाई दिया। चरवाहे ने नीचे से ही कहा- जरा मेरी भेड़ों का ख्याल रखना भाई, मै …
Read More »मगर ईश्वर पर मुझे भरोसा नहीं आता: ओशो
मैंने सुना. पुरी के शंकराचार्य दिल्ली में ठहरे हुए थे। और एक आदमी ने खड़े होकर उनसे जिज्ञासा की कि मैं खोजी हूं। मगर ईश्वर पर मुझे भरोसा नहीं आता, विश्वास नहीं होता। मुझे भरोसा दिलवाइए। कुछ ऐसा प्रमाण दीजिए कि ईश्वर है। और पता है, शंकराचार्य ने क्या कहा! शंकराचार्य ने उस आदमी की तरफ क्रोध से देखा और …
Read More »Bhagavad Gita :अध्याय 11 श्लोक 11 – 43 ,
आप इस चर तथा अचर सम्पूर्ण दृश्यजगत के जनक हैं । आप परम पूज्य महान आध्यात्मिक गुरु हैं । न तो कोई आपके तुल्य है, न ही कोई आपके समान हो सकता है । हे अतुल शक्ति वाले प्रभु! भला तीनों लोकों में आपसे बढ़कर कोई कैसे हो सकता है? तात्पर्य भगवान् कृष्ण उसी प्रकार पूज्य हैं, जिस प्रकार पुत्र …
Read More »बीता हुआ कल
बुद्ध भगवान एक गाँव में उपदेश दे रहे थे. उन्होंने कहा कि “हर किसी को धरती माता की तरह सहनशील तथा क्षमाशील होना चाहिए. क्रोध ऐसी आग है जिसमें क्रोध करनेवाला दूसरोँ को जलाएगा तथा खुद भी जल जाएगा.” सभा में सभी शान्ति से बुद्ध की वाणी सून रहे थे, लेकिन वहाँ स्वभाव से ही अतिक्रोधी एक ऐसा व्यक्ति भी …
Read More »बुद्ध और अनुयायी (story of Buddha and his followers)
भगवान् बुद्ध क एक अनुयायी ने कहा , ” प्रभु ! मुझे आपसे एक निवेदन करना है .” बुद्ध: बताओ क्या कहना है ? अनुयायी: मेरे वस्त्र पुराने हो चुके हैं . अब ये पहनने लायक नहीं रहे . कृपया मुझे नए वस्त्र देने का कष्ट करें ! बुद्ध ने अनुयायी के वस्त्र देखे , वे सचमुच बिलकुल जीर्ण हो …
Read More »परमात्मा हारता ही नहीं
रवींद्रनाथ ने कहा है, बनाए जाता है। हम चाहे उसकी मर्जी पूरी करें, न करें; मगर वह थकता नहीं। वह नये-नये संस्करण भेजता ही चला जाता है। वह जगत को रोक नहीं देता। यह उसके प्रेम की लीला है। तुम पात्र ही हो। पात्रता के लिए कुछ और करना नहीं है। लेकिन तुम्हारे धर्मगुरुओं ने तुम्हें सिखाया है कि पात्रता के …
Read More »निरंतर आगे की ओर बढ़ते रहेंगे। (keep moving forward)
हिन्दू धर्म में दीपक को अग्नि देव का स्वरूप माना गया है। अग्नि देव की उपस्थिति से नकारात्मक उर्जा एवं बुरी शक्तियां दूर रहती हैं। आत्मा प्रकाशित होती है और सात्विक गुणों में वृद्धि होती है। उपनिषद् में लिखा है कि तमसो मा ज्योतिर्गमय इसका अर्थ है अंधेरे से प्रकाश की ओर चलो। प्रकाश नूतनता और नवीनता का सूचक है। …
Read More »गौतम बुद्ध
गौतम बुद्ध ज्ञान को उपलब्ध होने के बाद घर वापस लौटे। बारह साल बाद वापस लौटे। जिस दिन घर छोड़ा था, उनका बच्चा, उनका बेटा एक ही दिन का था। राहुल एक ही दिन का था। जब आए तो वह बारह वर्ष का हो चुका था। और बुद्ध की पत्नी यशोधरा बहुत नाराज थी। स्वभावत:। और उसके एक बहुत महत्वपूर्ण सवाल पूछा। …
Read More »