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Guru Parvachan

भगवान श्री राम और केवट संवाद

जब केवट प्रभु के चरण धो चुका, तो भगवान कहते हैं:- भाई, अब तो गंगा पार करा दे।इस पर केवट कहता है – प्रभु, नियम तो आपको पता ही है कि जो पहले आता है उसे पहले पार उतारा जाता है। इसलिए प्रभु अभी थोड़ा और रुकिये। तब भगवान् कहते हैं- भाई, यहाँ तो मेरे सिवा और कोई दिखायी नहीं …

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भगवान शिवजी का गृहपति अवतार !

भगवान विष्‍णु के अनेक अवतार हुए हैं, वैसेही भगवान शिवजी के भी अवतार हुए है । भगवान शिवजी के अनेक अवतारों में से सातवे अवतार है गृहपति । आज हम उनके इस अवतार की कथा सुनेंगे । नर्मदा नदी के तट पर धर्मपुर नाम का एक नगर था । वहां विश्‍वानर नाम के एक ऋषि और उनकी पत्नी शुचिष्‍मती रहती …

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लक्ष्मणजी की तपस्‍या प्रभु श्रीरामजी के साथ !

प्रभु श्रीरामजी के तीनों भाई अर्थात् लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्‍न उनकी सेवा करते थे । वे श्रीरामजी को पिता समान मानते थे और उनकी आज्ञा का पालन करते थे । प्रभु श्रीरामजी के साथ लक्ष्मणजी वनवास गए थे । प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण इनमें अगाध प्रेम था । रावण के साथ जब महाभयंकर युद्ध हुआ था, तब लक्ष्मणजी ने रावण …

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सनातन धर्म की जानकारी

1-अष्टाध्यायी पाणिनी2-रामायण वाल्मीकि3-महाभारत वेदव्यास4-अर्थशास्त्र चाणक्य5-महाभाष्य पतंजलि6-सत्सहसारिका सूत्र नागार्जुन7-बुद्धचरित अश्वघोष8-सौंदरानन्द अश्वघोष9-महाविभाषाशास्त्र वसुमित्र10- स्वप्नवासवदत्ता भास11-कामसूत्र वात्स्यायन12-कुमारसंभवम् कालिदास13-अभिज्ञानशकुंतलम् कालिदास14-विक्रमोउर्वशियां कालिदास15-मेघदूत कालिदास16-रघुवंशम् कालिदास17-मालविकाग्निमित्रम् कालिदास18-नाट्यशास्त्र भरतमुनि19-देवीचंद्रगुप्तम विशाखदत्त20-मृच्छकटिकम् शूद्रक21-सूर्य सिद्धान्त आर्यभट्ट22-वृहतसिंता बरामिहिर23-पंचतंत्र। विष्णु शर्मा24-कथासरित्सागर सोमदेव25-अभिधम्मकोश वसुबन्धु26-मुद्राराक्षस विशाखदत्त27-रावणवध। भटिट28-किरातार्जुनीयम् भारवि29-दशकुमारचरितम् दंडी30-हर्षचरित वाणभट्ट31-कादंबरी वाणभट्ट32-वासवदत्ता सुबंधु33-नागानंद हर्षवधन34-रत्नावली हर्षवर्धन35-प्रियदर्शिका हर्षवर्धन36-मालतीमाधव भवभूति37-पृथ्वीराज विजय जयानक38-कर्पूरमंजरी राजशेखर39-काव्यमीमांसा राजशेखर40-नवसहसांक चरित पदम् गुप्त41-शब्दानुशासन राजभोज42-वृहतकथामंजरी क्षेमेन्द्र43-नैषधचरितम श्रीहर्ष44-विक्रमांकदेवचरित बिल्हण45-कुमारपालचरित हेमचन्द्र46-गीतगोविन्द जयदेव47-पृथ्वीराजरासो चंदरवरदाई48-राजतरंगिणी कल्हण49-रासमाला सोमेश्वर50-शिशुपाल वध माघ51-गौडवाहो वाकपति52-रामचरित …

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भगवान को प्रणाम करने का सही तरीका ?

एक बार चित्र को गौर से देखिए फिर पोस्ट पढ़े। भारतीय महिलाएं दंडवत प्रणाम क्यों नहीं करती हैं ? ये है भगवान को प्रणाम करने का सही तरीका। आपने कभी ये देखा है कि कई लोग मूर्ति के सामने लेट कर माथा टेकते है। जी हां इसी को साष्टांग दंडवत प्रणाम कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है …

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वो बंद दरवाजे बुलाते हैं पर कोई नहीं आता

किसी दिन सुबह उठकर एक बार इसका जायज़ा लीजियेगा कि कितने घरों में अगली पीढ़ी के बच्चे रह रहे हैं? कितने बाहर निकलकर नोएडा, गुड़गांव, पूना, बेंगलुरु, चंडीगढ़,बॉम्बे, कलकत्ता, मद्रास, हैदराबाद, बड़ौदा जैसे बड़े शहरों में जाकर बस गये हैं? कल आप एक बार उन गली मोहल्लों से पैदल निकलिएगा जहां से आप बचपन में स्कूल जाते समय या दोस्तों …

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बुज़ुर्ग बोझ नहीं, अनमोल धरोहर: जापानी लोक-कथा!!

जापान के एक राज्य में किसी वक्त क़ानून था कि बुजुर्गों को एक निश्चित उम्र में पहुंचने के बाद जंगल में छोड़ आया जाए…जो इसका पालन नहीं करता था, उसे संतान समेत फांसी की सज़ा दी जाती थी…उसी राज्य में पिता-पुत्र की एक जोड़ी रहती थी…दोनों में आपस मे बहुत प्यार था…उस पिता को भी एक दिन जंगल में छोड़ने …

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काला काला काला नी सहेलियो

gopal sawariya

काला काला काला नी सहेलियोकाले ने बहुत सताया नी सहेलियो जद काले ने जन्म लैया सीजैला चे हो गया उजाला नी सहेलियो जद काले नू टोकरी चे पा लैयाजैला दा खुल गया ताला नी सहेलियो जद काले नू यमुना चे लै गयेयमुना ने मारया उछाला नी सहेलियो जद काले नू यशोदा कौल लै गयेयशोदा ने पा लैया काला नी सहेलियो …

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तृष्णा के दुष्परिणाम

तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ काशी नरेश राजा विश्वसेन के पुत्र थे। पिता ने सोलह वर्ष की आयु में ही उन्हें सत्ता सौंप दी थी, लेकिन कुछ ही वर्षों में सांसारिक सुखों से उन्हें विरक्ति होने लगी। एक दिन उन्होंने अपने पिताश्री से कहा, ‘मैंने काफी समय तक राजा के रूप में सांसारिक सुख-सुविधाओं का उपभोग किया है, फिर भी सुख के …

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ब्रह्मविद्या का ज्ञान

सतयुग में महर्षि दध्यंग आथर्वण अग्रणी ब्रह्मवेत्ता के रूप में विख्यात थे। देव शिरोमणि इंद्र उनकी ख्याति सुनकर एक दिन उनके आश्रम में पहुँचे। इंद्र ने कहा, ‘महर्षि, मेरी मनोकामना पूर्ण करने के लिए मुझे वरदान देने का वचन दें। महर्षि आतिथ्य स्वीकार को बहुत महत्त्व देते थे, अतः उन्होंने वचन देकर उनसे बैठने को कहा। महर्षि ने पूछा, ‘अतिथिवर, …

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