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Guru Parvachan

अंतिम सत्य

ऐसी उपनिषद में प्यारी कथा है। याज्ञवल्क्य छोड़ कर जा रहा है। जीवन के अंतिम दिन आ गए हैं और अब वह चाहता है कि दूर खो जाए किन्हीं पर्वतों की गुफाओं में। उसकी दो पत्नियां थीं और बहुत धन था उसके पास। वह उस समय का प्रकांड पंडित था। उसका कोई मुकाबला नहीं था पंडितों में। तर्क में उसकी …

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प्रभू का पत्र [God’s Letter]

Colorful religious krishna janmashtami card background

दोस्तो…………….हम अपने मित्रों और सग्गे सम्बन्धियों को तोह अक्सर ही सन्देश भेजते है। किन्तु आज हम आपको प्रभू के द्वारा लिखा गया एक ऐसा पत्र पढ़ के सुनाएंगे जो उन्होंने अपने एक भगत के लिए लिखा। प्रभू लिखते हैं … मेरे प्रिय… जब तुम सुबह सो कर उठे तो मैं तुम्हारे बिस्तर के पास ही खड़ा था। मुझे लगा की …

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ऐसी बातों में समय न गवाएं

time

भगवान बुद्ध समय की महत्ता को बेहद अच्छी तरह से जानते थे। वह अपना हर क्षण कभी भी व्यर्थ नहीं जाने देते थे। एक बार उनके पास एक व्यक्ति आया और बोला, तथागत आप हर बार विमुक्ति की बात करते हैं। आखिर यह दुःख होता किसे है? और दुःख को कैसे दूर किया जा सकता है? प्रश्नकर्ता का प्रश्न निरर्थक …

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मुनिवर तरूण सागर जी

TARUN-SAGAR-JAIN-GURU

दर्शन शारीरिक अंतिम यात्रा… मुनिवर तरूण सागर जी की। इनकी छवि तो हृदय मे जीवन भर बनी रहेगी। जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज अखिल ब्रह्मांड में विलीन। मंजिल सोचने से नहीं चलने से मिलती है: तरुण सागर जी महाराज। महाराज जी जीवन भर कड़वा बोलकर लोगों के जीवन में अमृत घोलते रहे। ऐसा जीवन जी लेना बड़े बड़े महापुरुषों …

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बाहरी वेश-भूषा से व्यक्ति की सही पहचान नहीं हो सकती

Sikshapard Khaniya

एक नौजवान शिष्य अपने गुरु के पास पहुंचा और बोला , ” गुरु जी एक बात समझ नहीं आती , आप इतने साधारण वस्त्र क्यों पहनते हैं …इन्हे देख कर लगता ही नहीं कि आप एक ज्ञानी व्यक्ति हैं जो सैकड़ों शिष्यों को शिक्षित करने का महान कार्य करता है . गुरु जी मुस्कुराये . फिर उन्होंने अपनी ऊँगली से …

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हनुमानजी देव हैं, देवताओं से ऊपर हैं

हनुमानजी देव हैं, देवताओं से ऊपर हैं. मैं ऐसा क्यों कहता हूं उसके पीछे कारण है. इंद्र भी देव हैं, बल्कि देवराज हैं. श्रीयुक्त हैं, यानी लक्ष्मीजी की कृपा छाया में हैं परंतु देवराज में मत्सर है. मत्सर यानी अभिमान, सृष्टि के अस्तित्व में अपने श्रेय को बढ़ा-चढ़ाकर देखने की लोलुपता, हर स्थान पर अपने गुणगान के लालायित रहने का …

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क्या है हमारा नैतिक धर्म

गौतम बुद्ध जिस वृक्ष के नीचे साधना कर बोध प्राप्त किया था। वह उसके प्रति वे अत्यंत ममता तथा श्रद्धाभाव रखते थे। जब भी वे वहां से गुजते तो बोधी वृक्ष का दर्शन करते नहीं थकते थे। एक दिन एक नए शिष्य ने उन्हें बोधि बृक्ष को नमन करते हुए पूछा, ‘प्रभु! आप एक जड़ वस्तु को नमन क्यों करते …

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यहां मौजूद है मन की हलचल को दूर करने का अचूक उपाय

Here is the perfect remedy for the movement of mind

महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के संग जंगल से गुजर रहे थे। दोपहर को एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने रुके। उन्होंने शिष्य से कहा, ‘प्यास लग रही है, कहीं पानी मिले, तो लेकर आओ।’ शिष्य एक पहाड़ी झरने से लगी झील से पानी लेने गया। झील से कुछ पशु दौड़कर निकले थे, जिससे उसका पानी गंदा हो गया था। उसमें …

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एक लाख आदमी मर जाएं तुम्हारे हाथ से गिराए बम से

hiroshima & Nagashaki

जिस आदमी ने हिरोशिमा पर ऐटम बम गिराया और एक ऐटम बम के द्वारा एक लाख आदमी दस मिनिट के भीतर राख हो गए, वह वापिस लौट कर सो गया। जब सुबह उससे पत्रकारों ने पूछा कि तुम रात सो सके? उसने कहा, क्यों? खूब गहरी नींद सोया! आज्ञा पूरी कर दी, बात खत्म हो गई। इससे मेरा लेना—देना ही …

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