शबरी को आश्रम सौंपकर महर्षि मतंग जब देवलोक जाने लगे, तब शबरी भी साथ जाने की जिद करने लगी।शबरी की उम्र दस वर्ष थी। वो महर्षि मतंग का हाथ पकड़ रोने लगी।महर्षि शबरी को रोते देख व्याकुल हो उठे। शबरी को समझाया “पुत्री इस आश्रम में भगवान आएंगे, तुम यहीं प्रतीक्षा करो।”अबोध शबरी इतना अवश्य जानती थी कि गुरु का …
Read More »Guru_Profile
राधा रानी जी और फूल सखी
बरसाना में फूल सखी नाम का एक मुस्लिम था यद्यपि वो एक मुस्लिम था फिर भी उसकी राधा रानी में अपार श्रद्धा थी और तो और उसकी एक बेटी थी जिसका नाम भी उसने राधा रखा था.फूलसखी सारंगी बजाने का काम करता था कोई भी उत्सव होता तो वो सारंगी बजाता और उसकी बेटी राधा उसकी धुनों पर नृत्य करती.इसी …
Read More »“सच्ची पूजा का फल”
किसी नगर में एक बुढ़िया रहती थी। वह ग्वालिन थी उसके चार पुत्र और एक पुत्री थी। एक समय नगर में हैजा की बीमारी फैली। एक-एक करके बुढ़िया के पति और चारों पुत्र चल बसे। अब एक मात्र लड़की रह गयी। पति और पुत्रों के न रहने पर बुढ़िया की पीड़ा असह्य हो गयी।बुढ़िया के पास अधिक जगह-जमीन न थी। …
Read More »मैं निपट अज्ञानी हूं
मैं निपट अज्ञानी हूंमैंने सुना है, एक सूफी फकीर के आश्रम में प्रविष्ट होने के लिये चार स्त्रियां पहुंचीं। उनकी बड़ी जिद थी, बड़ा आग्रह था। ऐसे सूफी उन्हें टालता रहा, लेकिन एक सीमा आई कि टालना भी असंभव हो गया। सूफी को दया आने लगी, क्योंकि वे द्वार पर बैठी ही रहीं – भूखी और प्यासी; और उनकी प्रार्थना …
Read More »बाहर की दुनिया
कवि गालिब को एक दफा बहादुरशाह ने भोजन का निमंत्रण दिया था। गालिब था गरीब आदमी। और अब तक ऐसी दुनिया नहीं बन सकी कि कवि के पास भी खाने-पीने को पैसा हो सके। अच्छे आदमी को रोजी जुटानी अभी भी बहुत मुश्किल है।गालिब तो गरीब आदमी थे। कविताएं लिखी थीं, ऊँची कविताएं लिखने से क्या होता है? कपड़े उसके …
Read More »परमात्मा कहां है?
हसीद फकीर हुआ, बालसेन। उससे मिलने कुछ औरहसीद फकीर आए हुए थे। चर्चा चल पड़ी—— एक बड़ी दार्शनिक चर्चा ——परमात्मा कहां है?किसी ने कहा, पूरब में, क्योंकि पूरब से सूरज ऊगता है। और किसी ने कहा कि जेरूसलम में, क्योंकि यहूदी ही परमात्मा के चुने हुए लोग हैं, और परमात्मा ने ही मूसा के द्वारा यहूदियों को जेरूसलम तक पहुंचाया। …
Read More »उड़े बिना जीवन में कोई गति नहीं है।
कुछ वर्ष पहले पहलगांव (कश्मीर) में एक घटना घटी, जो मुझे भूले नहीं भूलती। एक वृक्ष के नीचे बैठा था। ऊंचाई पर वृक्ष में छोटा—सा एक घोंसला था, और जो घटना उस घोंसले में घट रही थी उसे मैं देर तक देखता रहा, क्योंकि वही घटना शिष्य और गुरु के बीच घटती है। कुछ ही दिन पहले अंडा तोड़कर किसी …
Read More »कोल्हू का बैल
मैंने सुना है, एक दार्शनिक, एक तार्किक, एक महापंडित सुबह-सुबह तेल खरीदने तेली की दुकान पर गया। विचारक था, दार्शनिक था, तार्किक था, जब तक तेली ने तेल तौला, उसके मन में यह सवाल उठा–उस तेली के पीछे ही कोल्हू का बैल चल रहा है, तेल पेरा जा रहा है–न तो उसे कोई चलाने वाला है, न कोई उसे हांक …
Read More »किसकी प्रतीक्षा कर रहे हो
किसकी प्रतीक्षा कर रहे होएक बड़ी प्रसिद्ध सूफी कथा है। सम्राट सोलोमन सुबह—सुबह सोकर उठा ही था कि उसके एक वजीर ने घबड़ाए हुए भीतर प्रवेश किया। वह इतना घबड़ाया था, सुबह—सुबह की ठंडी हवा थी, शीतल मौसम था चारों तरफ, लेकिन वजीर पसीने से लथपथ था। सोलोमन ने पूछा, क्या हुआ?बिना पूछे एकदम भीतर चले आए और इतने घबड़ाए …
Read More »खेल सारा मन का है
चेखोव रूस का एक बहुत बड़ा लेखक हुआ। उसने अपने संस्मरणों के आधार पर एक कहानी लिखी। उसके मित्र का लड़का कोई दस साल पहले घर से भाग गया। मित्र धनी था। लेकिन जैसे अक्सर धनी होते हैं, महा-कृपण था। और लड़के को बाप के साथ रास न पड़ी। तो लड़का घर छोड़ कर भाग गया।एक ही लड़का था। जब …
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