एक दिन कन्फ्यूशियस के पास सम्राट ने आकर कहा, ‘राज्य में बेईमानी बढ़ती जा रही है, जहां देखो वहां छल-कपट और धोखेबाजी के दर्शन किए जा सकते हैं। क्या राज्य में ऐसा कोई आदमी होगा, जो सदाचारी और गुणों के देवता की कृपा रखता हो।’ कन्फ्यूशियस ने जबाव दिया, ‘ऐसा व्यक्ति है। एक तो स्वयं आप क्योंकि सत्य को जानने …
Read More »Guru_Profile
धर्म की निंदा होने पर दिया उचित तर्क
बात उस समय की है जब स्वामी विवेकानंद पूना (वर्तमान में पुणे) गए हुए होते थे। वह रेलगाड़ी से वहां जा रहे थे। तभी वहां कुछ शिक्षित लोगों ने अंग्रेजी भाषा में सन्यासियों की निंदा करना शुरू कर दी। उन्हें लगा कि स्वामी जी को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान ने होने के चलते वह नहीं समझ पाएंगे। चर्चा जब रुकने …
Read More »भगवान शिव के 108 नाम
भगवान शिव के 108 नाम —- १- ॐ भोलेनाथ नमः २-ॐ कैलाश पति नमः ३-ॐ भूतनाथ नमः ४-ॐ नंदराज नमः ५-ॐ नन्दी की सवारी नमः ६-ॐ ज्योतिलिंग नमः ७-ॐ महाकाल नमः ८-ॐ रुद्रनाथ नमः ९-ॐ भीमशंकर नमः १०-ॐ नटराज नमः ११-ॐ प्रलेयन्कार नमः १२-ॐ चंद्रमोली नमः १३-ॐ डमरूधारी नमः १४-ॐ चंद्रधारी नमः १५-ॐ मलिकार्जुन नमः १६-ॐ भीमेश्वर नमः १७-ॐ विषधारी …
Read More »ऐसा करने से आपका हर काम सफल होगा
एक बार जब स्वामी विवेकानंद अमेरिका यात्रा पर थे। तब उन्होंने पुल पर खड़े लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बंदूक से निशाने लगाते हुए देखा। उनमें से कोई भी निशाना सही जगह पर नहीं लगा पा रहा था। तब उन्होंने स्वयं एक बच्चे से बंदूक ली और निशाना लगाया। निशाना सही जगह पर लगा। …
Read More »विचार आसानी से नहीं बदलते
बात द्वापरयुग की है। अज्ञातवास में पांडव रूप बदलकर ब्रह्मणों के वेश में रह रहे थे। एक दिन उन्हें कुछ ब्राह्मण मिले। वे राजा द्रुपद की पुत्री द्रौपदी के स्वयंवर में जा रहे थे। पांडव भी उनके साथ चल दिए। स्वयंवर में पानी में देखकर ऊपर घूम रही मछली पर निशाना लगाना था। वहां मौजूद सभी ने प्रयास किया। लेकिन …
Read More »सत्य का साथ कभी न छोड़ें
स्वामी विवेकानंद प्रारंभ से ही एक मेधावी छात्र थे और सभी लोग उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित रहते थे। जब वो अपने साथी छात्रों से कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध हो कर उन्हें सुनते थे। एक दिन कक्षा में वो कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे, सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे कि उन्हें पता ही …
Read More »*नारी गहने क्यों पहनती हैं…….?*
*रामायण के अनुसार* भगवान राम ने धनुष तोड दिया था, सीताजी को सात फेरे लेने के लिए सजाया जा रहा था तो वह अपनी मां से प्रश्न पूछ बैठी, *‘‘माताश्री इतना श्रृंगार क्यों?’’* ‘‘बेटी विवाह के समय वधू का 16 श्रृंगार करना आवश्यक है, क्योंकि श्रृंगार वर या वधू के लिए नहीं किया जाता, यह तो आर्यवर्त की संस्कृति का …
Read More »मुनिवर तरूण सागर जी
दर्शन शारीरिक अंतिम यात्रा… मुनिवर तरूण सागर जी की। इनकी छवि तो हृदय मे जीवन भर बनी रहेगी। जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज अखिल ब्रह्मांड में विलीन। मंजिल सोचने से नहीं चलने से मिलती है: तरुण सागर जी महाराज। महाराज जी जीवन भर कड़वा बोलकर लोगों के जीवन में अमृत घोलते रहे। ऐसा जीवन जी लेना बड़े बड़े महापुरुषों …
Read More »कृपा का अनुभव
कृपा का अनुभव एक बार गायों को चराते हुए भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी को भूख लगीं तो उन्होंने अपने सखाओं से कहा -हे मित्र ! यहाँ पास ही में कुछ ब्राह्मण यज्ञ कर रहे हैं तुम उनसे हम सबके लिए कुछ भोजन माँग लाओ। ग्वाल-बाल गए और बड़े विनम्र भाव से प्रार्थना कर भोजन सामग्री माँगी परंतु ब्राह्मण …
Read More »इस दुनिया में होता है सभी का अपना अपना मूल्य
रामकृष्ण परमहंस के पास एक बार एक सेठ आया। सेठ अहंकारी और लोभी था। अपने अहंकार की पुष्टि के लिए उसने एक कीमती दुशाला रामकृष्ण को भेंट की। स्वामी जी ने उस दुशाला को स्वीकार कर लिया। कुछ दिनों बाद जब सेठ फिर आया तो देखा दुशाला तो नीचे बिछा हुआ है। वह मन ही मन बहुत चिंतित हुआ। उसे …
Read More »