मूर्तिकार की कल्पना, उंगलियों की जादूगरी, छेनी की हजारों चोट और रेती की घिसाई। और इस तरह महीनों की तपस्या के बाद वह मूर्ति उभरती है, जिसमें देवता निवास करते हैं। पर मूर्ति से देवता होने की प्रक्रिया भी इतनी सहज कहाँ… सोच कर देखिये, पूरा संसार बड़े बड़े पत्थरों, पहाड़ों से भरा हुआ है। बड़े बड़े पहाड़ तोड़ कर …
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महामृत्युंजय मंत्र की रचना कैसे हुई?
किसने की महामृत्युंजय मंत्र की रचना और जाने इसकी शक्ति शिवजी के अनन्य भक्त मृकण्ड ऋषि संतानहीन होने के कारण दुखी थे. विधाता ने उन्हें संतान योग नहीं दिया था.
Read More »शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि और उपाय
शनि प्रदोष व्रत को बहुत खास माना जाता है। इस व्रत को करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और शनि दोष भी दूर होता है।
Read More »SHIV DHYANA MANTRA / शिव ध्यान मंत्र
ध्याये नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रां वतंसं। रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम।। पद्मासीनं समंतात् स्तुततममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं। विश्वाद्यं विश्वबद्यं निखिलभय हरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्।। सरल शब्दों में मतलब है कि पञ्चमुखी, त्रिनेत्रधारी, चांदी की तरह तेजोमयी, चंद्र को सिर पर धारण करने वाले, जिनके अंग-अंग रत्न-आभूषणों से दमक रहे हैं, चार हाथों में परशु, मृग, वर और अभय मुद्रा है। मुखमण्डल पर आनंद प्रकट होता …
Read More »महामृत्युंजय मंत्र / Mahamrityunjay Mantra
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव …
Read More »ॐ नमः शिवाय मंत्र का शुद्ध उच्चारण
अभी सावन का महीना प्रारम्भ होने वाला है। आपने देखा होगा की सभी मंदिर में जाते हैं और जप करते हैं ॐ नमः शिवाय। यह मंत्र भगवान् शिव का एकाक्षरी बीज मंत्र है और बहुत ही शक्ति प्रदान करने वाला है। इस मंत्र का यदि हम जाप करते हैं तो शनि राहु केतु कोई भी ग्रह अगर गलत चल रहा …
Read More »ॐ नमः शिवाय 108 जाप
एक करोड़ जप पूरा होने पर उनमें से प्रथम स्थान-तनु स्थान शुद्ध होने लगता है। रजो-तमोगुण शांत होकर रोगबीजों व जन्म-मरण के बीजों का नाश होता है
Read More »“सच्ची पूजा का फल”
किसी नगर में एक बुढ़िया रहती थी। वह ग्वालिन थी उसके चार पुत्र और एक पुत्री थी। एक समय नगर में हैजा की बीमारी फैली। एक-एक करके बुढ़िया के पति और चारों पुत्र चल बसे। अब एक मात्र लड़की रह गयी। पति और पुत्रों के न रहने पर बुढ़िया की पीड़ा असह्य हो गयी।बुढ़िया के पास अधिक जगह-जमीन न थी। …
Read More »सातवें अध्याय का माहात्म्य
भगवान शिव कहते हैं- “हे पार्वती ! अब मैं सातवें अध्याय का माहात्म्य बतलाता हूँ, जिसे सुनकर कानों में अमृत-राशि भर जाती है। पाटलिपुत्र नामक एक दुर्गम नगर है जिसका गोपुर (द्वार) बहुत ही ऊँचा है। उस नगर में शंकुकर्ण नामक एक ब्राह्मण रहता था। उसने वैश्य वृत्ति का आश्रय लेकर बहुत धन कमाया किन्तु न तो कभी पितरों का तर्पण किया …
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“ॐ जय शिव ओंकारा”
यह केवल शिवजी की आरती नहीं है बल्कि ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों की आरती है“ॐ जय शिव ओंकारा”यह वह प्रसिद्ध आरती है जो देश भर में शिव-भक्त नियमित गाते हैं..लेकिन, बहुत कम लोग का ही ध्यान इस तथ्य पर जाता है कि… इस आरती के पदों में ब्रम्हा-विष्णु-महेश तीनों की स्तुति है..एकानन (एकमुखी, विष्णु), चतुरानन (चतुर्मुखी, ब्रम्हा) और पंचानन (पंचमुखी, …