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मौत की भी मौत

Colorful religious krishna janmashtami card background

जो भगवान् के भक्त होते हैं , उनके स्वमी भी भगवान् ही होते हैं । उनपर मौत का अधिकार नहीं होता । अन्यथा चेष्टा करने से मौत की भी मौत हो जाती है । एक बार गोदावरी नदी के तट पर ‘श्वेत’ नाम के एक ब्राह्मण रहते थे । उनका सारा समय सदाशिव की पूजा में व्यतीत होता था । …

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हर – भगवान शिव के अवतार

Ek Bar Bhagwan Narayan Story

शैवागम के अनुसार भगवान रुद्र के आठवें स्वरूप का नाम हर है । भगवान हर को सर्वभूषण कहा गया है । इसका अभिप्राय यह है कि मंगल और अमंगल सब कुछ ईश्वर – शरीर में है । दूसरा अभिप्राय यह है कि संहारकारक रुद्र में संहार – सामग्री रहनी ही चाहिए । समय पर सृष्टि का सृजन और समय पर …

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भगवान शिव का भिक्षुवर्यावतार

krshnadarshan - bhagavaan shiv ke avataar

विदर्भ देश में एक सत्यरथ नाम से प्रसिद्ध राजा थे । धर्मपूर्वक प्रजा का पालन करते हुए उनका बहुत सा समय सुखपूर्वक बीत गया । तदंनतर एक दिन शाल्व देश के राजा ने उनकी राजधानीपर आक्रमण कर दिया । शत्रुओं के साथ युद्ध करते हुए राजा सत्यरथ की सेना नष्ट हो गयी । फिल दैवयोग से राजा भी शत्रुओं के …

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कपाली – भगवान शिव के अवतार

Rakshak Parbhu

शैवागम के अनुसार दसवें रुद्र का नाम कपाली है । पद्मपुराण के अनुसार एक बार भगवान कपालीब्रह्मा के यज्ञ में कपाल धारण करके गए, जिसके कारण उन्हें यज्ञ के प्रवेश द्वार पर ही रोक दिया गया । उसके बाद भगवान कपाली रुद्र ने अपने अनंत प्रभाव का दर्शम कराया । फिर सब लोगों ने उनसे क्षमा मांगी और यज्ञ में …

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शिव जी का किरात वेष में प्रकट होना

Aatma Santosh Ka Gunn Story

इंद्र के उपदेश तथा व्यास जी की आज्ञा से अर्जुन भगवान महेश्वर की आराधना करने लगे । उनकी उपासना से ऐसा उत्कृष्ट तेज प्रकट हुआ, जिससे देवगण विस्मिल हो गये । वे शिव जी के पास गये और बोले – ‘प्रभो ! एक मनुष्य आपकी तपस्या में निरत है । वह जो कुछ चाहता है, उसे आप प्रदान करें ।’ …

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भव – भगवान शिव के अवतार (the incarnation of Lord Shiva)

Janiye Kya Hai Manes Pooja

भगवान रुद्र के स्वरूप का नाम भव है । इसी रूप में वे संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त हैं तथा जगद्गुरु के रूप में वेदांत और योग का उपदेश देकर आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं । भगवान रुद्र का यह स्वरूप जगद्गुरु के रूप में वंदनीय है । भव – रुद्र की कृपा के बिना विद्या, योग, ज्ञान, भक्ति …

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शिव जी का हनुमान के रूप में अवतार

Chilkur Balaji Mandir

एक समय की बात है, भगवान शिव ने भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान दे दिया कि तुम जिसके सिर पर अपना हाथ रख दोगे, वह जल कर भस्म हो जायेगा । भस्मासुर ने पार्वती के सौंदर्य पर मोहित होकर उन्हें प्राप्त करने के लिए भगवान शिव को भस्म करने का उपक्रम किया । उस समय भगवान विष्णु …

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गंगावतार – भगवान शिव के अवतार

krshnadarshan - bhagavaan shiv ke avataar

पूर्वकाल में अयोध्या में सगर नामक एक परम प्रतापी राजा राज्य करते थे । उनके एक रानी से एक तथा दूसरी से साठ हजार पुत्र उत्पन्न हुए । कुछ काल के बाद महाराज सगर के मन में अश्वमेध – यज्ञ करने की इच्छा हुई । राजा सगरने यज्ञीय अश्व की रक्षा का बार अपने पौत्र अंशुमान को सौंपकर यज्ञ प्रारंभ …

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गुणनिधि पर भगवान शिव की कृपा

shankar

पूर्वकाल में यज्ञदत्त नामक एक ब्राह्मण थे । समस्त वेद शास्त्रादि का ज्ञाता होने से उन्होंने अतुल धन एवं कीर्ति अर्जित की थी । उनकी पत्नी सर्वगुणसंपन्न थी । कुछ दिनों के बाद उन्हें एक पुत्र उत्पन्न हुआ, जिसका नाम गुणनिधि रखा गया । बाल्यावस्था में इस बालक के कुछ दिन तो धर्मशास्त्रादि समस्त विद्याओं का अध्ययन किया, परंतु बाद …

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औढरदानी भगवान शिव

krshnadarshan - bhagavaan shiv ke avataar

भगवान शिव और उनका नाम समस्त मंगलों का मूल है । वे कल्याण की जन्मभूमि, परम कल्याणमय तथा शांति के आगार हैं । वेद तथा आगमों में भगवान शिव को विशुद्ध ज्ञानस्वरूप बताया गया है । समस्त विद्याओं के मूल स्थान भी भगवान शिव ही हैं । उनका यह दिव्यज्ञान स्वत:संभूत है । ज्ञान, बल, इच्छा और क्रिया – शक्ति …

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