है आज नही तो कल नही परसो मतलब ये गया जैसे 40, 50 बर्ष गए जीवन के गए न 45,35 गए पता नही चल पाया अभी सुख की खोज में ही लगे हुऐ है सुख के साधनों को ही जुटा रहे हैं
Read More »Mantra Jaap
महामृत्युंजय मंत्र की रचना कैसे हुई?
किसने की महामृत्युंजय मंत्र की रचना और जाने इसकी शक्ति शिवजी के अनन्य भक्त मृकण्ड ऋषि संतानहीन होने के कारण दुखी थे. विधाता ने उन्हें संतान योग नहीं दिया था.
Read More »शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि और उपाय
शनि प्रदोष व्रत को बहुत खास माना जाता है। इस व्रत को करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और शनि दोष भी दूर होता है।
Read More »ओम जयंती मंगला काली, भद्रकाली कपालिनी।
ओम जयंती मंगला काली, भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिव धात्री, स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते॥ ओम जयंती मंगला काली, भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिव धात्री, स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते॥
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 20
सूतजी बोले :- हे विप्रो! नारायण के मुख से राजा दृढ़धन्वा के पूर्वजन्म का वृत्तान्त श्रवणकर अत्यन्त तृप्ति न होने के कारण नारद मुनि ने श्रीनारायण से पूछा ॥ १ ॥ नारद जी बोले – हे तपोधन! महाराज दृढ़धन्वा ने मुनिश्रेष्ठ बाल्मीकि जी से क्या कहा? सो विस्तार सहित विनीत मुझको कहिये ॥ नारायण बोले – हे नारद! सुनिये। राजा दृढ़धन्वा ने महाप्राज्ञ …
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 16
श्रीनारायण बोले:- हे महाप्राज्ञ! हे नारद! बाल्मीकि ऋषि ने जो परम अद्भुत चरित्र दृढ़धन्वा राजा से कहा उस चरित्र को मैं कहता हूँ तुम सुनो ॥ १ ॥ बाल्मीकि ऋषि बोले:- हे दृढ़धन्वन! हे महाराज! हमारे वचन को सुनिये। गरुड़ जी ने केशव भगवान् की आज्ञा से इस प्रकार ब्राह्मणश्रेष्ठ से कहा ॥ गरुड़जी बोले:- हे द्विजश्रेष्ठ! तुमको सात जन्म …
Read More »SHIV DHYANA MANTRA / शिव ध्यान मंत्र
ध्याये नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रां वतंसं। रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम।। पद्मासीनं समंतात् स्तुततममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं। विश्वाद्यं विश्वबद्यं निखिलभय हरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्।। सरल शब्दों में मतलब है कि पञ्चमुखी, त्रिनेत्रधारी, चांदी की तरह तेजोमयी, चंद्र को सिर पर धारण करने वाले, जिनके अंग-अंग रत्न-आभूषणों से दमक रहे हैं, चार हाथों में परशु, मृग, वर और अभय मुद्रा है। मुखमण्डल पर आनंद प्रकट होता …
Read More »शादी की सहमति दे दी
नताशा एक पढ़ी लिखी ऊँचे पद पर कार्यरत थी।उसके मां-बाप को उसकी बढ़ती उम्र के साथ उसकीशादी की चिंता हो रही थी । आज के समाज के अनुसार उसमे भारी कमी थी और वह थी उसका रंग जो की सांवला था, जिस कारण कोई लड़का उसे पसंद नहीं करता था।
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 15
श्रीनारायण बोले :- सुदेवशर्म्मा ब्राह्मण हाथ जोड़कर गद्गद स्वर से भक्तवत्सल श्रीकृष्णदेव की स्तुति करता हुआ ॥ हे देव! हे देवेश! हे त्रैलोक्य को अभय देनेवाले! हे प्रभो! आपको नमस्कार है। हे सर्वेश्वर! आपको नमस्कार है, मैं आपकी शरण आया हूँ ॥ २ ॥ हे परमेशान! हे शरणागतवत्सल! मेरी रक्षा करो। हे जगत् के समस्त प्राणियों से नमस्कार किये जाने वाले! हे …
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 14
श्रीनारायणजी बोले :- इसके बाद चिन्ता से आतुर राजा दृढ़धन्वा के घर बाल्मीकि मुनि आये जिन्होंने परम अद्भुत तथा सुन्दर रामचन्द्रजी का चरित्र वर्णन किया है ॥ राजा दृढ़धन्वा ने दूर से ही बाल्मीकि मुनि को आते हुए देखकर घबड़ाहट के साथ जल्दी से उठकर भक्तियुक्त हो उनके चरणों में दण्डवत् प्रणाम किया ॥ २ ॥ भलीभाँति पूजा कर उत्तम आसन …
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