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Punaya Paap

नाग पंचमी

प्राचीन काल में एक सेठजी के सात पुत्र थे। सातों के विवाह हो चुके थे। सबसे छोटे पुत्र की पत्नी श्रेष्ठ चरित्र की विदूषी और सुशील थी, परंतु उसके भाई नहीं था। एक दिन बड़ी बहू ने घर लीपने को पीली मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओं को साथ चलने को कहा तो सभी डलिया (खर और मूज की बनी …

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मैं इस_VIP दर्शन का विरोध करता हूं

ना #मस्जिदों में VIP टिकट है, ना #गुरुद्वारा में और ना ही किसी #Church में, वहां #अमीर #गरीब सब एक साथ अपने ईश्वर का पूजा करते है, इसी से उनमें एकता है ,अब आते हैं हमारे हिंदू धर्म में, हाल में ही मेरे मित्र #विश्वनाथजी के मन्दिर गया था बनारस, आज से कुछ वर्ष पहने वहां ना वीआईपी लाइन थी …

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शास्त्रों के अनुसार पूजा अर्चना में वर्जित काम

१) गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं२) देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं३) शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं४) विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं५) दो शंख एक समान पूजा घर में न रखें६) मंदिर में तीन गणेश मूर्ति न रखें७) तुलसी पत्र चबाकर न खाएं८) द्वार पर जूते चप्पल उल्टे न रखें९) दर्शन करके बापस लौटते समय घंटा …

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अन्यों का विचार करने का महत्व !

बहुत समय पहले की बात है । एक विख्यात गुरुदेव का गुरुकुल हुआ करता था । उस गुरुकुल में बडे-बडे राजा-महाराजाओं के पुत्रों से लेकर साधारण परिवार के पुत्र भी शिक्षा लेते थे । अनेक वर्षोंसे शिक्षा प्राप्त कर रहे कुछ शिष्यों की शिक्षा पूर्ण हो चुकी थी । अब वे सभी बडे उत्साह के साथ अपने अपने घर लौटने …

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गुरुभक्‍त संदीपक !

गोदावरी नदी के तट पर महात्‍मा वेदधर्मजी का आश्रम था । उनके आश्रम में अलग-अलग स्‍थानों से वेद अध्‍ययन करने के लिए विद्यार्थी आते थे । उनके शिष्‍यों में संदीपक नाम का अत्‍यंत बुद्धिमान शिष्‍य था । वह गुरुभक्‍त भी था । वेदों का अभ्‍यास पूर्ण होने पर उन्‍होंने अपने सभी शिष्‍यों को बुलाया और कहा कि, ‘‘मेरे प्रिय शिष्‍यों, …

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नरकासुर वध

आज की यह कहानी दीपावली से संबधित है । भागवत पुराण में बताए अनुसार, भगवान श्रीविष्णु ने वराह अवतार धारण कर भूमि देवता को समुद्र से निकाला था । इसके बाद भूमि देवता ने एक पुत्र को जन्म दिया । उसका नाम भौम था । पिता एक परमदेव और माता पुण्यात्मा होने पर भी पर भौम क्रूर था, इसलिए उसका …

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तपस्या का फल !

बहुत वर्ष पूर्व ऋषि-मुनी भगवान को पाने के लिए कठोर तपस्या करते थे । यह तपस्या कैसी रहती थी ? एक पांव पर खडे होकर नमस्कार की मुद्रा में भगवान का नामजप करना, पानी में नमस्कार की मुद्रा में खडे रहकर अखंड भगवान का नामजप करना, हिमालय जैसे पर्वत  पर जाकर अत्यंत ठंड में एक ही जगह अनेक वर्षाें तक …

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नामस्‍मरण का महत्त्व : भक्त प्रल्‍हाद

आज हम देवता के नामजप का महत्त्व और उसमें कितनी शक्‍ति होती है, यह, कथा के माध्‍यम से जानने का प्रयास करेंगे । जो देवता का नामजप करता है, वह देवता का भक्‍त हो जाता है । देवता अपनी भक्‍तों की सदा रक्षा करते हैं । भगवान ने भक्‍तों को वचन दिया है, ‘न मे भक्‍त: प्रणश्‍यती ।’ अर्थात ‘मेरे …

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#जगन्नाथ_धाम, #पुरी की रसोई अत्यंत अद्भुत है…

172 साल पुराने इस मंदिर के एक एकड़ में फैली 32 कमरों वाली इस विशाल रसोई (150 फ़ीट लंबी, 100 फ़ीट चौड़ी और 20 फ़ीट ऊँची) में भगवान् को चढ़ाये जाने वाले महाप्रसाद को तैयार करने के लिए 752 चूल्हे इस्तेमाल में लाए जाते हैं…और लगभग 500 रसोइए तथा उनके 300 सहयोगी काम करते हैं….ये सारा प्रसाद मिट्टी की जिन …

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आइये आपको “आइये आपको “धरती पर भगवान हैं प्रमाणिकता सिद्ध किये गये लोगो के अनुभव देखे व परखे :-

१.👉🏻 “अमर नाथ जी” में शिव लिंग अपने आप बनता है ।२.👉🏻 “माँ ज्वालामुखी” में हमेशा ज्वाला निकलती है ।३.👉🏻 “मैहर माता मंदिर” में रात को आल्हा अब भी आते हैं ।४.👉🏻 सीमा पर स्थित “तनोट माता मंदिर” में 3000 बम में से एक का भी ना फूटना ।५.👉🏻 इतने बड़े हादसे के बाद भी “केदार नाथ मंदिर” का बाल …

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