नारदजी बोले:- सब मुनियों को भी जो दुष्कर कर्म है ऐसा बड़ा भारी तप जो इस कुमारी ने किया वह हे महामुने! हमसे सुनाइये ॥ श्रीनारायण बोले अनन्तर ऋषि-कन्या ने भगवान् शिव, शान्त, पंचमुख, सनातन महादेव को चिन्तन करके परम दारुण तप आरम्भ किया ॥ सर्पों का आभूषण पहिने, देव, नन्दी-भृंगी आदि गणों से सेबित, चौबीस तत्त्वों और तीनों गुणों …
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पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 10
दुर्वासा ऋषि बोले,:- हे सुन्दरि! गुप्त से भी गुप्त उपाय मैं तुझसे कहता हूँ। यह विषय किसी से भी कहने योग्य नहीं है, तथापि तेरे लिये तो मैंने ये विचार ही लिया है। मैं विस्तार पूर्वक न कहकर तुझसे संक्षेप में कहता हूँ। हे सुभगे! इस मास से तीसरा मास जो आवेगा वह पुरुषोत्तम मास है। इस मास में तीर्थ …
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय – 8
सूतजी बोले हे तपोधन! विष्णु और श्रीकृष्ण के संवाद को सुन सन्तुष्टमन नारद, नारायण से पुनः प्रश्न करने लगे ॥ १ ॥ adhik mas नारदजी बोले:- हे प्रभो! जब विष्णु बैकुण्ठ चले गये तब फिर क्या हुआ? कहिये। आदिपुरुष कृष्ण और हरिसुत का जो संवाद है वह सब प्राणियों को कल्याणकर है ॥ २ ॥ इस प्रकार प्रश्न को सुन …
Read More »हाथ से डुलाने वाला पंखा
how-recent-times-worker-use-fan प्रचलन में था जो छत पर लगा रहता और एक रस्सी द्वारा कोई प्राणी डुलाता रहता।चूँकि विद्युतीकरण उस समय हुआ नहीं था हाथ से डुलाने वाला ये पंखा बड़े अमीर वर्ग में ख़ासा प्रचलन में था। अंग्रेज़ी हुकूमत के दौरान ऐसे पंखों का खूब प्रयोग हुआ। अनेक भारतीय मज़दूर को पंखा डुलाने के लिए अंग्रेज़ी अफ़सर रखते थे। अमूमन …
Read More »महामृत्युंजय मंत्र / Mahamrityunjay Mantra
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव …
Read More »वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र
विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (ऋषि मुनियों द्वारा किया गया अनुसंधान सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यहीं है जो हमारे देश भारत में बना हुआ है । ये हमारा भारत जिस पर हमे गर्व होना चाहिये l
Read More »मैं भी तो ब्राह्मण हूं
, जो एक जनेऊ हनुमान जी के लिए ले आये थे। संयोग से मैं उनके ठीक पीछे लाइन में खड़ा था, मेंने सुना वो पुजारी से कह रहे थे कि वह स्वयं का काता (बनाया) हुआ जनेऊ हनुमान जी को पहनाना चाहते हैं, पुजारी ने जनेऊ तो ले लिया पर पहनाया नहीं। जब ब्राह्मण ने पुन: आग्रह किया तो पुजारी बोले यह तो हनुमान जी का श्रृंगार है इसके लिए बड़े पुजारी (महन्त) जी से अनुमति लेनी होगी,
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय – 6
नारदजी बोले– भगवान् गोलोक में जाकर क्या करते हैं ? हे पापरहित! मुझ श्रोता के ऊपर कृपा करके कहिये ॥ १ ॥ श्रीनारायण बोले – हे नारद! पापरहित! अधिमास को लेकर भगवान् विष्णु के गोलोक जाने पर जो घटना हुई वह हम कहते हैं, सुनो ॥ २ ॥ उस गोलोक के अन्दर मणियों के खम्भों से सुशोभित, सुन्दर पुरुषोत्तम के धाम …
Read More »पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय – 3
अधिक मास माहात्म्य, तृतीय अध्याय, मल मास का बैकुठ में जाना सूतजी के श्री मुख से पवन कथा सुनते हुए ऋषि बोले:- हे महाभाग! नर के मित्र नारायण नारद के प्रति जो शुभ वचन बोले, वह आप विस्तार पूर्वक हमसे कहें । हे नारद! पहले महात्मा श्रीकृष्णचन्द्र ने राजा युधिष्ठिर से जो कहा था वह मैं कहता हूँ सुनो । …
Read More »दादा पोता की कहानी
क्या हुआ दद्दू आज प्रात: भ्रमण के लिए नहीं गए।गोलू की मासूमियत भरे प्रश्न से दादाजी की आंखे डबडबा गई।अपने नन्हे पोते की बात सुनकर उनकी आंखो से आंसू छलक आए।अरे तू है ना पोता,मेरा छड़ी। कहकर गले से लगा लिया। अरे! ये क्या आपकी छड़ी तो टूट गई है दद्दू। कोई नहीं मैं बाबूजी से कहूंगा वो नई छड़ी …
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