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आल्हा ऊदल की कथा

Bhagwan Shiv Ke liye

ऋषियों ने पूछा – सूतजी महाराज ! आपने महाराज विक्रमादित्य के इतिहास का वर्णन किया । द्वापरयुग के समान उनका शासन धर्म एवं न्यायपूर्ण था और लंबे समय तक इस पृथ्वीपर रहा । महाभाग ! उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अनेक लीलाएं की थीं । आप उन लीलाओं का हमलोगों से वर्णन कीजिए, क्योंकि आप सर्वज्ञ हैं । ‘भगवान नर …

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राजा विदूरथ की कथा

Raajaa vidoorath kee kathaa

  विख्यातकीर्ति राजा विदूरथ के सुनीति और सुमति नामक दो पुत्र थे । एक समय विदूरथ शिकार के लिए वन में गये, वहां ऊपर निकले हुए पृथ्वी के मुख के समान एक विशाल गड्ढे को देखकर वे सोचने लगे कि यह भीषण गर्त क्या है ? यह भूमि पृथ्वी तो नही हो सकता ? वे इस प्रकार चिंता कर ही …

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श्रीराधिका जी का उद्धव को उपदेश

Shreeraadhikaa jee kaa uddhav ko upadesh

  गोपियों के अद्भुत प्रेम – प्रवाह में ज्ञानशिरोमणि उद्धव का संपूर्ण ज्ञानभिमान बह गया । विवेक, वैराग्य, विचार, धर्म, नीति, योग, जप और ध्यान आदि संपूर्ण संबल के सहित उसकी ज्ञान नौका गोपियों के प्रेम समुद्र में डूब गयी । उद्धव गोपियों का मोह दूर करने आया था किंतु वह स्वयं ही उनके (दिव्य) मोह में मग्न हो गया …

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श्रीराम का पत्नी प्रेम

Shreeraam kaa patnee prem

वनगमन के समय सेवा में चलने के लिए श्रीसीता जी का जब आग्रह देखा गया, तब उनकी शारीरिक सुकुमारता आदि के स्नेह से जैसी प्रेमपूर्ण शिक्षादी गयी, वह स्नेह की सीमा का सूचक है । परंतु जब यह लक्षण देखने में आया कि सीता जी को यदि हठ करके रोका गया तो इनके प्राण ही नहीं बचेंगे तब उनको प्रेमपूर्वक …

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देव प्रतिमा निर्माण विधि

Dev pratimaa nirmaaṇa vidhi

    सूत जी बोले – ब्राह्मणों ! मैं प्रतिमा का शास्त्रसम्मत लक्षण कहता हूं । उत्तम लक्षणों से रहित प्रतिमा का पूजन नहीं करना चाहिए । पाषाण, काष्ठ, मृत्ति का, रत्न, ताम्र एवं अन्य धातु इनमें से किसी की भी प्रतिमा बनायी जा सकती है । उनके पूजन से सभी अभीष्ट फल प्राप्त होते हैं । मंदिर के माप …

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इंद्र का गर्व – भंग

शचीपति देवराज इंद्र कोई साधारण व्यक्ति नहीं, एक मन्वंतरपर्यन्त रहनेवाले स्वर्ग के अधिपति हैं । घड़ी – घंटों के लिए जो किसी देश का प्रधान मंत्री बन जाता है, उसके नाम से लोग घबराते हैं, फिर जिसे एकहत्तर दिव्य युगों तक अप्रतिहत दिव्य भोगों का साम्राज्य प्राप्त है, उसे गर्व होना तो स्वाभाविक है ही । इसलिए इनके गर्व भंग …

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मैं तो कृष्ण हो गया !

Main to kriṣṇa ho gayaa

  भगवान ! मेरा उद्धार करो ! मेरी नौका पार लगाओ । मेरे पापों के बोझ से बस, यह डूबना ही चाहती है । बड़ी जीर्ण है यह, और फिर ऊपर से बोझ बेतौल है । विपरीत बयार बह रही है, चारों और घोर अंधकार छाया हुआ है, हाथों हाथ नहीं सूझता । खेने की कला भी नहीं मालूम । …

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पाण्डव अर्जुन और कृष्ण मैत्री

Adi Guru Shri Krishan

  महाभारत में पाण्डव विजयी हुए । छावनी के पास पहुंचने पर श्रीकृष्णने अर्जुन से कहा कि ‘हे भरतश्रेष्ठ ! तू अपने गाण्डीव धनुष और दोनों अक्षय भाथों को लेकर पहले रथ से नीचे उतर जा । मैं पीछे उतरूंगा, इसी में तेरा कल्याण है ।’ यह आज नयी बात थी, परंतु अर्जुन भगवान के आज्ञानुसार नीचे उतर गये, तब …

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आंख खोलने वाली गाथा

Aankh kholane vaalee gaathaa

राजा नहुष की छ: संतानों में से महाराज ययाति दूसरी संतान थे । इनके बड़े भाई का नाम यति था । वे बचपन से निवृत्तिमार्ग में अग्रसर होकर ‘ब्रह्म’ स्वरूप हो गये, अत: कोसलदेश का शासन ययाति के हाथों में आया । ये बहुत शूर वीर थे । अपने पराक्रम से आगे चलकर ये सम्राट हो गये थे । ये …

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मोक्ष संन्यासिनी गोपियां

moksh sanyasini gopiya

  कुछ लोग प्रतिदिन सकामोपासना कर मनवाञ्छित फल चाहते हैं, दूसरे कुछ लोग यज्ञादि के द्वारा स्वर्ग की तथा (कर्म और ज्ञान) योग आदि के द्वारा मुक्ति के लिए पार्थना करते हैं, परंतु हमें तो यदुनंदन श्रीकृष्ण के चरणयुगलों के ध्यान में ही सावधानी के साथ लगे रहने की इच्छा है । हमें उत्तम लोक से, दम से, राजा से, स्वर्ग …

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