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Gyan Ki Baat

सोनी सुबह से काम में लगी हुई है

अपनी तरफ से कुछ देना चाहती थी पर क्या दे!फिर कुछ सोच कर पंसारी की दुकान पर पहुँच गयी... "काका, वो बड़ा वाला हार्लिक्स का डब्बा देना.... ये लो बिटिया.....अरे रुपया रहने दे हम बड़े भइया से ले लेंगे..

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संतुष्टि

satiffaction-story

लगभग सभी पसीने से लथपथ हो रहें थे मगर उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी हंसते मुस्कुराते हुए वह टाइल्स बिछाने में लगे हुए थे

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मन पर नियंत्रण पर बौद्ध कहानी

honest is best policy

मन पर नियंत्रण पर बौद्ध कहानी मन में उठ रहे सवालों को कैसे शांत करें, बेचैनी को कैसे शांत करें। इस कहानी में मैं आपको चार ऐसी आदतों के बारे में बताने वाला हूं जिसे आप अपने जीवन में अपनाकर एक अच्छी जिंदगी जी सकते हैं और अच्छे कामों में अपना जीवन व्यतीत कर सकते हैं। अगर आप इस कहानी …

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ज्यादा अच्छे मत बनो, नहीं तो हमेशा दुखी रहोगे

मानव स्वभाव पर बुद्ध कहानी आचार्य चाणक्य ने कहा था कि इंसान को ज्यादा सीधा भी नहीं होना चाहिए, क्योंकि अगर हम जंगल में जाकर देखे तो, जान पाएंगे की सीधे पेड काट दिए जाते हैं जबकि टेढे मेढे पेड छोड दिए जाते हैं। तो आज की हमारी ब्लॉग पोस्ट भी इसी बारे में है कि ज्यादा अच्छा बना बुरा …

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ठंडे झोके

रसोई से भागने का मन कर रहा था सुधा का.... आधा काम भी नहीं निपटा था पसीने से लथ-पथ मारे गरमी के बेहाल हुई जा रही थी .... घर मे एकदम पीछे की तरफ बनी रसोई में तनिक भी हवा की गुंजाइश नहीं है......... उसे बेटी आराध्या की बहुत याद आ रही थी.

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नए युग की शुरुआत

।ईस्ट इंडिया नाम की ब्रिटिश कंपनी लगभग पूरे विश्व पर राज करती थी। ब्रिटेन से सबसे बुरे पर प्रभावशाली लोग इस कंपनी के मलिक हुआ करते थे। एक टाइम में ब्रिटेन की ऑफिसियल सेना से दुगुनी बड़ी सेना इनके पास हुआ करती थी।

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संस्कारी बहु

बेटा बुढ़ापे की लाठी होता है।इसलिये लोग अपने जीवन मे एक "बेटा" की कामना ज़रूर रखते हैं ताकि बुढ़ापा अच्छे से कटे। ये बात सच भी है क्योंकि बेटा ही घर में बहु लाता है।बहु के आ जाने के बाद एक बेटा अपनी लगभग सारी जिम्मेदारी अपनी पत्नी के कंधे पर डाल देता है।

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शम्मी कपूर और गीता बाली

अपने पहले बेटे के जन्म का आशीर्वाद मिला। उन्होंने उसका नाम आदित्य राज कपूर रखा। 1961 में उनकी एक बेटी कंचन कपूर हुई। यह एक आदर्श विवाह था

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लगातार दो बेटियां हो गई दो साल के अंतराल में

वारिस बनते हैं लड़कियां नहीं। जहां पर भी कृतिका और अमृता के पापा आज है वहीं से देखकर गर्व से उनका सीना चौड़ा हो रहा होगा यह सोच कर कि "मेरे बाद मेरी बेटियों ने हमारा नाम ऊंचा रखा है, जीवित रखा।"

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मूर्तिकार की कल्पना

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मूर्तिकार की कल्पना, उंगलियों की जादूगरी, छेनी की हजारों चोट और रेती की घिसाई। और इस तरह महीनों की तपस्या के बाद वह मूर्ति उभरती है, जिसमें देवता निवास करते हैं। पर मूर्ति से देवता होने की प्रक्रिया भी इतनी सहज कहाँ… सोच कर देखिये, पूरा संसार बड़े बड़े पत्थरों, पहाड़ों से भरा हुआ है। बड़े बड़े पहाड़ तोड़ कर …

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