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Gyan Ki Baat

चालाक बुढ़िया

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” मैनेजर ने पूछा :- कितने हैं ? वृद्धा बोली :- होंगे कोई दस लाख । मैनेजर बोला :- वाह क्या बात है , आपके पास तो काफ़ी पैसा है , आप करती क्या हैं ? वृद्धा बोली :- कुछ खास नहीं , बस शर्तें लगाती हूँ । मैनेजर बोला :- शर्त लगा-लगा कर आपने इतना सारा पैसा कमाया है ?

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जंगल का तोता!!

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एक शहर में मसाले बेच ने वाले का एक बहुत बड़ा व्यापारी था। आसपास के गांवों के लोग उसकी दुकानों पर मसाले खरीदने आते थे। शहर में सेठ के कई दुकाने थी। आसपास के गांवों में भी मसलो की कोई दुकाने नहीं थी इसलिए सेठ खुद ही कभी-कभी मसाले बेचने के लिए जाता था। एक बार सेठ गांव में कुछ …

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सच्ची सफलता और विफलता!!

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रमेश और सुरेश जुड़वाँ भाई थे। वे बचपन से एक ही स्कूल में और एक ही कक्षा में पढ़ते थे। अब वे दोनों १० वि कक्षा के छात्र थे। उनकी ही कक्षा में अनिकेत नाम का एक छात्र था जो बहुत ही अमीर परिवार से से था। एक दिन अनिकेत अपने जन्मदिन पर बहुत महंगा मोबाइल लेकर कर स्कूल आया। …

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सबसे कीमती चीज!!

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सीलमपुर गांव में एक भिखारी रहता था। वह बड़ी मुश्किल से अपना गुजारा करता था। उसे ठीक से खाने या पिने नहीं मिलता था, जिस वजह से उसका बूढ़ा शरीर सूखकर कांटा हो गया था। वह अपने आप को बहुत ही कमज़ोर महसूस करने लगा था। एक दिन वह रास्ते के एक ओर बैठकर गिड़गिड़ाते हुए भीख मांगा करता था। …

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रेगिस्तान की यात्रा!!

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एक आदमी रेगिस्तान में यात्रा कर रहा था। साथ में था उसका ऊंट और ऊंट पर लदा था ढेर सारा सामान। ऊंट और वह दोनों ही पसीने से तर बतर थे। गरमी से थक कर उस आदमी ने फैसला किया कि अब वह कहीं आराम करेगा। इसलिए यात्रा बीच में ही रूक गई। ऊंट की पीठ से अपना तंबू उतारकर …

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सबसे शक्तिशाली आशीर्वाद

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पटना शहर में एक गरीब दर्जी अपने इकलौते बेटे के साथ एक छोटे से घर में रहता था। उसका सपना था की उसका बेटा बहुत अच्छी पढ़ाई करके एक अच्छी से नौकरी करे। इसलिए उन्होंने तय किया कि उसके बेटे को सबसे अच्छी शिक्षा मिलेगी, चाहे उनकी वर्तमान स्थिति कैसी भी हो। पिता दिन रात मेहनत करता और अपने बेटे …

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पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय – 7

पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 7

सूतजी बोले:- हे तपोधन! आप लोगों ने जो प्रश्न किया है वही प्रश्न नारद ने नारायण से किया था सो नारायण ने जो उत्तर दिया वही हम आप लोगों से कहते हैं ॥ १ ॥ नारदजी बोले:- विष्णु ने अधिमास का अपार दुःख निवेदन करके जब मौन धारण किया तब हे बदरीपते! पुरुषोत्तम ने क्या किया? सो इस समय आप …

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यादों के खज़ाने: एक अनमोल संग्रह

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मेरे पास इधर उधर जाने के लिए फ़ालतू का टाइम नहीं है। आपको पता है ना मेरा टाइम कितना कीमती है।" मैं बिफ़र पड़ा। आये दिन माँ का यही सब चलता रहता है। कभी अपने पास बिठला कर खाना खाने को बोलेंगीं कभी पार्क में साथ टहलने को। रात में तो अक्सर वो मुझे टी वी देखने के बहाने सारे दिन की बातें सुनाने के लिए अपने पास बुलाएंगी। पता नहीं क्या चाहतीं हैं। बड़ा हो गया हूँ जरा सा लल्ला नहीं हूँ जो हरदम उनके आगे पीछे घूमता रहूँ। "बेकार का टाइम नहीं है। बहुत कीमती है मेरा टाइम।" हर बार ऐसा ही टका सा जवाब देकर पल्ला झाड़ लेता। माँ भी हर बार सुना अनसुना करके अपने काम में लग जातीं पर आज माँ को शायद कुछ बुरा, बहुत बुरा सा लगा। वो चुपचाप अपने कमरे में चलीं गयीं।

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बेटे बहू की ज़िंदगी में दखल

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किंतु अम्मा ही बाबूजी को यह कह कर रोक देती थी कि 'कहाँ वहाँ बेटे बहू की ज़िंदगी में दखल देने चलेंगे। यहीं ठीक है। सारी जिंदगी यहीं गुजरी है और जो थोड़ी सी बची है उसे भी यहीं रह कर काट लेंगे। ठीक है न!'

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