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Gyan Shastra

हमेशा सोच समझ कर काम करो – पंचतंत्र की कहानी !!

दक्षिण भारत के एक प्रसिद्ध नगर पाटलिपुत्र में मणिभद्र नाम का एक धनिक महाजन रहता था। लोक सेवा और धार्मिक कार्यों में निहित रहने के कारण मणिभद्र के पास धन संचय में कमी हो गई। इस बात को लेकर मणिभद्र काफी चिंतित रहता था। उसकी यह चिंता निरर्थक नहीं थी। धन विहीन मनुष्य के गुण भी दरिद्रता के तले दब …

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कुत्ता जो विदेश चला गया – पंचतंत्र की कहानी!!

प्राचीन समय में एक गांव में चित्रांग नाम का एक कुत्ता रहता था। एक बार उस गांव में अकाल पड़ गया। अकाल पड़ने के कारण अन्न की बहुत ज्यादा कमी हो गई, जिसके कारण कई कुत्तों के वंश का नाश हो गया। चित्रांग भी इस समस्या के कारण बहुत ही चिंतित रहता था।h जिसके घर में घुसकर चित्रांग ने खाना …

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नंद के लाला यशोदा के प्यारे

नंद के लाला यशोदा के प्यारेराधा के प्रियतम ओह मोहन प्यारे….-2 वन में थे तुम तो गउए चरातेग्वालिनों से थे माखन चुराते -2गोवर्धन को नक पे थे धारे।राधा के प्रियतम ओह मोहन प्यारे।नंद के लाला यशोदा के प्यारे…… कुंझ गलियां में थे रास रचातेराधिका जी को तुम थे रिझाते -2बंसी बजा के जमुना किनारे।राधा के प्रियतम ओह मोहन प्यारे।नंद के …

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राधा का चरणामृत

आज हम बालकृष्ण और राधा का एक प्रसंग सुनेंगे । एक बार गोकुल में बालकृष्ण बीमार हो गए थे । कोई भी वैद्य, औषधि, जडी-बूटी उन्हें ठीक नहीं कर पा रही थी । गोपियों को यह बात पता चली । गोपियां कृष्ण से मिलने आई । कृष्ण की ऐसी स्थिति देखकर सभी गोपियों की आंखों में आंसू आ गए । …

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नरकासुर वध

आज की यह कहानी दीपावली से संबधित है । भागवत पुराण में बताए अनुसार, भगवान श्रीविष्णु ने वराह अवतार धारण कर भूमि देवता को समुद्र से निकाला था । इसके बाद भूमि देवता ने एक पुत्र को जन्म दिया । उसका नाम भौम था । पिता एक परमदेव और माता पुण्यात्मा होने पर भी पर भौम क्रूर था, इसलिए उसका …

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प्रभु श्रीराम की बहन शांता और ऋष्यश्रृंग

आप सभी को ज्ञात होगा कि श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न राजा दशरथ के पुत्र थे । इनके साथ ही राजा दशरथ और रानी कौशल्या की शांता नाम की एक कन्या भी थी । शांता उनकी पहली संतान थी । अर्थात वह प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न इनकी बहन थी । शांति और सद्भाव का प्रतीक थी । रानी …

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तपस्या का फल !

बहुत वर्ष पूर्व ऋषि-मुनी भगवान को पाने के लिए कठोर तपस्या करते थे । यह तपस्या कैसी रहती थी ? एक पांव पर खडे होकर नमस्कार की मुद्रा में भगवान का नामजप करना, पानी में नमस्कार की मुद्रा में खडे रहकर अखंड भगवान का नामजप करना, हिमालय जैसे पर्वत  पर जाकर अत्यंत ठंड में एक ही जगह अनेक वर्षाें तक …

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भगवान शिवजी का गृहपति अवतार !

भगवान विष्‍णु के अनेक अवतार हुए हैं, वैसेही भगवान शिवजी के भी अवतार हुए है । भगवान शिवजी के अनेक अवतारों में से सातवे अवतार है गृहपति । आज हम उनके इस अवतार की कथा सुनेंगे । नर्मदा नदी के तट पर धर्मपुर नाम का एक नगर था । वहां विश्‍वानर नाम के एक ऋषि और उनकी पत्नी शुचिष्‍मती रहती …

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नामस्‍मरण का महत्त्व : भक्त प्रल्‍हाद

आज हम देवता के नामजप का महत्त्व और उसमें कितनी शक्‍ति होती है, यह, कथा के माध्‍यम से जानने का प्रयास करेंगे । जो देवता का नामजप करता है, वह देवता का भक्‍त हो जाता है । देवता अपनी भक्‍तों की सदा रक्षा करते हैं । भगवान ने भक्‍तों को वचन दिया है, ‘न मे भक्‍त: प्रणश्‍यती ।’ अर्थात ‘मेरे …

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गोदावरी नदी की जन्‍मकथा

आपने कभी नहाते समय बोला जानेवाला एक मंत्र सुना है ? गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्‍वती ।नर्मदे सिंधु कावेरि जलेऽस्‍मिन् सन्‍निधिं कुरु ॥ इस श्‍लोक का अर्थ है, हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्‍वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी नदियों ! मेरे स्नान के इस जल में आप सभी पधारिये और मुझे पवित्र कीजिए । भगवान शिवजी के बारह ज्‍योतिर्लिंग हमारी पवित्र …

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