बचपन से ही भाइयों की बजाय मुझे अपने माता पिता का अधिक प्यार ,अधिक मान और प्रशंसा प्राप्त होती थी। हालाँकि भाई भी मुझसे स्नेह करते किन्तु फिर भी मम्मी पापा का मेरे प्रति विशेष स्नेह उन्हें खटकता था
Read More »Mahatma Gandhi
भगवान भी बिकते हैं बस, खरीदने वाला चाहिए
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एक बार ओडिशा दौरे पर थे। इस दौरान प्रार्थना सभा में कुछ लोग कुछ-न-कुछ भेंट जरूर करते थे। जिन्हें बापू सभा समाप्ति के बाद नीलाम कर देते थे। कटक महासभा के दौरान एक कुम्हार ने बापू को श्रीकृष्ण की दो मूर्तियां भेंट कीं। सभा के अंत में जब बापू उन्हें नीलाम करने के लिए खड़े हुए तो …
Read More »देशहित के लिए इकन्नी भी है जरूरी
बात देहरादून की है। जब महात्मा गांधी हरिजन कोष के लिए धन एकत्रित करने के लिए एक सभा में पहुंचे। सभा का आयोजन महिलाओं ने किया था। उन्होंने दो हजार रुपये के थैली भी गांधीजी को भेंट स्वरूप दी। किसी ने आभूषण तो किसी ने कुछ और धन हरिजन कोष के लिए दिया। चारों तरफ शोर था। उस शोर में …
Read More »सभी के लिए होते हैं नियम
बात उन दिनों की है जब साबरमती के आश्रम में गांधीजी रहते थे। वह हर काम समय से करते थे। आश्रम में रहने वाले व्यक्ति को समय की महत्ता का विशेष पाठ गांधीजी दिया करते थे। वहां दोपहर और रात के भोजन के लिए दो घंटी बजाईं जाती थीं। उसी दौरान आकर भोजन करना अनिवार्य था। जो लोग दूसरी …
Read More »गांधीजी को यूं ही नहीं कहते हैं महात्मा
महात्मा गांधी जी छुआछूत के खिलाफ थे। एक बार उन्होंने अपने आश्रम में दलित और सवर्ण के विवाह की अनुमति दी। हालांकि उस समय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अगुआई कर रही कांग्रेस गांधी जी द्वारा दलितों के सामाजिक उत्थान हेतु चलाये गये इन कदमों से सहमति नहीं रखती थी क्योंकि उसका मानना था कि ‘सामाजिक सुधार’ को ‘स्वतंत्रता आन्दोलन’ …
Read More »यह है आत्मा का भोजन
बात उस समय की है जब महात्मा गांधी वकालत करते थे। वह नियमित प्रार्थना में हिस्सा लेते थे। एक बार एक वकील ने उनसे पूछा, आप प्रार्थना में जितना समय व्यतीत करते हैं, अगर उतना ही समय देश की सेवा में लगाया होता, तो आप अभी तक देश की कितनी सेवा कर चुके होते। गांधीजी ने गंभीर हो गए और …
Read More »बापू से जानिए अहिंसा और कायरता में अंतर
महात्मा गांधी जी के आश्रम में लड़कियां भी रहती थीं। एक दिन वे लौट रही थीं। रास्ते में कुछ लड़के उन्हें परेशान करने लगे। लड़कियां घबरा गईं और भागती हुईं आश्रम पहुंची। उन्होंने बापू को सारी बात बताई। बापू बोले, ‘तुम भाग क्यों आईं? हिम्मत से वहीं ठहरना था और उन लड़कों को दो-चार चपत लगानी चाहिए थी।’ यह सुनकर …
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