शादी के बाद पहली बार मायके में आई आरोही अपने मम्मी सुधा और पिता मोहनबाबू के साथ शाम की चाय का लुत्फ उठा रही थी सामने टीवी पर चल रहे सीरियल को देखकर अचानक ही वह बोली.
Read More »Story for Children]
कलम का सिपाही
एक ग़रीब नौजवान को हीले से लगाना उनके लिए मुशकिल बात न थी। नवाब के बारे मे उनका ख़्याल भी अच्छा था। सीधा, सच्चा, जहीन, मेहनती लड़का है। मगर बहुत ग़रीब है। बेकन साहब ने यहाँ-वहाँ दो-एक ख़त लिखे और मुंशीजी की नियुक्ति २ जुलाई
Read More »सॉरी रांग नम्बर
अच्छा पापा, मैं भी निकलता हूँ ऑफिस से, बस दस मिनट में स्टेशन पहुँच जाऊँगा। आप वेटिंग रूम में बैठ जाइएगा” कहकर अंकित ने फोन काट दिया। उधर ट्रेन में बैठे राजेन्द्र जी और उनकी पत्नी उर्मिला ने भी बड़े उत्साह से अपना बैग-अटैची सँभाल ली क्योंकि दिल्ली का स्टेशन आने वाला ही था। गाड़ी भी रेंगने लगी थी।
Read More »ताऊजी, हमें लेलगाड़ी (रेलगाड़ी) ला दोगे
ताऊजी, हमें लेलगाड़ी (रेलगाड़ी) ला दोगे? कहता हुआ एक पंचवर्षीय बालक बाबू रामजीदास की ओर दौड़ा।बाबू साहब ने दोंनो बाँहें फैलाकर कहा
Read More »गरीब का कोई रिश्तेदार नहीं होता
कपड़े में मैल लगा हुआ था मगर निहायत साफ, उसके नन्हे नन्हे से गाल आँसूओं से भीग चुके थे बहुत लोग उसकी तरफ आकर्षित थे और वह बिल्कुल अनजान अपने भगवान से बातों में लगा हुआ था
Read More »श्री वृंदावन धाम का नज़ारा
जहां हर बच्चा राधा कृष्ण जी का स्वरुप है , जहां पढाई का पहला अक्षर भगवान् श्री हरी जी के नाम से है | यमुना जी का कल कल करता पानी, फल से लदे वृक्ष, फूलों के झुण्ड, भवरों की गुंजन, हरी नाम की रास लीलाओं के गान
Read More »संतोष ही सबसे बड़ा धन है
बॉस ने पूछा-" तुम्हारी पगार में क्या सब ठीक से हो जाता है? दो बच्चों को पढ़ाना, खिलाना- पिलाना वगैरह?" रामशरण ने कहा- सर!" अच्छी तरह तो नहीं होता लेकिन ऊपर वाले की यही मर्जी समझ चला लेता हूं।" रामशरण के जाने के बाद वह सोचने लगे की इतनी कम पगार में यह खुश रहता है। मेरे पास आज सब कुछ है लेकिन मैं हमेशा चिंतित रहता हूं। आखिर इसकी तरह खुश क्यों नहीं रहता
Read More »औरतें भी न
दो मिनट की आरामदायक और बच्चों के पसंद की ज़ायकेदार मैगी को छोड़, किचन में गर्मी में तप कर हरी सब्ज़ियाँ बनाती फिरती हैं।
Read More »निर्णय ले लिया
पति की कमाई सीमित होने के कारण वह स्वयं पूरा दिन सिलाई करके बच्चों की जरूरतों को पूरा करती थी।
Read More »सोनी सुबह से काम में लगी हुई है
अपनी तरफ से कुछ देना चाहती थी पर क्या दे!फिर कुछ सोच कर पंसारी की दुकान पर पहुँच गयी... "काका, वो बड़ा वाला हार्लिक्स का डब्बा देना.... ये लो बिटिया.....अरे रुपया रहने दे हम बड़े भइया से ले लेंगे..
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