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Story for Children]

भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवास

भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ तो उनकी पत्नी माँ सीता ने भी सहर्ष वनवास स्वीकार कर लिया।परन्तु बचपन से ही बड़े भाई की सेवा मे रहने वाले लक्ष्मण जी कैसे राम जी से दूर हो जाते! माता सुमित्रा से तो उन्होंने आज्ञा ले ली थी, वन जाने की.. परन्तु जब पत्नी उर्मिला के कक्ष की ओर …

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सिंहासन बत्तीसी की ग्यारहवीं कहानी – त्रिलोचनी पुतली की कथा!!

हर बार की तरह इस बार भी राजा भोज सिंहासन पर बैठने के लिए राज दरबार पहुंचते हैं। इस बार सिंहासन की ग्यारहवीं पुतली त्रिलोचना उन्हें रोक देती है। फिर वह राजा विक्रमादित्य के गुणों के बारे में बताने के लिए महायज्ञ का एक किस्सा सुनाने लगती है। एक बार राजा विक्रमादित्य ने राज्य की खुशहाली के लिए महायज्ञ करने …

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सिंहासन बत्तीसी की बारहवीं कहानी – पद्मावती पुतली की कथा!!

विक्रमादित्य की खूबियों के बारे में बताने के लिए इस बार बारहवीं पुतली सिंहासन से निकलती है। वह राजाभोज को राजा विक्रमादित्य और एक राक्षस की कहानी सुनाती है। एक दिन राजा विक्रमादित्य अपने राज-पाठ का काम खत्म करके सुहाने मौसम का आनंद उठा रहे थे। तभी उन्हें एक महिला की चीख सुनाई दी। वह मदद के लिए के लिए …

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समुद्र के किनारे जब एक तेज़ लहर आयी तो एक बच्चे का चप्पल ही अपने साथ बहा ले गयी..

बच्चा रेत पर अंगुली से लिखता है… “समुद्र चोर है” उसी समुद्र के दूसरे किनारे पर एक मछुवारा बहुत सारी मछलियाँ पकड़ लेता है…. वह उसी रेत पर लिखता है…”समुद्र मेरा पालनहार है” एक युवक समुद्र में डूब कर मर जाता है…. उसकी मां रेत पर लिखती है… “समुद्र हत्यारा है” एक दूसरे किनारे एक गरीब बूढ़ा टेढ़ी कमर लिए …

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विक्रम बेताल की बाईसवीं कहानी: चार ब्राह्मण भाइयों की कथा!!

जब राजा विक्रमादित्य ने एक बार फिर बेताल को पकड़ा, तो उसने हर बार की तरह एक नई कहानी शुरू कर दी। बेताल ने कहानी सुनाते हुए राजा विक्रमादित्य से कहा…. कुसुमपुर नाम के एक नगर में एक ब्राह्मण परिवार रहा करता था। ब्राह्मण के परिवार में चार बेटे और उसकी पत्नी थी। ब्राह्मण अपने परिवार के साथ सुखी-सुखी जीवन …

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मुंशी प्रेमचंद की कहानी : पूस की रात!!

हल्कू ने घर आकर अपनी पत्नी मुन्नी से कहा, “घर में जो रुपए रखे हैं उसे ले आओ, सहना आया है, उसे दे देता हूं, ताकि उससे पीछा छूटे।” बरामदे में झाड़ू लगा रही मुन्नी ने पलटकर गुस्से से हल्कू को देखा और बोली, “चार रुपए ही तो बचे हैं घर में, अब वो भी सहना को दे दोगे, तो …

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मुंशी प्रेमचंद की कहानी : पंच परमेश्वर !!

जुम्मन शेख और अलगू चौधरी दो पक्के दोस्त थे। वो हिस्सेदारी में खेती करते थे, यहां तक कि उनका कुछ लेन-देन भी एक साथ होता था। दोनों एक दूसरे पर पूरा विश्वास करते थे। जुम्मन जब हज पर गया, तो अलगू पर अपने घर की जिम्मेदारी छोड़ गया था और जब अलगू बाहर किसी काम से जाता, तो जुम्मन को …

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मुंशी प्रेमचंद की कहानी : एक आंच की कसर!!

पूरी नगरी में श्रीमान यशोदानंद की खूब चर्चा हो रही थी। उनकी कीर्ति के बारे में नगरवासी ही नहीं, बल्कि अखबारों में तक लोग लिख रहे थे। उन्हें बधाई देने के लिए उनके घर के बाहर लोगों की भीड़ जमा थी। यही तो होती है समाज सेवा, जो इंसान को इतना मान-सम्मान दिला दे। ऊंचे विचार के लोग अक्सर ही …

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बुद्धिमान् वानर की कथा!!

हज़ारों साल पहले किसी वन में एक बुद्धिमान बंदर रहता था। वह हज़ार बंदरों का राजा भी था।एक दिन वह और उसके साथी वन में कूदते-फाँदते ऐसी जगह पर पहुँचे जिसके निकट क्षेत्र में कहीं भी पानी नहीं था। नयी जगह और नये परिवेश में प्यास से व्याकुल नन्हे वानरों के बच्चे और उनकी माताओं को तड़पते देख उसने अपने …

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मुंशी प्रेमचंद की कहानी : नैराश्य लीला!!

एक बार की बात है, अयोध्या में एक सम्मानित पंडित रहते थे, जिनका नाम हृदयनाथ था। भले ही उनके पास बहुत धन-दौलत न था, लेकिन वे थोड़े में ही संतोष रखते थे। हालांकि, उनके पास जो कुछ मकान थे, उनसे आने वाले किराए से उनका जीवन गुजर बसर हो जाता था। किराया बढ़ाने के साथ ही उन्होंने एक सवारी खरीद …

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