नताशा एक पढ़ी लिखी ऊँचे पद पर कार्यरत थी।उसके मां-बाप को उसकी बढ़ती उम्र के साथ उसकीशादी की चिंता हो रही थी । आज के समाज के अनुसार उसमे भारी कमी थी और वह थी उसका रंग जो की सांवला था, जिस कारण कोई लड़का उसे पसंद नहीं करता था।
Read More »strory
जॉनी वाकर
गुरु दत्त ने तुरंत कहा, ‘तो कहो ना’। जॉनी वाकर ने कहा कि एम सादिक एक फिल्म बनाना चाहता है, लेकिन उसकी हालत कुछ ठीक नहीं है। हम सबको मिलकर उसका साथ देना होगा। तुम भी इस फिल्म में काम कर लो, लेकिन सुनो थोड़ा कोआपरेट करना होगा।
Read More »चरित्र प्रमाण पत्र
एक हफ्ता गुजर गया, मैने बस इतना नोटिस किया कि वह लड़की शांत और चुपचाप बैठी रहती है। कभी कोई प्रश्न नहीं पूछती, कापियां भी चैक नहीं कराती, और ना ही कभी पढने में कोई रूचि दिखाती। मैने भी कभी पूछा नहीं
Read More »12th fail
इलाहाबाद में 10×10 का कमरा भी आज 3000 प्रति माह के हिसाब से मिलता है पढ़ने वाले इलाहाबाद में अपनी किताब ख़रीदने के लिए ऑटो से नही बल्कि पैदल चलते है ताकि 20 रुपया किराए का बच गया तो दो टाइम सब्जी खरीद लूंगा।
Read More »महाराणा प्रताप
उनके कद,उनके वजन ,उनके भाले,उनके घोड़े पर लिखते हुए! क्या इसी आधार पर कोई व्यक्ति सम्मानित हो जाता है ? व्यक्ति सम्मान का पात्र होता है अपने कर्म और चरित्र की वजह है ।
Read More »भगवान दादा
भारत के पहले डांसिंग सुपरस्टार माने जाने वाले भगवान दादा (Bhagwan Dada) की आज 109वीं जयंती है। 1 अगस्त 1913 को अमरावती में जन्मे भगवान दादा का असली नाम भगवान आबाजी पालव था।
Read More »घमंडी बाप को सबक सिखाया
आज उनको समझ आ गया था कि कितने भी बड़े पद पर रहो मान प्रतिष्ठा रहे पर घर में परिवार में एक सामन्य इंसान बनकर रहना चाहिए |
Read More »गाँवी खुशियों का चॉकलेट: एक परिवर्तन की कहानी
खाली पैसे बचाने के चक्कर में ढंग से खाता-पीता भी नहीं क्या!" "बारह घंटे की ड्यूटी है अम्मा, बैठकर थोड़े खाना है! ये लो, तुम्हारी मनपसंद मिठाई!"--कहकर उसने मिठाई का डिब्बा माँ को थमा दी!
Read More »स्वस्थ शरीर से बढ़कर कोई पूंजी नहीं
उसके पास पैसे की कोई कमी नहीं थी लेकिन वह बहुत ज़्यादा आलसी था। अपने सारे काम नौकरों से ही करता था और खुद सारे दिन सोता रहता या अययाशी करता था। वह धीरे धीरे बिल्कुल निकम्मा हो गया था| उसे ऐसा लगता जैसे मैं सबका स्वामी हूँ क्यूंकी मेरे पास बहुत धन है मैं तो कुछ भी खरीद सकता हूँ। यही सोचकर वह दिन रात सोता रहता था| लेकिन कहा जाता है की बुरी सोच का बुरा नतीज़ा होता है।
Read More »मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा
छोटा सा गाँव था,और छोटी सी दुकान थी उनकी। ईमानदारी से दुकान चलाते थे और इज्जत से रहते थे। तीन बेटे थे उनके, दुलीचंद,माखन और सेवा राम। गाँव में सिर्फ आठवीं तक का स्कूल था, आगे की पढ़ाई के लिए शहर जाना पड़ता था
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