एक बार एक आदमी किसी गाँव के पास से गुजर रहा था । उस रास्ते में श्मशान भूमि थी, उसने श्मशान भूमि में पत्थरों के ऊपर मरने वाले की उम्र लिखी हुई देखी 5 वर्ष, 8 वर्ष, 10 वर्ष और 20 वर्ष ।उस आदमी ने सोचा कि इस गांव में सभी की मृत्यु अल्प आयु में ही हो जाती है …
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अहोई अष्टमी व्रत कथा, पूजा विधि व उद्यापन विधि!
करवा चौथ के ठीक 4 दिन बाद कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। इसे अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है। जिस वार की दीपावली होती है अहोई आठें भी उसी वार की पड़ती है। इस व्रत को वे स्त्रियाँ ही करती हैं जिनके सन्तान होती हैं। यह व्रत संतान …
Read More »श्री कनकधारा स्तोत्रम् || Shri Kanakdhara Stotram || Kanakadhara Stotra 21 shalok
॥ अथ श्री कनकधारा स्तोत्रम् ॥ अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्। अङ्गीकृताऽखिल-विभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदाऽस्तु मम मङ्गळदेवतायाः ॥१॥ जैसे भ्रमरी अधखिले कुसुमों से अलंकृत तमाल-तरु का आश्रय लेती है, उसी प्रकार जो प्रकाश श्रीहरि के रोमांच से सुशोभित श्रीअंगों पर निरंतर पड़ता रहता है तथा जिसमें संपूर्ण ऐश्वर्य का निवास है, संपूर्ण मंगलों की अधिष्ठात्री देवी भगवती महालक्ष्मी का वह कटाक्ष …
Read More »गीता जी के तेरहँवे अध्याय का माहात्म्य
श्री नारायण जी बोले हे लक्ष्मी ! अब तेरहँवे अद्याय का महात्मय सुनो। दक्षिण देश में हरी नमक नगर था ,वहां एक व्यभिचारिणी स्त्री रहती थी। एक दिन एक पुरुष को उसने वचन दिया की ,मैं अमुक स्थान में तेरे पास आऊँगी ,तुम वहां चलो। वह पुरुष किसी और वन में चला गया और स्त्री ढूंढती - ढूंढती हैरान हो गयीपैर वह पुरुष न मिला।
Read More »भगवान को सिर्फ जीव्हा से नही हृदय से भजते
वीणा बजाते हुए नारदमुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे।नारायण नारायण !!नारदजी ने देखा कि द्वार पर हनुमान जी पहरा दे रहे है।फहनुमान जी ने पूछा: नारद मुनि ! कहाँ जा रहे हो ?
नारदजी बोले: मैं प्रभु से मिलने आया हूँ। नारदजी ने हनुमानजी से पूछा प्रभु इस समय क्या कर रहे है?
हनुमानजी बोले: पता नहीं पर कुछ बही खाते …
श्रीमद्भगवद्गीताके बारहवें अध्यायका माहात्म्य
श्रीमहादेवजी कहते हैं – पार्वती ! दक्षिण दिशामें कोल्हापुर नामका एक नगर है , जो सब प्रकारके सुखोंका आधार , सिद्ध – महात्माओंका निवासस्थान तथा सिद्धि – प्राप्तिका क्षेत्र है । वह पराशक्ति भगवती लक्ष्मीका प्रधान पीठ है । सम्पूर्ण देवता उसका सेवन करते हैं । वह पुराणप्रसिद्ध तीर्थ भोग एवं मोक्ष प्रदान करनेवाला है । वहाँ करोड़ों तीर्थ और शिवलिङ्ग …
Read More »किसी धोबी के कहने पर राम जी ने सीता जी को वनवास भेजा था?
क्या सच में किसी धोबी के कहने पर राम जी ने सीता जी को वनवास भेजा था ,,,,,,राम जी ने कभी सीता से नही कहा की तुम वनवास चली जाओ ,पति की व्याकुलता राजा का कर्तव्य प्रजा की कहा सुनी इन सब में राम जी कही अंदर ही अंदर पीस रहे थे ,उन्हे राजा का कर्तव्य भी निभाना था और …
Read More »श्रीमद्भगवद्गीता के एकादश अध्याय का माहात्म्य
उसी मेघङ्कर नगरमें कोई श्रेष्ठ ब्राह्मण थे , जो ब्रह्मचर्यपरायण , ममता और अहंकारसे रहित , वेद – शास्त्रोंमें प्रवीण , जितेन्द्रिय तथा भगवान् वासुदेवके शरणागत थे । उनका नाम सुनन्द था । प्रिये ! वे शार्ङ्गधनुष धारण करनेवाले भगवान्के पास गीताके ग्यारहवें अध्याय विश्वरूपदर्शनयोगका पाठ किया करते थे । उस अध्यायके प्रभावसे उन्हें ब्रह्मज्ञानकी प्राप्ति हो गयी थी । …
Read More »गीता के दसवें अध्याय का माहात्म्य
अब तुम दशम अध्यायके माहात्म्यकी परमपावन कथा सुनो , जो स्वर्गरूपी दुर्गमें जानेके लिये सुन्दर सोपान और प्रभावकी चरम सीमा है । काशीपुरीमें धीरबुद्धि नामसे विख्यात एक ब्राह्मण था , जो मुझमें प्रिय नन्दीके समान भक्ति रखता था । वह पावन कीर्तिके अर्जनमें तत्पर रहनेवाला , शान्तचित्त और हिंसा , कठोरता एवं दुःसाहससे दूर रहनेवाला था ।
Read More »मन की सकारात्मक सीमाबहुत
समय पहले की बात है किसी गाँव में मोहन नाम का एक किसान रहता था . वह बड़ा मेहनती और ईमानदार था .अपने अच्छे व्यवहार के कारण दूर -दूर तक उसे लोग जानते थे और उसकी प्रशंशा करते थे .पर एक दिन जब देर शाम वह खेतों से काम कर लौट रहा था तभी रास्ते में उसने कुछ लोगों को …
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