देवि ! अब नौंवे अध्यायका माहात्म्य सुनो ! उसके सुननेसे तुम्हें बड़ी प्रसन्नता होगी । [ लक्ष्मीजीके पूछनेपर भगवान् विष्णुने उन्हें इस प्रकार नौंवे अध्यायका माहात्म्य बतलाया था । ] दक्षिणमें आमर्दकपुर नामक एक प्रसिद्ध नगर है । वहाँ भावशर्मा नामक एक ब्राह्मण रहता था , जिसने वेश्याको पत्नी बनाकर रखा था । वह मांस खाता , मदिरा पीता , …
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मन में किसी प्रकार का घमंड नहीं करना चाहिए
एक राजा, वह जब भी मंदिर जाता, तो 2 भिखारी उसके दाएं और बाएं बैठा करते।दाईं तरफ़ वाला कहता: “हे ईश्वर, तूने राजा को बहुत कुछ दिया है, मुझे भी दे दे.!”बाईं तरफ़ वाला कहता: “ऐ राजा.! ईश्वर ने तुझे बहुत कुछ दिया है, मुझे भी कुछ दे दे.!”दाईं तरफ़ वाला भिखारी बाईं तरफ़ वाले से कहता: ईश्वर से माँग …
Read More »आठवें अध्याय का माहात्म्य
पार्वती ! अब मैं आदरपूर्वक आठवें अध्यायके माहात्म्यका वर्णन करूँगा , तुम स्थिर होकर सुनो । नर्मदाके तटपर माहिष्मती नामकी एक नगरी है । वहाँ माधव नामके एक ब्राह्मण रहते थे ,
Read More »सातवें अध्याय का माहात्म्य
भगवान शिव कहते हैं- “हे पार्वती ! अब मैं सातवें अध्याय का माहात्म्य बतलाता हूँ, जिसे सुनकर कानों में अमृत-राशि भर जाती है। पाटलिपुत्र नामक एक दुर्गम नगर है जिसका गोपुर (द्वार) बहुत ही ऊँचा है। उस नगर में शंकुकर्ण नामक एक ब्राह्मण रहता था। उसने वैश्य वृत्ति का आश्रय लेकर बहुत धन कमाया किन्तु न तो कभी पितरों का तर्पण किया …
Read More »तेरा सारा जीवन सोच करते ही बीतता
7 मार्च 1672 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित शाही दीवानखाने में बीकानेर के राजकुमार मोहनसिंह और औरंगाबाद के कोतवाल मुहम्मद मीर तोजक के बीच एक हिरण को लेकर विवाद हुआ। कोतवाल मुहम्मद मीर तोजक औरंगजेब के शहजादे मुअज्जम का साला था तो मोहनसिंह भी शाहजादे के अतिप्रिय थे। हिरण के इस विवाद ने देखते ही देखते ही झगड़े का रूप …
Read More »पाँचवें अध्याय का माहात्म्य
श्री भगवान कहते हैं हे देवी! अब सब लोगों द्वारा सम्मानित पाँचवें अध्याय का माहात्म्य संक्षेप में बतलाता हूँ, सावधान होकर सुनो | मद्र देश में पुरुकुत्सपुर नामक एक नगर है | उसमें पिंगल नामक एक ब्राह्मण रहता था | वह वेदपाठी ब्राह्मणों के विख्यात वंश में, जो सर्वदा निष्कलंक था, उत्पन्न हुआ था, किंतु
Read More »भारत से सिर्फ पैसे की ही लूट नहीं हुई,…
यदि हमारे पूर्वजो को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास “विमान” शब्द भी नहीं होता।यदि हमारे पूर्वजों को Electricity की जानकारी नहीं थी, तो हमारे पास “विद्युत” शब्द भी नहीं होता।यदि “Telephone” जैसी तकनीक प्राचीन भारत में नहीं थी तो, “दूरसंचार” शब्द हमारे पास क्यो है।Atom और electron की जानकारी नहीं थी तो अणु और परमाणू शब्द कहा …
Read More »Shrimad Bhagwat Geeta Mahatmya Adhyay4
गीता महात्म्य : चौथा अध्याय का महात्म्य लक्ष्मीजी ने पूछा हे स्वामी! श्री गीताजी के पाठ करने वाले को छूकर भी कोई जीव मुक्ति हुआ है? तब श्री नारायणजी ने कहा हे लक्ष्मी! तुम्हे मुक्ति की एक पुरातन कथा सुनाता हूं। गंगाजी के तट पर एक काशीपुर नाम का एक नगर है। वहां एक वैष्णव रहता था। वह नित्य गंगा …
Read More »Shrimad Bhagwat Geeta Mahatmya Adhyay3
श्रीमद्भगवद्गीता तीसरे अध्याय के पाठ का महत्व श्री नारायण बोले- हे लक्ष्मी एक महामूर्ख व्यक्ति अकेला ही एक वन में रहता था, गलत कार्यों से उसने बहुत सा धन इकट्ठा किया। किसी कारण से वह सब धन जाता रहा। अब वह व्यक्ति बहुत चिंतित रहने लगा। किसी से पूछता कि ऐसा उपाय बताओं जिससे पृथ्वी में गड़ा धन मुझे मिले। …
Read More »Shrimad Bhagwat Geeta Mahatmya Adhyay2
गीता के दूसरे अध्याय का महत्व श्री नारायण जी बोले-हे लक्ष्मी! दक्षिण देश में एक पूर्ण नाम नगर था। वहां एक देव सुशर्मा बड़ा धनवान रहता था, वह साधु सेवा करता था। जब साधु सेवा करते हुए बहुत दिन बीते, तब एक बाल नाम ब्रह्मचारी आया। जिसकी सुशर्मा ने बहुत सेवा की और विनय किया कि हे संतजी! कृपा मुझे …
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