किसी दिन सुबह उठकर एक बार इसका जायज़ा लीजियेगा कि कितने घरों में अगली पीढ़ी के बच्चे रह रहे हैं? कितने बाहर निकलकर नोएडा, गुड़गांव, पूना, बेंगलुरु, चंडीगढ़,बॉम्बे, कलकत्ता, मद्रास, हैदराबाद, बड़ौदा जैसे बड़े शहरों में जाकर बस गये हैं?
कल आप एक बार उन गली मोहल्लों से पैदल निकलिएगा जहां से आप बचपन में स्कूल जाते समय या दोस्तों के संग मस्ती करते हुए निकलते थे।
तिरछी नज़रों से झांकिए.. हर घर की ओर आपको एक चुपचाप सी सुनसानियत मिलेगी, न कोई आवाज़, न बच्चों का शोर, बस किसी किसी घर के बाहर या खिड़की में आते जाते लोगों को ताकते बूढ़े जरूर मिल जायेंगे।
आखिर इन सूने होते घरों और खाली होते मुहल्लों के कारण क्या हैं ?
भौतिकवादी युग में हर व्यक्ति चाहता है कि उसके एक बच्चा और ज्यादा से ज्यादा दो बच्चे हों और बेहतर से बेहतर पढ़ें लिखें।
उनको लगता है या फिर दूसरे लोग उसको ऐसा महसूस कराने लगते हैं कि छोटे शहर या कस्बे में पढ़ने से उनके बच्चे का कैरियर खराब हो जायेगा या फिर बच्चा बिगड़ जायेगा। बस यहीं से बच्चे निकल जाते हैं बड़े शहरों के होस्टलों में।
अब भले ही दिल्ली और उस छोटे शहर में उसी क्लास का सिलेबस और किताबें वही हों मगर मानसिक दबाव सा आ जाता है बड़े शहर में पढ़ने भेजने का।
हालांकि इतना बाहर भेजने पर भी मुश्किल से 1% बच्चे IIT, PMT या CLAT वगैरह में निकाल पाते हैं…। फिर वही मां बाप बाकी बच्चों का पेमेंट सीट पर इंजीनियरिंग, मेडिकल या फिर बिज़नेस मैनेजमेंट में दाखिला कराते हैं।
4 साल बाहर पढ़ते पढ़ते बच्चे बड़े शहरों के माहौल में रच बस जाते हैं। फिर वहीं नौकरी ढूंढ लेते हैं । सहपाठियों से शादी भी कर लेते हैं।आपको तो शादी के लिए हां करना ही है ,अपनी इज्जत बचानी है तो, अन्यथा शादी वह करेंगे ही अपने इच्छित साथी से।
अब त्यौहारों पर घर आते हैं माँ बाप के पास सिर्फ रस्म अदायगी हेतु।
माँ बाप भी सभी को अपने बच्चों के बारे में गर्व से बताते हैं । दो तीन साल तक उनके पैकेज के बारे में बताते हैं। एक साल, दो साल, कुछ साल बीत गये । मां बाप बूढ़े हो रहे हैं । बच्चों ने लोन लेकर बड़े शहरों में फ्लैट ले लिये हैं।
अब अपना फ्लैट है तो त्योहारों पर भी जाना बंद।
अब तो कोई जरूरी शादी ब्याह में ही आते जाते हैं। अब शादी ब्याह तो बेंकट हाल में होते हैं तो मुहल्ले में और घर जाने की भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है। होटल में ही रह लेते हैं।
हाँ शादी ब्याह में कोई मुहल्ले वाला पूछ भी ले कि भाई अब कम आते जाते हो तो छोटे शहर, छोटे माहौल और बच्चों की पढ़ाई का उलाहना देकर बोल देते हैं कि अब यहां रखा ही क्या है?
खैर, बेटे बहुओं के साथ फ्लैट में शहर में रहने लगे हैं । अब फ्लैट में तो इतनी जगह होती नहीं कि बूढ़े खांसते बीमार माँ बाप को साथ में रखा जाये। बेचारे पड़े रहते हैं अपने बनाये या पैतृक मकानों में।
कोई बच्चा बागवान पिक्चर की तरह मां बाप को आधा – आधा रखने को भी तैयार नहीं।
अब साहब, घर खाली खाली, मकान खाली खाली और धीरे धीरे मुहल्ला खाली हो रहा है। अब ऐसे में छोटे शहरों में कुकुरमुत्तों की तरह उग आये “प्रॉपर्टी डीलरों” की गिद्ध जैसी निगाह इन खाली होते मकानों पर पड़ती है । वो इन बच्चों को घुमा फिरा कर उनके मकान के रेट समझाने शुरू करते हैं । उनको गणित समझाते हैं कि कैसे घर बेचकर फ्लैट का लोन खत्म किया जा सकता है । एक प्लाट भी लिया जा सकता है।
साथ ही ये किसी बड़े लाला को इन खाली होते मकानों में मार्केट और गोदामों का सुनहरा भविष्य दिखाने लगते हैं।
बाबू जी और अम्मा जी को भी बेटे बहू के साथ बड़े शहर में रहकर आराम से मज़ा लेने के सपने दिखाकर मकान बेचने को तैयार कर लेते हैं।
आप स्वयं खुद अपने ऐसे पड़ोसी के मकान पर नज़र रखते हैं । खरीद कर डाल देते हैं कि कब मार्केट बनाएंगे या गोदाम, जबकि आपका खुद का बेटा छोड़कर पूना की IT कंपनी में काम कर रहा है इसलिए आप खुद भी इसमें नहीं बस पायेंगे।
हर दूसरा घर, हर तीसरा परिवार सभी के बच्चे बाहर निकल गये हैं।
वही बड़े शहर में मकान ले लिया है, बच्चे पढ़ रहे हैं,अब वो वापस नहीं आयेंगे। छोटे शहर में रखा ही क्या है । इंग्लिश मीडियम स्कूल नहीं है, हॉबी क्लासेज नहीं है, IIT/PMT की कोचिंग नहीं है, मॉल नहीं है, माहौल नहीं है, कुछ नहीं है साहब, आखिर इनके बिना जीवन कैसे चलेगा?
भाईसाब ये खाली होते मकान, ये सूने होते मुहल्ले, इन्हें सिर्फ प्रोपेर्टी की नज़र से मत देखिए, बल्कि जीवन की खोती जीवंतता की नज़र से देखिए। आप पड़ोसी विहीन हो रहे हैं। आप वीरान हो रहे हैं।
आज गांव सूने हो चुके हैं
शहर कराह रहे हैं |
सूने घर आज भी राह देखते हैं.. वो बंद दरवाजे बुलाते हैं पर कोई नहीं आता…!!!!!
English Translate
Will wake up someday in the morning and take stock of how many homes the next generation children are living in? How many have moved out and settled in big cities like Noida, Gurgaon, Poona, Bangalore, Chandigarh, Bombay, Calcutta, Madras, Hyderabad, Baroda?
Tomorrow you will once walk through those streets from where you used to go to school in childhood or while having fun with friends.
Take a peek through the eyes.. Towards every house you will find a quiet serenity, no sound, no noise of children, just outside any house or people coming in the window, you will definitely find old people looking.
After all, what are the reasons for these deserted houses and empty mohallas?
In the materialistic age, every person wants to have one child and at most two children and read and write better.
They feel or other people start making them feel that by studying in a small town or town, their child’s career will be spoiled or the child will be spoiled. It is only from here that children leave in the hostels of big cities.
Now even though the syllabus and books of the same class are the same in Delhi and that small city, but the mental pressure comes to send them to study in the big city.
However, even after sending this much out, hardly 1% of the children are able to get out in IIT, PMT or CLAT etc. Then the same parents enroll the rest of the children in engineering, medical or business management on the payment seat.
While studying outside for 4 years, children get settled in the atmosphere of big cities. Then find a job there. They also marry classmates. You have to say yes to marriage, if you want to save your respect, otherwise he will marry his desired partner.
Now, on festivals, they come home to the parents only for the rituals.
Parents also proudly tell everyone about their children. Lets tell about their package for two to three years. A year, two years, a few years have passed. Parents are getting old. Children have taken flats in big cities by taking loans.
Now you have your flat, so stop going on festivals too.
Now, only some important marriages come for marriages. Now, when marriages are held in the becket hall, then there is no need to go to the locality and even to go home. Stay in the hotel itself.
Yes, in marriage, even if a local person asks that brothers come less and less, then by blaming the small town, small environment and children’s education, they say that what is kept here now?
Well, the sons have started living in the city in the flat with the daughters-in-law. Now there is not enough space in the flat to keep the old coughing sick parents with them. Poor people live in their own built or ancestral houses.
No child is even ready to keep the parents half-half like a gardener’s picture.
Now sir, the house is empty, the house is empty and slowly the locality is getting empty. Now in such a situation, the “property dealers” who have grown up like mushrooms in small towns, fall on these vacant houses like vultures. They start explaining the rates of their houses by turning these children around. Let them explain the math that how the flat loan can be ended by selling the house. A plot can also be taken.
At the same time, they start showing the golden future of the market and warehouses in these empty houses to a big Lala.
Babu ji and Amma ji also get ready to sell the house with son daughter-in-law by living in a big city and dreaming of enjoying it comfortably.
You yourself keep an eye on the house of such a neighbor. Buy them and put them when you will build a market or warehouse, while your own son is leaving and working in the IT company of Poona, so you yourself will not be able to settle in it.
Every second home, every third family, everyone’s children have moved out.
He has taken a house in the same big city, children are studying, now they will not come back. What is there in a small town? There is no English medium school, no hobby classes, no IIT/PMT coaching, no mall, no atmosphere, nothing sir, how will life go on without them?
Brother, these empty houses, these deserted localities, don’t just look at them from the point of view of property, but look at them from the point of view of the lost vitality of life. You are becoming neighborless. You are getting deserted.
Today the village is deserted
The city is moaning.
The deserted houses still look for the way.. They call for closed doors but no one comes..!!!!!