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हे ईश् प्रभु परमेश्वर हम सब तुझको शीश नवाते हैं

हे ईश् प्रभु परमेश्वर हम सब तुझको शीश नवाते हैं.
आदि अंत हैं तुझमे प्रभुवर! तेरे ही गुण गाते हैं.
जड़ चेतन में तू ही तू हैं,
तू ही दिक् और काल बना.
आत्म रूप बन प्राणी मात्र में,
जीवन , जीवन पाल बना.
तू ही तू बस ओर हैं, मै की भेट चढाते हैं.
अहंभाव को तज सब में हम तेरे दर्शन पाते हैं.
विविध नाम और रूप वेश में,
एक तुम्ही तो हो आधार.
निराकार तुम अवतारों में
बने तुम्ही तो हो साकार.
रचना, पालक, सहारक के रूप विविध बन जाते हैं.
इसी लिए तो विविध रूप में तेरे गुण सब गाते हैं
मात-पिता और बन्धु मित्र तुम,
गुरु तुम्ही हो, तुम्हे प्रणाम
बसों हमारे मन मन्दिर में
बनकर ॐ, राम और श्याम.
सब की सेवा, तेरी सेवा, गीत यही बस गाते हैं
सब में तेरे दर्शन पाकर तुझको शीष नवाते हैं.

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