एक संत बड़े तपस्वी और बहुत संयमी थे। लोग उनके धैर्य की प्रशंसा करते थे। एक दिन उनके मन में विचार आया कि उन्होंने खान-पान पर तो संयम कर लिया, लेकिन दूध पीना उन्हें बहुत प्रिय था। उसे त्याग करने के बारे में मन बनाया। इस तरह संत ने दूध पीना छोड़ दिया।
सभी लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने इस व्रत का कड़े नियम से पालन किया। ऐसा करते हुए कई साल बीत गए। एक दिन संत के मन में विचार आया कि आज दूध पिया जाए। फिर तो न चाहते हुए भी उनकी दूध पीने की इच्छा प्रबल हो गई। तभी उन्हें एक धनी व्यक्ति के यहां से भोजन का बुलावा आया। उन्होंने उस सेठ से कहा, आज सिर्फ मैं दूध पीना चाहूंगा।
उन सेठजी को पता था कि संत ने दूध न पीने का कठिन दृढ़ निश्चय किया है। शाम को सेठजी ने 40 घड़े संत की कुटिया के बाहर रखवाये। उन सभी में दूध भरा हुआ था। सेठजी पहुंचे और कहा आप ये पूरा दूध पी लीजिए।
संत ने कहा, मुझे अकेले को ही दूध पीना है फिर आप इतने घड़े क्यों ले आए? सेठजी ने कहा, महाराज आपने दूध पीना 40 साल से छोड़ रखा है, उस हिसाब से दूध के 40 बड़े घड़े आपके सामने हैं।
संत, सेठजी की बातों को समझ गए। उन्होंने क्षमा मांगते हुए कहा, मैंने मन के टूटते संयम पर अब नियंत्रण पा लिया है।
संक्षेप में
मन किसी भी उम्र में विपरीत प्रभाव डाल देता है। इसके नियंत्रण का एक ही उपाय है। और वो है अभ्यास। किंतु सतत् अभ्यास जड़ता के रूप में न हो जाए, इसलिए इसमें चैतन्यता बनाए रखनी चाहिए।
मनुष्य का मन चंचल बच्चे की तरह होता है। वह कभी तो मान जाता है और कभी उछल कूद करने लगता है। अतः उसे नियंत्रित करने के नए-नए उपाय खोजने पड़ते हैं। जिस मनुष्य का मन नियंत्रण में रहता है। उसके निर्णय कभी गलत नहीं होते हैं।
Hindi to English
A saint was a great ascetic and very temperate. People used to admire their patience. One day he came to his mind that he had restrained himself on food and drink, but drinking milk was very dear to him. He made a mind about sacrificing. In this way the saint gave up drinking milk.
Everyone was surprised at all. They followed this strict rule of fast. Many years passed by doing so. One day the thought came in the mind of the Saint that milk should be drunk today. Again, the desire to drink their milk prevailed even when they did not want to. Only then a rich man came calling from here. He told that Seth, “I just want to drink milk today.”
Sethji knew that the saint has made a firm determination to not drink milk. In the evening, Sethji kept 40 pitchers outside the sut of the saint. All of them were full of milk. Sethji arrived and said that you drink this whole milk.
The saint said, I have to drink milk alone, why have you brought so many pots? Sethji said, Maharaj has left you for 40 years of drinking milk, according to that 40 big pitches of milk are in front of you.
Saints understood Sethji’s things. He apologized and said, I have now got control over the restraint of the mind.
in short
The mind can have adverse effects in any age. There is only one way to control it. And that is practice. But persistent practice does not happen in the form of inertia, therefore it should maintain the consciousness.
The mind of man is like a fickle child. He sometimes gets accustomed and starts jumping jumping. So they have to find new ways to control it. The man’s mind is in control. His decisions are never wrong.