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श्री खाटू श्याम देवाय नमो नमः

परम पूजनीय श्री चुलकाना धाम के पावन स्थल को कोटि कोटि वार नमन श्री खाटू श्याम देवाय नमो नमः

परम पूजनीय श्री खाटू श्याम धाम के पावन स्थल को कोटि कोटि नमन श्री खाटू श्याम देवाय नमः मोर मुकुट बाले की जय तीन बाण धारी की जय हो शीश के दानी की जय हो हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा पाँडव कुल की देवी हिंगलाज माता जी को कोटि कोटिवार नमन परम आदर्णीय श्री खाटू श्याम जी बाबा ,” भूतल पर, समुद्र के किनारे और आकाश की अनन्त गहराईयों में आपका ही शासन चला करता है फिर भी हे खाटू वाले श्याम ! हमारी हार के बाद हार होती चली जा रही है और जीवन में कई प्रकार के दु:खों की पुनरावृत्ति आज तक बनी हुई है | इस दु:ख हार और अपमान की पुनरावृत्ति के कारण तन मन बुरी तरह से टूटने लगे हैं और जीने की इच्छा लगातार समाप्त होती चली जा रही है | संसार में सदैव ही राक्षसों का शासन होता चला आ रहा है | मैंने देखा है कि गलत लोगों ने भय और दबाब के दम पर सदियों तक शासन किया है और शायद आगे भी ऐसा हो | हे खाटू श्याम बाबा ! अपने तीनों बाणों की शक्ति को दिखला दीजिये | आँखें कब से प्यासी हैं आपके दर्शन करने के लिए किन्तु कलियुग में कहाँ किसी को दर्शन मिलते हैं ? देव दर्शन अब केवल किताबों में लिखे रह गये हैं | अमृत केवल सुनने में ही आता है किन्तु देखने के लिए कहीं भी अमृत नहीं मिलता है इसी तरह से दर्शन की इच्छा बड़ा ही कठिन सपना है ||

खाटू श्याम जी, हिन्दू धर्म में एक लोकप्रिय देवता हैं, जिन्हें महाभारत के वीर योद्धा बर्बरीक के रूप में पूजा जाता है। वे भगवान कृष्ण के परम भक्त थे और उन्होंने महाभारत युद्ध में अपना सिर दान कर दिया था। खाटू नामक स्थान पर उनका मुख्य मंदिर है, जो राजस्थान में स्थित है। खाटू श्याम जी के भक्तों का मानना है कि वे संकटों को दूर करने वाले हैं और उनकी भक्ति से जीवन में शांति और समृद्धि आती है। खाटू श्याम जी की पूजा विशेष रूप से भक्ति और आत्म-समर्पण की भावना के साथ की जाती है।

खाटू श्याम कौन से देवता हैं?
माना जाता है कि श्री खाटूश्याम जी भगवान कृष्ण के कलयुगी अवतार है। राजस्थान के सीकर जिले में श्री खाटू श्याम जी का भव्य मंदिर स्थापित है। माना जाता है कि यहां पर भगवान के दर्शन करने मात्र से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

खाटू श्याम क्यों प्रसिद्ध है?
श्री खाटू श्याम जी भारत देश के राजस्थान राज्य के सीकर जिले में एक प्रसिद्ध गांव है, जहाँ पर बाबा श्याम का विश्व विख्यात मंदिर है। यह मंदिर 1027 ई॰ में रूपसिंह चौहान और नर्मदा कँवर द्वारा बनाया गया। इस मंदिर में भीम के पौत्र और घटोत्कच के तीनों पुत्रों में से ज्येष्ठ पुत्र बर्बरीक के सिर की पूजा होती है।

खाटू श्याम मंदिर कब जाना चाहिए?
खाटू श्याम जी जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच है। राजस्थान में स्थित सीकर में काफी गर्मियां देखने को मिलती हैं और तापमान 45-50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।

श्याम बाबा को कैसे प्रसन्न करें?
इनमे से एक मंत्र तो ऐसा है जिसे “सफलता का श्याम मंत्र” या “खाटू श्याम का महाशक्तिशाली महामंत्र” कहा जाता है। ये मंत्र है “ॐ श्री श्याम देवाय नमः”। ऐसा माना जाता है कि अगर सभी प्रयासों के बाद भी अगर आप सफल नहीं हो रहे हैं तो आपको इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।

खाटू श्याम जी की असली कहानी क्या है?
खाटू श्याम असल में भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे बर्बरीक हैं। इन्हीं की खाटू श्याम के रूप में पूजा की जाती है। बर्बरीक में बचपन से ही वीर और महान योद्धा के गुण थे और इन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे। इसी कारण इन्हें तीन बाण धारी भी कहा जाता है।

खाटू श्याम की मृत्यु कैसे हुई?
राजस्थान में, खाटू श्याम मंदिर में बर्बरीक को खाटू श्याम के रूप में पूजा जाता है, और गुजरात में, उन्हें बलियादेव के रूप में पूजा जाता है और माना जाता है कि महाभारत युद्ध से पहले उनके दादा पांडवों की जीत सुनिश्चित करने के लिए उनका बलिदान दिया गया था। उनके बलिदान के बदले में, उन्हें कृष्ण द्वारा देवता बनाया गया था ।

बर्बरीक के गुरु कौन थे?
बर्बरीक ने युद्ध कला अपनी दादी हिडिम्बा से सीखी थी। महाभारत युद्ध से पहले श्री कृष्ण ने सभी से पूछा कि अकेले युद्ध समाप्त करने में उन्हें कितने दिन लगेंगे

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