सियारों के एक झुंड ने एक हाथी को देखा। उनका मन उस हाथी का मॉस खाने का करने लगा। एक बूढ़ा सियार बोला, “चलो, मैं तुम लोगों को तरीका सुझाता हूँ। हाथी को मारने का एक तरीका है मेरे पास ।
हाथी इधर-उधर घूम रहा था। बूढ़ा सियार उसके पास पहुँचा। “महोदय, मैं एक सियार हूँ। मैं सारे जानवरों ने मुझे आपके पास भेजा है । हम लोगों ने मिलकर तय किया है कि आपको जंगल का राजा बनाया जाना चाहिए। आपके अंदर राजा के सारे गुण हैं। कृपया मेरे साथ चलिए और राजा का काम सँभाल लीजिए।”
हाथी सियार की चापलूसी भरी बातों में आ गया। वह सियार के साथ चल पड़ा। सियार उसे एक झील के पास ले गया, जहाँ हाथी फिसल पड़ा और गहरे कीचड़ में फँस गया।
“मेरी सहायता करो मित्र,” हाथी असहाय होकर चिल्लाने लगा। सियार कुटिलता से मुस्कराया और कहने लगा, “महोदय, आपने मेरे जैसे जानवर पर विश्वास किया। अब आपको इसकी कीमत जान देकर ही चुकानी पड़ेगी।”
हाथी कीचड़ में फँसा रहा और कुछ देर में मर गया। सारे सियारों ने मिलकर उसके गोश्त की दावत उड़ाई।