एक ऐसा समुदाय जिसके विषय में बहुत ही कम लोग जानते हैं तो आइए आज उनके विषय में जानते हैं I छत्तीसगढ में ये लोग राम नाम को शरीर पर गुदवाते हैं, राम नाम लिखे वस्त्र पहनते हैं। रामचरित्र मानस की पूजा करते हैं। उनका पूरा एक संप्रदाय है। लेकिन ये लोग न किसी मंदिर जाते हैं ना राम की …
Read More »Tag Archives: राम
रावण से बदला क्यों लेना चाहती थी शूर्पणखा
शूर्पणखा के पति का नाम विद्धुत जिह्वा था और वो राजा कालकेय का सेनापति था। कालकेय के साथ हुए युद्ध में रावण ने विद्धुत जिह्वा को मार डाला था
Read More »तू ही राम है, तू रहीम है…
तू ही राम है, तू रहीम है ,तू करीम कृष्ण खुदा हुआ ॥तू ही राम है तू रहीम हैं ,तू करीम कृष्ण खुदा हुआ ॥तू ही वाहे गुरु तू यशु मसीह ,हर नाम में तू समा रहा ॥तू ही राम है, तू रहीम है , तेरी जात पाक कुरान में ॥तेरा दरश वेद पुराण में ,तेरी जात पाक कुरान में …
Read More »सिर्फ ‘राम राम’ कह देने से ही पूरी माला का जाप हो जाता है
क्या कभी सोचा है कि बहुत से लोग जब एक दूसरे से मिलते हैं तो आपस में एक दूसरे को दो बार ही “राम राम” क्यों बोलते हैं ? एक बार या तीन बार क्यों नही बोलते ? दो बार “राम राम” बोलने के पीछे बड़ा गूढ़ रहस्य है क्योंकि यह आदि काल से ही चला आ रहा है.हिन्दी की …
Read More »क्यों कहलाते हैं पांचरुपी हनुमान
जब राम और रावण की सेना के मध्य भयंकर युद्ध चल रहा था और रावण अपने पराजय के समीप था तब इस समस्या से उबरने के लिए उसने अपने मायावी भाई अहिरावण को याद किया जो मां भवानी का परम भक्त होने के साथ- साथ तंत्र – मंत्र का बड़ा ज्ञाता था। उसने अपने माया के दम पर भगवान राम …
Read More »कलिओं मे राम मेरा किरणों मे राम है
दोहा: पूजा जप ताप मैं नहीं जानू, मै नहीं जानू आरती | राम रतन धन पाकर के मै प्रभु का नाम पुकारती || कलिओं मे राम मेरा, किरणों मे राम है | धरती गगन मे मेरे प्रभु का धाम है || कहाँ नहीं राम है … प्रभु ही की धूप छाया, प्रभु की ही चांदनी | लहरों की वीना मे …
Read More »मन चंचल चल राम शरण में
माया मरी ना मन मरा, मर मर गया शरीर । आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर ॥ माया हैं दो भान्त की, देखो हो कर बजाई । एक मिलावे राम सों, एक नरक लेई जाए ॥ मन चंचल चल राम शरण में । हे राम हे राम हे राम हे राम ॥ राम ही तेरा जीवन साथी, मित्र …
Read More »मेरे मन में है राम मेरे तन में है राम
मेरे मन में है राम, मेरे तन में है राम । मेरे नैनो की नगरिया में राम है ॥ मेरे रोम रोम के है राम ही रमिया, साँसों के स्वामी, मेरी नैया के खिवैया। कण कण में हैं राम, त्रिभुवन में हैं राम, नीले नभ की अटरिया में राम है॥ जनम जनम का जिन से है नाता, मन जिन के …
Read More »राम भी आकर यहाँ दुःख सह गये
राम भी आकर यहाँ दुःख सह गये तुलसी अपनी रामायण में कह गये राम मर्यादा सिखाने आये थे धर्म के पथ पर चलाने आये थे राम भी आकर यहाँ दुःख सह गये प्रेम हो तोह भारत जैसे भाई का राज चरणों में रहा रघुराई का जुलम केकई के भारत भी सह गये उर्मिला साक्षात् सती की शान है जिसकी आरती …
Read More »जानकी जानकी मैं ना दूँ जानकी
रावण मंदोदरी से कहता है:- जानकी जानकी मैं ना दूँ जानकी, मैंने बाज़ी लगाई है जान की। मुझको परवा नहीं अपनी जान की, मैं चुरा लाया मैं राम की जानकी। तेरा बीटा जला, मेरी लंका जली, अब ना वापिस करूँगा मैं जानकी॥ मेरे महलो की रानी बने जानकी, तेरे पास बिठाऊंगा मैं जानकी। मेरे मन में बसी उस दिन जानकी, …
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