जंगल के राजा शेर ने ऐलान कर दिया कि अब आज के बाद कोई अनपढ़ न रहेगा। हर पशु को अपना बच्चा स्कूल भेजना होगा। राजा साहब का स्कूल पढ़ा-लिखाकर....
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नींव की तलाश: एक सेठ की चिंता
बड़े बाजार में एक शानदार हवेली बनाने की तैयारियाँ हो रही थीं। खबर थी यहाँ एक सेठ जी संगमरमर का सतखण्डा महल बनवाएँगे। लाखों रुपये खर्च होंगे। पूरा होने पर उस जैसी शानदार हवेली शहर में दूसरी कोई नहीं होगी। पूरे शहर में इस बात की चर्चा होने लगी।
Read More »एक कलेक्टर ऐसा भी
80 साल की बूढ़ी माता। घर में बिल्कुल अकेली। कई दिनों से भूखी। बीमार अवस्था में पड़ी हुई। खाना-पीना और ठीक से उठना-बैठना भी दूभर। हर पल भगवान से उठा लेने की फरियाद करती हुई। खबर तमिलनाडु के करूर जिले के कलेक्टर टी अंबाजगेन के कानों में पहुंचती है।
Read More »सहजता और सरलता
उसके बॉस तो हैरान थे कि जिस प्रवाह से वो हिन्दी बोल रही थी कि यह लड़की यहाँ की जन्मी है ?उस महिला के जाने के बाद उन्होंने पूछा कि उसने कहाँ से सीखी तो मेरी बिटिया ने बताया कि मेरी माँ ने सिखाई है ।
Read More »खेल तमाशा
राजा का अनुशासनप्रेमी और खिलाड़ी स्वरूप, बहुत संजीवनी नृत्य राजा को कैसे बदल देता है। यह दिलचस्प कहानी जीवन के रंग-बिरंगे पहलुओं को छूने का एक अनूठा पैथ प्रस्तुत करती है, जो राजा और उसकी प्रजा को साथ मिलकर सिखा देती है कि जीवन में खुशियों के लिए स्वतंत्रता और मनोरंजन का महत्व है।
Read More »सपनों का चुनाव
आ गए आपके लाट साहब ?? " डाॅक्टर साहब आते हीं पुछे। वैसे तो डाॅक्टर साहब आठ बजे से पहले नहीं आते थे । आज कहीं बाहर जाना था तो जल् " काॅलेज से तो आ गया है। कहीं बाहर गया है।
Read More »इंसान का सच्चा धन क्या ???
असल में यह धन ,बांग्ला -गाडी आदि हमारा सच्चा धन नहीं है। इंसान का सच्चा धन तो असल में कुछ और ही है। चलिए जानते हैं :- एक बार एक शक्तिशाली राजा घने वन में शिकार खेलने चला गया। अचानक ही आकाश में बादल छा गए और मूसलाधार वर्षा होने लगी। सूर्य अस्त होने लगा और धीरे-धीरे अँधेरा छाने लगा। …
Read More »भोला की चिट्ठी
मैं भोला हूँ, आपका पुराना छात्र. शायद आपको मेरा नाम भी याद ना हो, कोई बात नहीं, हम जैसों को कोई क्या याद रखेगा. मुझे आज आपसे कुछ कहना है सो ये चिट्ठी डाक बाबु से लिखवा रहा हूँ. मास्टर जी मैं 6 साल का था जब मेरे पिताजी ने आपके स्कूल में मेरा दाखिला कराया था. उनका कहना था कि …
Read More »गुरु का स्थान
एक राजा था. उसे पढने लिखने का बहुत शौक था. एक बार उसने मंत्री-परिषद् के माध्यम से अपने लिए एक शिक्षक कीव्यवस्था की. शिक्षक राजा को पढ़ाने के लिए आने लगा. राजा को शिक्षा ग्रहण करते हुए कई महीने बीत गए, मगर राजा को कोई लाभ नहीं हुआ. गुरु तो रोज खूब मेहनत करता थे परन्तु राजा को उस शिक्षा …
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