श्याम आँचल में छोड़ दो इस घड़ीपाँव यमुना में मेरी फिसल जायेगीहर घड़ी की तेरी छेड़ अच्छी नहीदेख लेगा कोई भेद खुल जाएगाश्याम आँचल मेरा सारी सखियों की प्याल की झंकार मेंगूंजे उठे तान मुरली की संसार मेंअब न मुरली भ्जाना मेरे सामनेमेरा भी दिल वो बेहल जाएगाश्याम आँचल मेरा तूने बंसी बजा कर रिजाया मुझे जाल में तूने अपने …
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