नवें दिन राजा भोज दरबार पहुंचे और विक्रमादित्य के सिंहासन पर बैठने लगे। इस बार उन्हें नवीं पुतली ने सिंहासन पर बैठने से रोक दिया। उसने कहा, “यहां बैठने के लिए तुम्हें राजा विक्रमादित्य जैसा होना पड़ेगा।” इतना कहकर वह विक्रमादित्य के गुणों को बताने के लिए कहानी सुनाने लगी। सालों से शासन करते हुए एक बार राजा विक्रमादित्य के …
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सिंहासन बत्तीसी की दूसरी कहानी – चित्रलेखा पुतली की कथा!!
एक बार मुल्ला नसीरुद्दीन मक्का और मदीना की यात्रा पर निकलते हैं। तीर्थयात्रा करते हुए जब वह मक्का पहुंचे, तो उन्हें मस्जिद के बाहर एक परेशान पर्यटक घूमता दिखा। उस वक्त पर्यटक की नजर भी मुल्ला पर पड़ी। वह तुरंत मुल्ला नसरुद्दीन के पास पहुंचा और कहने लगा कि आप यही के रहने वाले लगते हैं। क्या आपको इस मस्जिद …
Read More »सिंहासन बत्तीसी की सत्रहवीं कहानी – विद्यावती पुतली की कथा!!
राजा भोज एक बार फिर सिंहासन पर बैठने की इच्छा लेकर राजमहल पहुंचे। इस बार सिंहासन से 17वीं पुतली विद्यावती बाहर निकली और राजा भोज को सिंहासन पर बैठने से रोक दिया। 17वीं पुतली विद्यावती ने कहा, “सिंहासन पर बैठने से पहले राजा विक्रमादित्य की यह कहानी सुन लो।” इतना कहकर 17वीं पुतली ने विक्रमादित्य का किस्सा सुनाना शुरू किया …
Read More »सिंहासन बत्तीसी की अठारहवीं कहानी – तारामती पुतली की कथा!!
18वीं बार फिर राजा भोज सिंहासन पर बैठने के लिए आगे बढ़ें। उन्होंने सोचा कि इस बार चाहे कुछ भी हो जाए, वो सिंहासन पर बैठकर ही रहेंगे। तभी सिंहासन से 18वीं पुतली तारामती बाहर निकली और राजा भोज को रोकते हुए बोली, “सिंहासन पर बैठने से पहले राजा विक्रमादित्य का यह किस्सा सुनिए।” उसके बाद पुतली तारामती ने कहानी …
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