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Tag Archives: bhagavaan

मयूर पंख

वनवास के दौरान माता सीताजी को पानी की प्यास लगी, तभी श्रीरामजी ने चारों ओर देखा, तो उनको दूर-दूर तक जंगल ही जंगल दिख रहा था। कुदरत से प्रार्थना की~हे वन देवता ! कृपया आसपास जहाँ कहीं पानी हो, वहाँ जाने का मार्ग सुझाईये। तभी वहाँ एक मयूर ने आकर श्रीरामजी से कहा, कि आगे थोड़ी दूर पर एक जलाशय …

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शास्त्रों के अनुसार पूजा अर्चना में वर्जित काम

१) गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं२) देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं३) शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं४) विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं५) दो शंख एक समान पूजा घर में न रखें६) मंदिर में तीन गणेश मूर्ति न रखें७) तुलसी पत्र चबाकर न खाएं८) द्वार पर जूते चप्पल उल्टे न रखें९) दर्शन करके बापस लौटते समय घंटा …

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श्रीराम के अवतार के समय

माना जाता है कि श्रीराम अवतार के समय हनुमान जी को स्वयं भगवान श्रीराम नेअमर होने का आशीर्वाद दिया था।इसी कारण हनुमानजी का प्रताप चारों युगों में रहा हैऔर आगे भी रहेगा, क्योंकि वे अजर-अमर हैं।अंजनी सुत जब तक चाहें शरीर में रहकरइस धरती पर मौजूद रह सकते हैं।माना जाता है कि पूरे ब्रह्मांड में हनुमानजी ही एकमात्र ऐसे देवता …

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तीन प्रकार के प्रारब्ध होते हैं-

मन्द प्रारब्धतीव्र प्रारब्ध3.तरतीव्र प्रारब्ध।मंद प्रारब्ध…. को तो आप वैदिक पुरुषार्थ से बदल सकते हैं,तीव्र प्रारब्ध…..आपके पुरुषार्थ एवं संतों-महापुरुषों की कृपा से टल सकता है लेकिनतरतीव्र प्रारब्ध…. में जो होता है वह होकर ही रहता है।एक बार रावण कहीं जा रहा था। रास्ते में उसे विधाता मिले। रावण ने उन्हें ठीक से पहचान लिया। उसने पूछाः“हे विधाता ! आप कहाँ से …

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भगवान श्री राम और केवट संवाद

जब केवट प्रभु के चरण धो चुका, तो भगवान कहते हैं:- भाई, अब तो गंगा पार करा दे।इस पर केवट कहता है – प्रभु, नियम तो आपको पता ही है कि जो पहले आता है उसे पहले पार उतारा जाता है। इसलिए प्रभु अभी थोड़ा और रुकिये। तब भगवान् कहते हैं- भाई, यहाँ तो मेरे सिवा और कोई दिखायी नहीं …

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जय श्री राम और जय हनुमान

एक दिन सुबह सुबह दरवाजे की घंटी बजी । दरवाजा खोला तो देखा एक आकर्षक कद- काठी का व्यक्ति चेहरे पे प्यारी सी मुस्कान लिए खड़ा हैं ।मैंने कहा, “जी कहिए..”तो उसने कहा,अच्छा जी, आप तो रोज़ हमारी ही गुहार लगाते थे,मैंने कहा“माफ कीजिये, भाई साहब ! मैंने पहचाना नहीं, आपको…”तो वह कहने लगे,“भाई साहब, मैं वह हूँ, जिसने तुम्हें …

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भगवान शिवजी का गृहपति अवतार !

भगवान विष्‍णु के अनेक अवतार हुए हैं, वैसेही भगवान शिवजी के भी अवतार हुए है । भगवान शिवजी के अनेक अवतारों में से सातवे अवतार है गृहपति । आज हम उनके इस अवतार की कथा सुनेंगे । नर्मदा नदी के तट पर धर्मपुर नाम का एक नगर था । वहां विश्‍वानर नाम के एक ऋषि और उनकी पत्नी शुचिष्‍मती रहती …

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नामस्‍मरण का महत्त्व : भक्त प्रल्‍हाद

आज हम देवता के नामजप का महत्त्व और उसमें कितनी शक्‍ति होती है, यह, कथा के माध्‍यम से जानने का प्रयास करेंगे । जो देवता का नामजप करता है, वह देवता का भक्‍त हो जाता है । देवता अपनी भक्‍तों की सदा रक्षा करते हैं । भगवान ने भक्‍तों को वचन दिया है, ‘न मे भक्‍त: प्रणश्‍यती ।’ अर्थात ‘मेरे …

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श्री कृष्णजी ने बनाया अपनी बंसूरी से श्रीराधा के लिए कुंड : आइए जाने

एक बार कंस ने भगवान श्रीकृष्‍ण का वध करने के लिए अरिष्टासुर नाम के दैत्‍य को भेजा । अरिष्टासुर गाय के बछडे का रूप लेकर श्रीकृष्‍ण की गायों में शामिल हो गया और उन्‍हें मारने लगा । भगवान श्रीकृष्‍ण ने बछडे के रूप में छिपे दैत्‍य को पहचान लिया । श्रीकृष्‍ण ने उसको पकडा और भूमी पर पटक पटककर उसका …

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लक्ष्मणजी की तपस्‍या प्रभु श्रीरामजी के साथ !

प्रभु श्रीरामजी के तीनों भाई अर्थात् लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्‍न उनकी सेवा करते थे । वे श्रीरामजी को पिता समान मानते थे और उनकी आज्ञा का पालन करते थे । प्रभु श्रीरामजी के साथ लक्ष्मणजी वनवास गए थे । प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण इनमें अगाध प्रेम था । रावण के साथ जब महाभयंकर युद्ध हुआ था, तब लक्ष्मणजी ने रावण …

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