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Tag Archives: bhakt

भक्त की मदद

bhagat s help

हम उस समय गंगा अपार्टमेंट बस स्टैंड गुड़गांव के पास रहते थे, मेरी नाईट शिफ़्ट होती है, मैं सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल हूँ, अक्सर घर से ही अमेरिकन मल्टी नैशनल कंपनी के लिए काम करती हूँ, रात को पौने दस पर मुझे एलर्जी हो गयी और घर पर दवाई नहीं थी, ड्राईवर भी अपने घर जा चुका था और बाहर हल्की बारिश …

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इतनी सी विनती मेरी शिर्डी वाले

itanee see vinatee meree shirdee vaale

इतनी सी विनती मेरी शिर्डी वाले, तू भी संभाले के मेरा कोई नहीं है अँधेरी जिंदगी में साईं कर दे उजाले, चरणो से लागले के मेरा कोई नहीं है साईं इस जमाने ने खूब रुलाया जिसका जितना दिल किया, उतना ही सताया चाँद जैसा रूप जग का, दिल है काला इतनी सी विनती मेरी शिर्डी वाले… दिल में उमीदें हैं, …

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सेठ जी की परीक्षा

seth jee kee pareeksha

बनारस में एक बड़े धनवान सेठ रहते थे। वह  विष्णु भगवान् के परम भक्त थे और हमेशा सच बोला करते थे । एक बार जब भगवान् सेठ जी की प्रशंशा कर रहे थे तभी माँ लक्ष्मी ने कहा , ” स्वामी , आप इस सेठ की इतनी प्रशंशा किया करते हैं , क्यों न आज उसकी परीक्षा ली जाए और …

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आदर्श गृहस्थ

dasha mujh deen kee bhagavan sambhaaloge to kya hoga

श्रीमद्भागवत के वर्णन से यह पता लगता है कि भगवान श्रीकृष्ण आदर्श गृहस्थ थे । भागवत में वर्णन आता है कि जब श्रीनारद जी के दिल में यह प्रश्न उठा कि एक श्रीकृष्ण 16108 रानियों के साथ कैसे गृहस्था चला रहे हैं । तो इसकी जांच करने के लिए वह द्वारका पहुंचे और भगवान की एक – एक पत्नी के …

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श्रीहरि भक्ति सुगम और सुखदायी है

Abhimanu Mahabharat Mahakavye

भोजन करिअ तृपिति हित लागी । जिमि सो असन पचवै जठरागी ।। असि हरि भगति सुगम सुखदाई । को अस मूढ़ न जाहि सोहाई ।। भाव यह कि भगवद्भक्ति मुंह में कौर ग्रहण करने के समान ही सुगम है – ‘भोजन करिअ तृपिति हित लागी ।’ वैसे ही वह सुखदायी भी है – ‘जिमि सो असन पचवै जठरागी ।।’ जिस …

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भक्तों की तीन श्रेणियां (Three categories of devotees)

chit chor meromakhan khay gayo re bhajan

भक्तों की तीन श्रेणियां होती हैं । एक तो वे होते हैं जो किसी फल की कामना से भगवान को भजते हैं । भगवान कहते हैं – उनकी भक्ति वास्तविक भक्ति नहीं, वह तो एक प्रकार की स्वार्थपरायणता है । दूसरी श्रेणी के भक्त वे हैं जो बिना किसी फल की इच्छा के अपना सर्वस्व उन्हें समर्पित कर सदा उनकी …

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गुणनिधि पर भगवान शिव की कृपा

shankar

पूर्वकाल में यज्ञदत्त नामक एक ब्राह्मण थे । समस्त वेद शास्त्रादि का ज्ञाता होने से उन्होंने अतुल धन एवं कीर्ति अर्जित की थी । उनकी पत्नी सर्वगुणसंपन्न थी । कुछ दिनों के बाद उन्हें एक पुत्र उत्पन्न हुआ, जिसका नाम गुणनिधि रखा गया । बाल्यावस्था में इस बालक के कुछ दिन तो धर्मशास्त्रादि समस्त विद्याओं का अध्ययन किया, परंतु बाद …

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भक्त का अद्भुत अवदान

bhakt ka adbhut avadaan

कीच से जैसे कमल उत्पन्न होताहै, वैसे ही असुर – जाति में भी कुछ भक्त उत्पन्न हो जाते हैं । भक्तराज प्रह्लाद का नाम प्रसिद्ध है । गयासुर भी इसी कोटी का भक्त था । बचपन से ही गय का हृदय भगवान विष्णु के प्रेम में ओतप्रोत रहता था । उसके मुख से प्रतिक्षण भगवान के नाम का उच्चारण होता …

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भक्त अर्जुन और श्रीकृष्ण

Abhimanu Mahabharat Mahakavye

एक बार कैलाश के शिखर पर श्री श्री गौरीशंकर भगवद्भक्तों के विषय में कुछ वार्तालाप कर रहे थे । उसी प्रसंग में जगज्जननी श्री पार्वती जी ने आशुतोष श्रीभोलेबाबा से निवेदन किया कि भगवान ! जिन भक्तों की आप इतनी महिमा वर्णन करते हैं उनमें से किसा के दर्शन कराने की कृपा कीजिए । आपके श्रीमुख से भक्तों की महिमा …

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सारथ्य

Abhimanu Mahabharat Mahakavye

भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत – संग्राम में और किसी का सारथ्य न करके अर्जुन ही सारथ्यकार्य क्यों किया, यह भी एक विचारणीय विषय है । जब भगवान अपनी सारी नारायणी सेवा कौरवों को देकर पाण्डवों की ओर से स्वयं अशस्त्र रहकर महायुद्ध में योगदान करने का वचन अर्जुन को दे चुके थे तब उन्हें कोई – न कोई काम करना …

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