हे हनुमान बहू बलवान, भक्ति ज्ञान वराग्य की खान |संकट मोचन तू कहलाये | राम बिना तुझे कुछ ना भाये | तेरा द्वार जो भी खटकाये, बिन कुछ पाए घर नहीं जाए || दुर्बल को बलवान बनाये | हर संकट पल मे टल जाए | तेरा गान करे जो कोई, उसे ना कोई विपदा होई || हर मुश्किल आसन तू …
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जिनके मन में बसे श्री राम जी उनकी रक्षा करें हनुमान जी
जिनके मन में बसे श्री राम जी, उनकी रक्षा करें हनुमान जी । जब भक्तों पर विपदा आई, तब आये हनुमंत गोसाई । कृपा राम भक्तो पर करते, उनकी पीड़ा को हर लेते । जय कपीष बलवान की ॥ राम कथा के अद्बुत नायक, रामदूत भक्तो के सहायक । जय जय जय प्रभु हितकारी, ध्यान करूँ नित मंगलकारी । दे …
Read More »भगवान की खोज ! (Discovery God!)
तेरहवीं सदी में महाराष्ट्र में एक प्रसिद्द संत हुए संत नामदेव। कहा जाता है कि जब वे बहुत छोटे थे तभी से भगवान की भक्ति में डूबे रहते थे। बाल -काल में ही एक बार उनकी माता ने उन्हें भगवान विठोबा को प्रसाद चढाने के लिए दिया तो वे उसे लेकर मंदिर पहुंचे और उनके हठ के आगे भगवान को …
Read More »श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु और श्रीकृष्ण भक्ति
सर्वसम्पद पूर्ण – आनंद दायक आकर्षणसत्तायुक्त चिद्घनस्वरूप परमतत्त्व की ओर आकृष्ट चित्कणस्वरूप जीवसमुदाय की जो आकर्षम क्रिया है, उसी का नाम भक्ति है । यद्यपि यह श्रीकृष्ण – बक्ति जीवमात्र का नित्यसिद्ध स्वरूपगत स्वधर्म है, तथापि जीव की जड़बद्ध – दशा में इसका विशेष परिचय मनुष्य शरीर में ही अधिक प्राप्त होता है । संसार में क्या सभ्य, क्या असभ्य, …
Read More »श्रीराम मर्यादा चरित्र
पिता – भक्ति श्रीरघुनाथ जी नित्य प्राय: काल उठकर श्रीपिता जी को नमस्कार करते थे और अपने संपूर्ण कार्य उनकी आज्ञा के अनुसार करके अपनी सेवा से उन्हें प्रसन्न रखते थे । यहां तक कि उन्होंने अयोध्या की चक्रवर्ती राज्यश्री को पिता के वचन के नाते तृणवत् त्यागकर पितृभक्ति का अनुपम आदर्श चरितार्थ कर दिखाया । सारे संसार को आप …
Read More »श्रीहरि भक्ति सुगम और सुखदायी है
भोजन करिअ तृपिति हित लागी । जिमि सो असन पचवै जठरागी ।। असि हरि भगति सुगम सुखदाई । को अस मूढ़ न जाहि सोहाई ।। भाव यह कि भगवद्भक्ति मुंह में कौर ग्रहण करने के समान ही सुगम है – ‘भोजन करिअ तृपिति हित लागी ।’ वैसे ही वह सुखदायी भी है – ‘जिमि सो असन पचवै जठरागी ।।’ जिस …
Read More »शिव जी का किरात वेष में प्रकट होना
इंद्र के उपदेश तथा व्यास जी की आज्ञा से अर्जुन भगवान महेश्वर की आराधना करने लगे । उनकी उपासना से ऐसा उत्कृष्ट तेज प्रकट हुआ, जिससे देवगण विस्मिल हो गये । वे शिव जी के पास गये और बोले – ‘प्रभो ! एक मनुष्य आपकी तपस्या में निरत है । वह जो कुछ चाहता है, उसे आप प्रदान करें ।’ …
Read More »श्रीकृष्ण और भावी जगत
मनुष्य को आदि से सुख और शांति की खोज रही है और अंत तक रहेगी । मानव सभ्यता का इतिहास इसी खोज की कथा है । किस जाति ने इस रहस्य को जितना अधिक समझा वह उतनी ही सभ्य, जितना ही कम समझा उतनी ही असभ्य समझी जाती है । लोग भिन्न – भिन्न मार्गों से चले । किसी …
Read More »श्री शबरी जी की भक्ति
सबको परमगति प्रदान करते हुए उदारशिरोमणि भगवान शबरी को भी गति देने के लिए उसके आश्रम में पधारे । ‘आश्रम’ शब्द से शबरी जी का विरक्त होना सूचित किया गया है, क्योंकि वन में बहुत – से कोल – किरात आदि भी निवास करते हैं, परंतु उनके घरों को कभी ‘आश्रम’ नहीं कहा जाता । शबरी जी मन, वचन और …
Read More »श्रीकृष्ण और भागवत धर्म
मनुष्य जीवन का चरम लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति है । भव बंधन से विमुक्त हो जाना, जीवात्मा का परमात्मा की सत्ता में विलीन हो जाना, आत्मतत्त्व का परमात्मतत्त्व के साथ अभेद हो जाना तथा हृदय के अंतस्तल में ‘वासुदेव: सर्वमिति, सर्वं खल्विदं ब्रह्म’ इत्यादि त्रिकालावाधित सिद्धांतवादियों की दिव्य ज्योति का समुद्भासित हो उठना ही मोक्ष है, यही परम पुरुषार्थ है । …
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