गौतम बुद्ध एक बार अपने अनुयायियों को प्रवचन दे रहे थे तब उन्होंने विराट नगर के राजा सुकीर्ति की कथा सुनाई। वह कहते हैं कि राजा सुकीर्ति के पास लौहशांग नामक एक हाथी था, जिसके जरिए राजा ने कई युद्धों में विजय पाई थी। युद्ध कला में प्रवीण लौहशांग जब हुंकार भरता हुआ शत्रु-सेनाओं में घुसता, तो विपक्षियों के पांव …
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इस तरह कीजिए आत्मज्ञान का सदुपयोग
महाकश्यप भगवान बुद्ध के प्रिय शिष्य थे। बुद्ध उनकी त्याग भावना तथा ज्ञान से संतुष्ट होकर बोले, वत्स, तुम आत्मज्ञान से पूर्ण हो चुके हो, तुम्हारे पास वह सब है, जो मेरे पास है। अब जाओ और सत्यसंदेश का जगह-जगह प्रचार-प्रसार करो। महाकश्यप ने ये शब्द सुने, तो वह मायूस हो गए। वह बोले, गुरुदेव, यदि मुझे पहले ही पता …
Read More »बड़ी बातें नहीं बेहतर है कम बात करें
एक व्यक्ति दुनिया घूमकर आया और बड़ी-बड़ी बातें करने लगा। जो भी उसके पास जाता तो वह उससे कई प्रश्न किया करता। जब यह बात गौतम बुद्ध को पता चली तो वह वेश बदलकर उस व्यक्ति के पास पहुंचे। उस व्यक्ति ने उनसे प्रश्न किया। ‘कौन हो तुम? कहीं ब्राह्मण तो नहीं।’ बुद्ध ने उत्तर दिया, ‘अपने शरीर और मन …
Read More »यदि आत्मज्ञान प्राप्त हो जाए तो इसे लोगों में बांटें
महाकश्यप भगवान बुद्ध के प्रिय शिष्य थे। बुद्ध उनकी त्याग भावना तथा ज्ञान से संतुष्ट होकर बोले- ‘वत्स, तुम आत्मज्ञान से पूरी तरह मंडित हो। तुम्हारे पास वह सब है, जो मेरे पास है। अब जाओ और सत्संदेश का जगह-जगह प्रचार-प्रसार करो।’ महाकश्यप ने ये शब्द सुने, तो वे मायूस हो गए। वह बोले, ‘गुरुदेव यदि मुझे पहले से पता …
Read More »परिस्थितियां बदलती हैं हमेशा
एक बार भगवान बुद्ध कहीं जा रहे थे। वह पैदल यात्रा कर रहे थे, इस कारण थक कर एक पेड़ के नीचे बैठ गए। उनके साथ उनके अन्य शिष्यों के साथ आनंद भी मौजूद थे। भगवान बुद्ध ने कहा, ‘आनंद यहां नजदीक एक झरना है, वहां से जल ले आओ।’ आनंद झरने के पास पहुंचा, लेकिन वहां गंदा पानी बह …
Read More »मन में यदि सुराख है तो उसमें प्रेम कैसे भरेगा
गौतम बुद्ध यात्रा पर थे। रास्ते में उनसे लोग मिलते। कुछ उनके दर्शन करके संतुष्ट हो जाते तो कुछ अपनी समस्याएं रखते थे। बुद्ध सबकी परेशानियों का समाधान करते थे। एक दिन एक व्यक्ति ने बुद्ध से कहा- मैं एक विचित्र तरह के द्वंद्व से गुजर रहा हूं। मैं लोगों को प्यार तो करता हूं पर मुझे बदले में …
Read More »संतोषी व्यक्ति सदा सुखदायी
भगवान बुद्ध पाटलिपुत्र में प्रवचन कर रहे थे। लोग मंत्रमुग्ध थे। प्रवचन के बाद बुद्ध आंखे बंद किए बैठे थे। स्वामी आनंद ने जिज्ञासा व्यक्त की, तथागत, आपके सामने बैठे लोगों में सबसे सुखी कौन है? तथागत बोले कि सबसे पीछे जो सीधा-साधा या कहें फटेहाल सा ग्रामीण आंखें बंद किए बैठा है, वह सबसे ज्यादा सुखी है। यह सुनकर …
Read More »निरर्थक चर्चा में खर्च न करें समय
भगवान बुद्ध, अनमोल समय के सदुपयोग के पक्षधर थे। निकम्मी बातों में समय गंवाने का सदा विरोध किया करते थे। कोई आदमी उनके पास आया और बोला, भगवन् आप बार-बार दुख और विमुक्ति पर ही बोलते हैं। कृप्या यह तो बताइए यह दुख होता किसको है? और दुखों से विमुक्ति होती किसको है? प्रश्न करने वाले का प्रश्न निरर्थक था। …
Read More »जब गौतम बुद्ध ने बताया, कौन है सबसे सुखी
एक बार भगवान बुद्ध पाटलिपुत्र में प्रवचन कर रहे थे। लोग मंत्रमुग्ध थे। प्रवचन के पहले बुद्ध ध्यानवस्था में बैठे हुए थे। तभी स्वामी आनंद ने जिज्ञासा पूर्वक पूछा, ‘तथागत आपके सामने बैठे लोगों में सबसे ज्यादा सुखी कौन?’ तथागत बोले, सबसे पीछे जो सीधा-साधा सा फटेहाल ग्रामीण आंखे बंद किए बैठा है, वह सबसे ज्यादा सुखी है। यह सुनकर …
Read More »तीन गांठें
भगवान बुद्ध अक्सर अपने शिष्यों को शिक्षा प्रदान किया करते थे। एक दिन प्रातः काल बहुत से भिक्षुक उनका प्रवचन सुनने के लिए बैठे थे । बुद्ध समय पर सभा में पहुंचे, पर आज शिष्य उन्हें देखकर चकित थे क्योंकि आज पहली बार वे अपने हाथ में कुछ लेकर आए थे। करीब आने पर शिष्यों ने देखा कि उनके हाथ …
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