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Tag Archives: court

स्वामी विवेकानंद ने सुना वेश्या का गीत

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स्वामी विवेकानंद को विदेश जाने से पहले एक बार खेतड़ी (राजस्थान) जाना पड़ा क्योंकि वहां के महाराजा की कोई संतान नहीं थी और स्वामीजी के आशीर्वाद से पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई थी। इसी की खुशी में एक उत्सव मनाया जा रहा था। दरबार में कई सामंत, प्रजाजन और कलाकार उपस्थित थे। कार्यक्रम के आखिरी में एक गणिका (वेश्या) अपना नृत्य …

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सिकंदर इस किताब को पढ़कर बना था विश्व विजेता

Alexander the winner of this book was made

एक बार सिकंदर के पास एक सैनिक अधिकारी आया और उसने एक सुंदर स्वर्ण जड़ित संदूक पेश किया। सिकंदर के पूछने पर उसने बताया कि वह संदूक ईरान में लूट के दौरान मिला है जिसे वह भेंट स्वरूप देना चाहता है। सिकंदर उस संदूक पर की गई नक्काशी देख बहुत प्रभावित हुआ और उसने अपने दरबारियों से पूछा कि संदूक …

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न्याय देने के बाद लाओ-त्जु ने छोड़ दिया था न्यायाधीश का पद

After giving justice, Lao-Tzu had given up the judge's post

    एक बार चीन में लाओ-त्जु अपनी बुद्धिमत्ता के कारण बहुत प्रसिद्द हो गया। चीन के राजा ने लाओ-त्जु से अपने न्यायालय का प्रधान न्यायाधीश बनने का अनुरोध किया और कहा कि विश्व में आप जैसा बुद्धिमान और न्यायप्रिय कोई नहीं है। आप न्यायाधीश बन जाएंगे तो मेरा राज्य आदर्श राज्य बन जाएगा। लाओ-त्जु ने राजा को समझाने का …

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छोटी छोटी कहानियाँ

When a man was about forty-five years old, his wife had died

जब एक शख्स लगभग पैंतालीस वर्ष के थे तब उनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया था। लोगों ने दूसरी शादी की सलाह दी परन्तु उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि पुत्र के रूप में पत्नी की दी हुई भेंट मेरे पास हैं, इसी के साथ पूरी जिन्दगी अच्छे से कट जाएगी। पुत्र जब वयस्क हुआ तो पूरा कारोबार पुत्र …

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काकासुर की हार

krishana

  कंस ने दूसरे दिन अपने दरबार में मंत्रियों को बुलवाया और योगमाया की सारी बातें उनसे बतायीं। कंस के मंत्री दैत्य होने के कारण स्वभाव से ही क्रूर थे। वे सब देवताओं के प्रति शत्रुता का भाव रखते थे। अपने स्वामी कंस की बात सुनकर उन सबों ने कहा- ‘यदि आपके शत्रु विष्णु ने कहीं और जन्म ले लिया …

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आसरो बालाजी म्हणे थारो थे कस्ट निवारो

आसरो बालाजी म्हणे थारो, थे कस्ट निवारो , पधारो माहरे आगणिए पधारो, थारी मैं बुलावा जय जय कार, थारी मैं बुलावा जय जय कार, सालासर में सज्यो है दरबार अंजनी का लाला दुखिआरा दातार थाने जो धेआवे करेदो बेडा पार काटदो धन्नेओ दुःख महारो, कस्ट निवारो , पधारो माहरे आगणिए पधारो थारी मैं बुलावा जय जय कार, साधेया हो थे …

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राजा की तीन सीखें

बहुत समय पहले की बात है , सुदूर दक्षिण में किसी प्रतापी राजा का राज्य था . राजा के तीन पुत्र थे, एक दिन राजा के मन में आया कि पुत्रों को को कुछ ऐसी शिक्षा दी जाये कि समय आने पर वो राज-काज सम्भाल सकें. इसी विचार के साथ राजा ने सभी पुत्रों को दरबार में बुलाया और बोला , …

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रसगुल्ले की जड़

rasgulle

मध्य पूर्वी देश से एक ईरानी शेख व्यापारी महाराज कृष्णदेव राय का अतिथि बन कर आता है। महाराज अपने अतिथि का सत्कार बड़े भव्य तरीके से करते हैं और उसके अच्छे खाने और रहने का प्रबंध करते हैं, और साथ ही कई अन्य सुविधाएं भी प्रदान करते हैं। एक दिन भोजन पर महाराज का रसोइया शेख व्यापारी के लिए रसगुल्ले …

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स्वर्ग की खोज

महाराज कृष्णदेव राय अपने बचपन में सुनी कथा अनुसार यह विश्वास करते थे कि संसार-ब्रह्मांड की सबसे उत्तम और मनमोहक जगह स्वर्ग है। एक दिन अचानक महाराज को स्वर्ग देखने की इच्छा उत्पन्न होती है, इसलिए दरबार में उपस्थित मंत्रियों से पूछते हैं, ” बताइए स्वर्ग कहाँ है ?” सारे मंत्रीगण सिर खुजाते बैठे रहते हैं पर चतुर तेनालीराम महाराज कृष्णदेव राय को …

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अरबी घोड़े

महाराज कृष्णदेव राय के दरबार में एक दिन एक अरब प्रदेश का व्यापारी घोड़े बेचने आता है। वह अपने घोड़ो का बखान कर के महाराज कृष्णदेव राय को सारे घोड़े खरीदने के लिए राजी कर लेता है तथा अपने घोड़े बेच जाता है। अब महाराज के घुड़साल इतने अधिक घोड़े हो जाते हैं कि उन्हें रखने की जगह नहीं बचती, …

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