जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले… तो काल आया और जैसे ही काल आया … तो गीधराज जटायु ने मौत को ललकार कहा, — “खबरदार ! ऐ मृत्यु ! आगे बढ़ने की कोशिश मत करना… मैं मृत्यु को स्वीकार तो करूँगा… लेकिन तू मुझे तब तक नहीं छू सकता… जब तक मैं सीता जी की सुधि प्रभु …
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अन्न की महिमा
यह एक आम कहावत है जिसका प्रयोग लगभग सभी ने कभी न कभी ज़रूर किया होगा । कहते है कि जैसा अन्न वैसा मन ======================= हम जो कुछ भी खाते है वैसा ही हमारा मन बन जाता है, अन्न चरित्र निर्माण करता है। इसलिए हम क्या खा रहे है। इस बात का सदा ध्यान रखना चाहिए। प्रकृति से हम जो …
Read More »श्रीकृष्ण और द्रौपदी
पांडव महिषी सती द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण को परम बंधु भाव से पूजती थी । भगवान भी द्रौपदी के साथ असाधारण स्नेह रखते और उसकी प्रत्येक पुकार का तुरंत उत्तर देते थे । भगवान के अंत:पुर में द्रौपदी का और द्रौपदी के महलों में भगवान का जाना – आना अबाध था । जिस प्रकार भगवान का दिव्य प्रेम भी अलौकिक था …
Read More »भगवान श्रीकृष्ण और उनका दिव्य उपदेश
कांतिदी के सुरम्य तट पर संयुक्त प्रांत की मथुरा नगरी में भगवान श्रीकृष्ण का अवतार हुआ था । उन्होंने शैशवकाल में ही अनेक बार अपनी अतिमानुष एवं अलौकिक शक्तियों को दिखलाकर सबको चकित कर दिया था । अनेक भयानक पक्षियों, वन्य पशुओं और यमुना जी में रहने वाले कालिय – सर्प को मारकर लोगों को निर्भय किया था । उनके …
Read More »तुम बिन हमरी कौन ख़बर ले
तुम बिन हमरी कौन ख़बर ले गोवर्धन गिरधारी ,गोवर्धन गिरधारी? भक्त मीरा की विपदा में , बस काम तुम्हीं तो आये थे , शंकर जी की मुश्किल में , तुम दल बादल सज धाये थे , मेरी भी तो आकर सुन लो , ओ जग के रखवारे गोवर्धन गिरधारी , गोवर्धन गिरधारी ।। उलझ गये थे तुम्ही जाकर, दुर्योधन के …
Read More »द्रौपदी और भीष्मपितामह
महाभारत का युद्ध चल रहा था। भीष्मपितामह अर्जुन के बाणों से घायल हो बाणों से ही बनी हुई एक शय्या पर पड़े हुए थे। कौरव और पांडव दल के लोग प्रतिदिन उनसे मिलना जाया करते थे। एक दिन का प्रसंग है कि पांचों भाई और द्रौपदी चारो तरफ बैठे थे और पितामह उन्हें उपदेश दे रहे थे। सभी श्रद्धापूर्वक उनके उपदेशों …
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