बहुत समय पहले की बात है किसी राज्य में एक बड़े ही खूंखार डाँकू का भय व्याप्त था। उस डाँकू का नाम रत्नाकर था। वह अपने साथियों के साथ जंगल से गुजर रहे राहगीरों को लूटता और विरोध करने पर उनकी हत्या भी कर देता। एक बार देवऋषि नारद भी उन्ही जंगलों से भगवान का जप करते हुए जा रहे …
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निंदकों और आलोचकों से बचने का आसान उपाय
रविन्द्रनाथ टैगोर विचारक ही नही, बल्कि शांत साधक थे। वे भयमुक्त थे। उनका स्वभाव शांत थे। वह काफी कम बात किया करते थे। कुछ लोग रविन्द्रनाथ टैगोर जी की निंदा करते थे। एक बार शरत् बाबू ने टैगोर से कहा, ‘मुझे आपकी निंदा सुनी नहीं जाती। आप अपनी आधारहीन आलोचना का प्रतिकार करें। टैगोर ने शांत भाव से इस बात …
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