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Tag Archives: food

हमारी संस्कृति

आज जगन राय बहुत खुश थे और खुश क्यों ना हो आज उनकी प्यारी सी सुन्दर सी बिटिया पल्लवी का विवाह परम्परागत तरीके से उनके दोस्त राजनारायण के बेटे अपूर्व से होना था । वह बहुत समय पहले विदेश में बस गये थे पर रहने वाले राजस्थान के एक छोटे से कस्बे के । बिटिया भी विदेश में ही पली …

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आज हिन्दी दिवस* के अवसर पर हिंदी का थोडा़ आनंद लीजिये …. मुस्कुराइए …

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हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे है, खाने पीने की चीजों से भरे है… कहीं पर फल है तो कहीं आटा-दालें है, कहीं पर मिठाई है, कहीं पर मसाले है , चलो, फलों से ही शुरू कर लेते है, एक एक कर सबके मजे लेते है… आम के आम और गुठलियों के भी दाम मिलते हैं, कभी अंगूर खट्टे हैं, …

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सवा सेर गेहुँ – मुंशी प्रेमचंद जयंती पर विशेष

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प्रेमचंद हिंदी के प्रसिद्ध और महान कहानीकार हैं। आपका जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस के पास लमही नामक गॉव में हुआ था। आपने अपनी कहानियों के माध्यम से उस समय की सामाजिक अव्यवस्था का चरित्र-चित्रण बहुत यर्थात तरीके से किया है। प्रेमचंद जी ने शोषित-वंचित किसान की दयनीय स्थिति  को अपनी कहानी सवा सेर गेहुँ में व्यक्त किया है।   सवा सेर …

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शेख चिल्ली की कहानियां

: शेख चिल्ली की कहानियां

 कौन थे शेख चिल्ली? माना जाता है कि सूफी संत अब्द-उर-रहीम, जिन्हें अब्द-उई-करीम और अब्द-उर- रज़ाक के नाम से भी जाना जाता था उन्ही का प्रसिद्द नाम शेख चिल्ली पड़ा। उनकी मौजूदगी 1650 AD के आस-पास की मानी जाती है और हरयाणा में उनका एक मकबरा भी बना हुआ है। भारत में शेख चिल्ली को एक मजेदार कैरेक्टर के रूप में …

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परिवर्तन देखिये

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1- पहले लोग घर के दरवाजे पर एक आदमी तैनात करते थे ताकि कोई कुत्ता घर में न घुस जाये। आजकल घर के दरवाजे पर कुत्ता तैनात करते हैं ताकि कोई आदमी घर में न घुस जाए। 2- पहले आदमी खाना घर में खाता था और लैट्रीन घर के बाहर करने जाता था। अब खाना बाहर खाता है और लैट्रीन …

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हम कल के लिए आज नहीं सोचते

हम कल के लिए आज नहीं सोचते

एक नगर में एक संपन्न सेठजी रहते थे। वह दिनभर खूब मेहनत से काम करते थे। एक दिन उन्हें न जाने क्या सूझा कि अपने मुनीम को बुलाकर कहा, ‘पता करो हमारे पास कितना धन है और कब तक के लिए पर्याप्त है?’ कुछ दिन बाद मुनीम हिसाब लेकर आया और सेठ जी से बोला, ‘जिस हिसाब से आज खर्चा …

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सभी गृहइणयों को नमन (A tribute to all the housewives)

A tribute to all the housewives

बेवक़ूफ़ : एक गृहणी वो रोज़ाना की तरह आज फिर इश्वर का नाम लेकर उठी थी । किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया। फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स्कूल के लिए तैयार हो सकें । कुछ ही पलों मे वो अपने सास ससुर को चाय देकर आयी फिर बच्चों का नाश्ता तैयार किया और …

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