बूहे भावें मन्दिराँ दे खोल या ना खोल, अस्सी कुण्डा खड़कायी जाना ए । मर्जी ए तेरी चाहे बोल या न बोल, ऐसी माँ माँ कह के बुलाई जाना ए ॥ बच्चेयाँ दी भूलां उत्ते मावां पौन पर्दा, भूल हो ही जांदी ए, कोई जान के नहीं करदा । लख्ख फटकार भावें गुस्से विच्च बोल, ऐसी हसके तैनू वी मनाई …
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