हरी सुंदर नंद मुकुंदा हरी नारायाण हरी ओमहरी केशव हरी गोविंदा हरी नारायाण हरी ओम……… हरी नारायाण हरी वनमाली मुरलीधारी गोवर्धन गिरिवर्धारीनित नित कर माखन चोरी गोपी मन हारी….. आओ रे कान्हा रे गोकुल के प्यारेआओ रे नाचो रे रास रचाओ रे….. हरी सुंदर नंद मुकुंदा हरी नारायाण हरी ओमहरी केशव हरी गोविंदा हरी नारायाण हरी ओम………. साँची बता दे …
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श्री अच्युताष्टकम्
अच्युतं केशवं रामनारायणंकृष्णदामोलदरं वासुदेवं हरिम् ।श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभंजानकीनायकं रामचन्द्रं भजे ।। अच्युतं केशवं सत्यभामाधवंमाधवं श्रीधरं राधिकाराधितम् ।इन्दिरामन्दिरं चेतसा सुन्दरम्देवकीनन्दनं नन्दजं सन्दधे ।। विष्णवे जिष्णवे शंखिने चक्रिनेरुक्मणीरागिणे जानकी जानये ।वल्लवी वल्लभा यार्चितायात्मनेकंसविध्वंसिने वंशिने ते नम:।। कृष्ण गोविन्द हे राम नारायणश्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे ।अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक ।। राक्षसक्षोभित: सीतया शोभितो दण्डकारण्यभूपुण्यताकारण: ।लक्षमणेनान्वितो वानरै: सेवितोअगस्त्यसम्पूजितो राघव:पातु माम् ।। धेनुकारिष्टकानिष्टकृद्द्वेषिहा केशिहा कंसहृद्वंशिकावादक: ।पूतनाकोपक: सूरजाखेलनो बालगोपालक: पातु मां …
Read More »श्याम तेरे हाथों में हमारी डोर है,
श्याम तेरे हाथों में हमारी डोर है,तेरे सिवा जग में ना कोई और है,ना कोई और है,ना कोई ठौर है,श्याम तेरे हाथो में हमारी डोर है,तेरे सिवा जग में ना कोई और है……. तेरी कबसे राह देखूं साँवरे प्रीतम,आजा हरले पीर मेरी काट सारे गम,तू ही उगता सूरज तू ही भोर है,तेरे सिवा जग में ना कोई और है,श्याम तेरे …
Read More »हरि तुम हरो जन की भीर
मीरा, जिन्हें मीराबाई के नाम से भी जाना जाता है, 16 वीं सदी के हिंदू रहस्यवादी कवि और कृष्ण की भक्त थीं। उन्हें मूल रूप से ‘मिहिरा’ नाम दिया गया था, लेकिन अपनी कविता में उन्होंने अपना नाम परिवर्तित रूप में मीरा के कारण राजस्थानी लहजे में पेश किया और इसलिए मीरा के रूप में अधिक लोकप्रिय हो गईं। हरि …
Read More »हरि नाम सुमिर सुख धाम
हरि नाम सुमिर हरि नाम सुमिरहरि नाम सुमिर सुख धामजगत में जीवन दो दिन का .जगत में जीवन दो दिन का .. सुंदर काया देख लुभायालाड़ करे तन का .छूटा साँस विगत भयी देहीज्यों माला मनका ..जगत में जीवन दो दिन का .. पाप कपट कर माया जोड़ीगर्व करे धन का .सभी छोड़ कर चला मुसाफिरवास हुआ वन का ..जगत …
Read More »रे मन हरि सुमिरन कर लीजै
मंगल भवन अमंगल हारीद्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी रे मन, हरि सुमिरन कर लीजै ।हरि सुमिरन कर लीजै ।हरि सुमिरन कर लीजै । हरिको नाम प्रेमसों जपिये, हरिरस रसना पीजै ।हरिगुन गाइय, सुनिय निरंतर, हरि-चरननि चित दीजै ॥ हरि-भगतनकी सरन ग्रहन करि, हरिसँग प्रीति करीजै ।हरि-सम हरि जन समुझि मनहिं मन तिनकौ सेवन कीजै ॥ हरि केहि बिधिसों हमसों रीझै, …
Read More »पायो निधि राम नाम
पायो निधि राम नाम, पायो निधि राम नाम .सकल शांति सुख निधान, सकल शांति सुख निधान .पायो निधि राम नाम .. सुमिरन से पीर हरै, काम क्रोध मोह जरै .आनंद रस अजर झरै, होवै मन पूर्ण काम .पायो निधि राम नाम .. रोम रोम बसत राम, जन जन में लखत राम .सर्व व्याप्त, ब्रह्म राम, सर्वशक्तिमान राम .पायो निधि राम …
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