जादुई गधा-Akbar Birbal Story in Hindi. एक बार की बात है बादशाह अकबर ने अपनी महारानी को एक सुंदर सा सोने का हार दिया। वह सोने का हार बहुत ही कीमती था। जिसपर हीरे जवाहरात जड़े हुए थे। उस हार को देखकर महारानी बहुत ही ज्यादा खुश हुई और उन्हें बादशाह अकबर को खुश होकर धन्यवाद कहा। महारानी ने रात …
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क्रोध अकेला नहीं आता
सभी धर्मों में क्रोध को सर्वनाश का प्रमुख कारण बताया गया है। महाभारत में कहा गया है कि निद्रां तंद्रा भयं क्रोधः आलस्यं दीर्घसूत्रिता। इसलिए आलस्य एवं क्रोध आदि दुर्गुणों को छोड़ने में ही कल्याण है। क्रोध के कारण मानव आवेश में आकर विवेक खो बैठता है तथा उसका दुष्परिणाम कई बार अत्यंत घातक होता है। आचार्य महाप्रज्ञ ने लिखा …
Read More »सत्कर्म करते रहो
विधि का नियम है कि मानव को जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत कुछ-न- कुछ कर्म करते रहना पड़ता है। इसलिए धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य को हर क्षण सत्कर्म में ही व्यतीत करना चाहिए। सत्कर्म करते रहने में ही जीवन की सार्थकता है। आदि शंकराचार्य कहते हैं, जो पुरुषार्थहीन है, वह वास्तव में जीते-जी मरा हुआ है। गीता में …
Read More »ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति
धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि प्रत्येक प्राणी में परमात्मा के दर्शन करनेवाला और प्रत्येक जीव से प्रेम करनेवाला सच्चा ब्रह्मज्ञानी होता है। एक दिन ब्रह्मनिष्ठ संत उड़िया बाबा गंगा तट पर श्रद्धालुओं को उपदेश दे रहे थे। उन्होंने अचानक दोनों हाथों से गंगाजी की बालुका (रेती) उठाई और पास बैठे भक्त को संबोधित करते हुए कहा, ‘शांतनु, जब तक …
Read More »दुःख में सुमिरन
कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से दुःख स्वीकार करने को तत्पर नहीं हो सकता। सभी हर क्षण सुखी रहने की कामना करते हैं। महाभारत में जरूर पांडवों की माता कुंती का प्रसंग मिलता है, जो भगवान् से प्रार्थना करती हैं, ‘प्रभु, मेरे जीवन में समय-समय पर दुःख का आभास होते रहना चाहिए। मैंने अनुभव किया है कि सुख में आपकी याद …
Read More »जहाँ धर्म, वहीं विजय
महानारायणोपनिषद् में कहा गया है, धर्मों विश्वस्य जगतः प्रतिष्ठा अर्थात् धर्म ही समस्त संसार की प्रतिष्ठा का मूल है। भगवान् श्रीकृष्ण भी कहते हैं कि प्राणों पर संकट भले ही आ जाए, फिर भी धर्म पालन से डिगना नहीं चाहिए। महाभारत युद्ध के दौरान दुर्योधन प्रतिदिन माता गांधारी के पास पहुँचकर विजय की कामना के लिए आशीर्वाद की याचना किया …
Read More »सच्ची सेवा का मर्म
सभी धर्मग्रंथों में सेवा-सहायता को सर्वोपरि धर्म बताया गया है। महर्षि वेदव्यास ने अष्टादश पुराणों में लिखा है, ‘परोपकाराय पुण्याय पापाय परपीडनम्।’ अर्थात् परोपकार पुण्य है और दूसरों को पीडित करना पाप। कुछ प्राप्त करने की इच्छा से की गई सेवा को शास्त्रों में निष्फल बताया गया है। कहा गया है, ‘यदि सेवा कर्तव्यपालन या आत्मिक प्रसन्नता के लिए की …
Read More »टीचर बहु
एक बार की बात है रमा अपने बेटे की शादी के लिए सुमन नाम की लड़की देखने गयी। सुमन के घर पहुंचकर उनको पता चला की वह बच्चों को tution भी पढ़ाती है। रमा के बेटे और सुमन के बीच बात के बाद रमा ने सुमन से कहा की हम नहीं चाहते की हमारी बहु बच्चों को पढ़ाये इसलिए शादी …
Read More »चार भाइयों की कहानी
एक बार की बात है एक गाँव में एक मछुआरा रहता था उसके चार लड़के मोहन, सोहन , अनिल और कपिल थे। मछुआरा नदी में जाकर मछलियाँ पकड़ता था और उसको लेकर जाकर मार्किट में बेच देता था। जिससे उनके खाने का गुजारा ही केवल हो पाता था। एक दिन मछुआरा अपने चारों लड़कों को बुलाता है और कहता है …
Read More »साक्षात् माँ स्वरूपा
स्वामी कृष्ण परमहंस का मूल मंत्र था, ‘प्रत्येक प्राणी में आत्मा स्वरूप भगवान् विद्यमान हैं। यदि किसी प्राणी की सेवा करोगे , तो समझ लो कि साक्षात् परमात्मा की सेवा का पुण्य स्वतः प्राप्त हो रहा है। यदि किसी को दुःख पहुँचाओगे, तो ईश्वर के प्रकोप को सहन करना ही पड़ेगा। स्वामी रामकृष्ण प्रत्येक पुरुष में भगवान् के दर्शन करते …
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