संसार के मूल तत्त्वों को हम दो भागों में बांट सकते हैं । जड़ और चेतन या प्रकृति और पुरुष । चाहे जड़ कहिये या प्रकृति कहिये, बात एक ही है । चेतन अधिष्ठाता के बिना जड़ वस्तु की क्रियाएं नियमित और श्रृंखलाबद्ध नहीं हो सकतीं और न इसके बिना एक अधिष्ठान में विरोधी गुण कर्म दिख सकते हैं, अत: …
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